तमाम संघर्षों को समर्पित... ग़ज़ल - कवि महेन्द्र मिहोनवी अय भाग जा दरिन्दे फ़ौरन मचान लेकर निकले हैं अब परिन्दे गद्दी पे प्रान लेकर दरकी हैं ये ज़मीनें कय्यक हज़ार मीलों फूटी हैं कुछ चटानें इतनी उठान लेकर रस्ते में हर क़दम पर खूँख़ार जानवर हैं चलना हमें पड़ेगा तीरो कमान लेकर बुलबुल को बर्तनी है अतिरिक्त सावधानी सैयाद घूमते हैं टोही विमान लेकर जिसमें मगर के हक़ में सारे नियम बने हैं चाटेंगीं मछलियाँ क्या एसा विधान लेकर जंगल में दूर शायद बरसात हो रही है आने लगीं हवायें माफ़िक़ रुझान लेकर लाठी नहीं तो क्या ग़म बाजू तो हैं सलामत मिट्टी को रो रहे हो हीरों की खान लेकर जगमग है राजधानी मेला नया लगा है ठग तो वही पुराने बैठे दुकान लेकर इससे तो था ये अच्छा आते न मुझसे मिलने सीने से लग रहे हो दिल में गठान लेकर माने कोई न माने मंज़िल के जो दीवाने वो बैठते नहीं हैं पथ में थकान लेकर
CONSCIOUSNESS!..NOT JUST DEGREE OR CERTIFICATE! शिक्षा का असली मतलब है -सीखना! सबसे सीखना!!.. शिक्षा भी सामाजिक-चेतना का एक हिस्सा है. बिना सामाजिक-चेतना के विकास के शैक्षिक-चेतना का विकास संभव नहीं!...इसलिए समाज में एक सही शैक्षिक-चेतना का विकास हो। सबको शिक्षा मिले, रोटी-रोज़गार मिले, इसके लिए जरूरी है कि ज्ञान और तर्क आधारित सामाजिक-चेतना का विकास हो. समाज के सभी वर्ग- छात्र-नौजवान, मजदूर-किसान इससे लाभान्वित हों, शैक्षिक-चेतना ब्लॉग इसका प्रयास करेगा.