सिर्फ़ नाइंसाफ़ी नहीं, शासकों का अपराध है यह! हे युवाओं! हे बेरोजगारो!.. सब कुछ अपने आप नहीं हो रहा है! किसी ईश्वर की माया से अपने आप नहीं घट रहा है! यह सब सुनियोजित है! तुम्हारी बेरोजगारी भी, निकाली और न भरी जातीं भर्तियाँ भी! परीक्षा के एक-दो दिन पहले मिलते प्रवेशपत्र भी। इधर का परिक्षाकेन्द्र उधर होना और उधर का परिक्षाकेन्द्र इधर होना भी! बसों और ट्रेनों में भुस की तरह घुसकर तुम्हारा जाना भी। ज़्यादा किराया वसूलना भी, मारपीट करना भी। कु छ भी नेचुरल नहीं, स्वाभाविक नहीं। करोड़ों की कमाई और मुनाफ़ा इसके पीछे है! सब शासकों द्वारा सुचिंतित और सोच-विचार कर सुनियोजित तरीके से क्रियान्वित किया गया!.. कब जागोगे?... कब समझोगे?... कब उठोगे?... ★★★★★
CONSCIOUSNESS!..NOT JUST DEGREE OR CERTIFICATE! शिक्षा का असली मतलब है -सीखना! सबसे सीखना!!.. शिक्षा भी सामाजिक-चेतना का एक हिस्सा है. बिना सामाजिक-चेतना के विकास के शैक्षिक-चेतना का विकास संभव नहीं!...इसलिए समाज में एक सही शैक्षिक-चेतना का विकास हो। सबको शिक्षा मिले, रोटी-रोज़गार मिले, इसके लिए जरूरी है कि ज्ञान और तर्क आधारित सामाजिक-चेतना का विकास हो. समाज के सभी वर्ग- छात्र-नौजवान, मजदूर-किसान इससे लाभान्वित हों, शैक्षिक-चेतना ब्लॉग इसका प्रयास करेगा.