माल बेचो, मुनाफ़ा दो दुखड़ा मत सुनाओ! Courtesy : depositphotos.com मैं एक अदना सा सेल्समैन हूँ!.. हर उस कंपनी से निवेदन करना है कि आप अपने प्रोडक्ट बेचने के लिए किसी भी सेल्समैन को न रखें! आप खुद मार्किट में उतरें और अपना प्रोडक्ट सेल करें।... क्यों कि सेल्समैन कुछ काम नहीं करता है.. वो सिर्फ मार्किट में जाकर घूमता है! उसे धूप नहीं लगती! उसके पैरों में दर्द नही होता।... ना ही उसे भूख लगती है! उसकी कोई फैमली होती है। बाल-बच्चे नहीं होते!.. वो तो बस एक सेल्समैन होता है!.. किसी और भी फील्ड के मैन या फीमेल को अपने देखा है जो अपनी जेब से पैसा लगाकर आपकी कंपनी के लिए काम करता है?... नहीं, वो तो सिर्फ एक सेल्स मैन ही होता है जो पूरे 50दिन अपने पैसों से आपकी कंपनी का काम करता है और 50दिन के काम करने का उसको क्या मिलता है?... क्या होता है जब आप उसे उसकी मेहनत का पैसा नही देते हैं?...टारगेट पूरा न होने का इल्ज़ाम लगाकर उसकी मेहनत को, उसके पैसों को, उसके समय को मार लेना आप अपना हक़ समझते हो!.. वो और उसका परिवार भूखा रहता है!
CONSCIOUSNESS!..NOT JUST DEGREE OR CERTIFICATE! शिक्षा का असली मतलब है -सीखना! सबसे सीखना!!.. शिक्षा भी सामाजिक-चेतना का एक हिस्सा है. बिना सामाजिक-चेतना के विकास के शैक्षिक-चेतना का विकास संभव नहीं!...इसलिए समाज में एक सही शैक्षिक-चेतना का विकास हो। सबको शिक्षा मिले, रोटी-रोज़गार मिले, इसके लिए जरूरी है कि ज्ञान और तर्क आधारित सामाजिक-चेतना का विकास हो. समाज के सभी वर्ग- छात्र-नौजवान, मजदूर-किसान इससे लाभान्वित हों, शैक्षिक-चेतना ब्लॉग इसका प्रयास करेगा.