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15अगस्त: कारपोरेट लूट बंद हो?..

     स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ! कैसा महसूस कर रहे हैं?..खुशहाल!....होना ही चाहिए! आपको खुशियां अनन्त काल तक मुबारक हों! देश आज़ादी का खुशनुमा अनुभव करे!..हम-आप जैसों को और क्या चाहिए लेकिन, अफ़सोस!.. जब हम आज़ादी के सही मायने तलासते हैं तो पता चलता है कि लूट से आज़ादी ही असली आज़ादी होती है!..हर प्रकार की लूट से, शोषण-अत्याचार से आज़ादी! लेकिन, जब हम लगभग हर रोज किसानों-मजदूरों, बेरोजगारों, शिक्षकों, विद्यार्थियों, महिलाओं, दलितों, अल्पसंख्यक समुदायों को कहीं न कहीं धरना-प्रदर्शन करते, अपने शोषण के खिलाफ़, अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत देखते हैं तो दिमाग में आता है कि क्या अंग्रेजों का यहाँ से 'समझौता' के आधार पर चला जाना ही आज़ादी है? हाल में 9 अगस्त को संयुक्त किसान मोर्चा के साथ अनेक संगठनों द्वारा 'कॉरपोरेट, भारत छोड़ो!' का अभियान चलाया गया!..तो क्या हम कॉरपोरेट के गुलाम हैं जिन्हें भारत से निकाल देने के लिए किसान-मजदूर संघर्षरत हैं?... क्या देश के प्राकृतिक संसाधनों, जल-जंगल-जमीन पर देशी-विदेशी कॉरपोरेट का कब्ज़ा होते जाना भी गुलामी का कोई रूप है?.. क्या किसी भी बहाने से