स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ!
कैसा महसूस कर रहे हैं?..खुशहाल!....होना ही चाहिए!
आपको खुशियां अनन्त काल तक मुबारक हों!
देश आज़ादी का खुशनुमा अनुभव करे!..हम-आप जैसों को और क्या चाहिए
लेकिन, अफ़सोस!.. जब हम आज़ादी के सही मायने तलासते हैं तो पता चलता है कि लूट से आज़ादी ही असली आज़ादी होती है!..हर प्रकार की लूट से, शोषण-अत्याचार से आज़ादी!
लेकिन, जब हम लगभग हर रोज किसानों-मजदूरों, बेरोजगारों, शिक्षकों, विद्यार्थियों, महिलाओं, दलितों, अल्पसंख्यक समुदायों को कहीं न कहीं धरना-प्रदर्शन करते, अपने शोषण के खिलाफ़, अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत देखते हैं तो दिमाग में आता है कि क्या अंग्रेजों का यहाँ से 'समझौता' के आधार पर चला जाना ही आज़ादी है?
हाल में 9 अगस्त को संयुक्त किसान मोर्चा के साथ अनेक संगठनों द्वारा 'कॉरपोरेट, भारत छोड़ो!' का अभियान चलाया गया!..तो क्या हम कॉरपोरेट के गुलाम हैं जिन्हें भारत से निकाल देने के लिए किसान-मजदूर संघर्षरत हैं?...
क्या देश के प्राकृतिक संसाधनों, जल-जंगल-जमीन पर देशी-विदेशी कॉरपोरेट का कब्ज़ा होते जाना भी गुलामी का कोई रूप है?.. क्या किसी भी बहाने से किसानों से जमीन छीन लिया जाना किसानों को आज़ादी का सच्चा खुशनुमा अहसास करा सकता है? क्या जिनके घरों पर बुलडोज़र चला दिया गया, उन्हें बेघर कर दर-दर भटकने के लिए मजबूर कर दिया गया, उन्हें भी आज़ादी की शुभकामनाएं देने से वैसी ही खुशी मिलेगी जैसी महलनुमा घरों में रहने वालों को, 'अन्तिला' में रहने वालों को मिलती है?
पिछले दिनों देशभर में किसानों ने 'कॉपोरेट लुटेरों, भारत छोड़ो' का नारा देते हुए राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन दिए। पढ़िए, कुछ बिंदु और सोचिए कि 'अपनी आजादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं...' का अहसास ही इनमें झलकता है कि नहीं!..
● आधुनिक गुलामी के काम के घंटे 12 के कानून को अनुमति न दें राष्ट्रपति
● काम के घंटे 12 करने का लाया कानून अवैधानिक है। यह कारखाना अधिनियम 1948 की धारा 5 का उल्लंघन है। काम के घण्टे अधिकतम आठ से ज़्यादा बढ़ाना आज़ादी के संघर्षों का अपमान है।
● न्यूनतम मजदूरी के वेज बोर्ड का तत्काल हो गठन
● मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन की गारंटी करें सरकार
● पुरानी पेंशन बहाल की जाए!
● स्वास्थ्य और रोजगार की कानूनी गारंटी दी जाए।
● किसानों को सी2+50 % न्यूनतम समर्थन मूल्य उनकी हर फसल पर देने की कानूनी गारंटी दी जाए।
● सभी किसानों और कृषि श्रमिकों को प्रति माह 10,000 (दस हजार) रुपये की पेंशन दी जाए ताकि उन्हें मजबूरी में आत्महत्या न करना पड़े!
● कृषि का निगमीकरण बंद किया जाए। कृषि उत्पादन और व्यापार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रवेश की छूट नहीं दी जाए। भारत को विश्व व्यापार संगठन के समझौते से बाहर निकालो।
● केन्द्र सरकार में सहकारिता विभाग को समाप्त करना, और सहकारिता को भारत के संविधान में निहित राज्य सूची में रखना चाहिए। केंद्र सरकार को उत्पादक वर्ग — किसानों और श्रमिकों — की कीमत पर कॉर्पोरेट वर्ग के हित के लिए सत्ता के केंद्रीकरण को बढ़ावा देने के बजाय राज्यों का समर्थन करना चाहिए।
● किसान आंदोलन से संबंधित सभी मामलों को वापस लिया जाए तथा 736 किसान शहीदों की याद में सिंघू/टिकरी बॉर्डर पर एक शहीद स्मारक का निर्माण किया जाए।..
स्वतंत्रता-दिवस हमें सिखाता है कि अपने अधिकारों के खत्म होते जाने पर चुप रहना गुलामी को स्वीकार करना है।
अपने अधिकारों और दायित्वों की रक्षा कीजिए!
जय हिन्द!.. आज़ादी की अनुभूति जिंदाबाद! हमारे शहीद अमर रहे! इंक़लाब ज़िंदाबाद!
★★★★★★★
Comments
Post a Comment