पेरिस कम्यून और शहीद भगत सिंह एवं उनके साथियों को याद करने का महीना - अशोक प्रकाश Picture Courtesy: marxist.com मार्च का महीना हिंदुस्तानियों के लिए ही नहीं, पूरी दुनिया की शोषित-पीड़ित जनता के लिए खास महीना है! यह कार्ल मार्क्स, पेरिस कम्यून, मैक्सिम गोर्की, शहीद भगत सिंह और उनके साथियों, अवतार सिंह पाश को याद करने का महीना है। मार्च के ही महीने में 18 मार्च 1871 को आधुनिक दुनिया की सच्ची आज़ादी की आकांक्षा को व्यक्त करने वाली पेरिस कम्यून बनी जिसमें किसी भी प्रकार के भेदभाव को भुलाकर मज़दूरों ने राजसत्ता को हराकर अपनी सरकार बनाई और जिससे दुनिया भर की पूँजीवादी ताकते घबरा उठीं!..भले ही यह कम्यून मात्र दो माह तक चल पाया और फ्रांस के चालबाज़ शासक को समझने में विफल होने के कारण पराजित हो गया! किन्तु इसके बाद इसके अनुभवों से सबक लेते हुए आगे दुनिया के अनेक देशों में क्रान्तियां हुईं और मजदूरों-किसानों की समाजवादी सरकारें बनीं!..सच है कि 'पेरिस कम्यून मजद
CONSCIOUSNESS!..NOT JUST DEGREE OR CERTIFICATE! शिक्षा का असली मतलब है -सीखना! सबसे सीखना!!.. शिक्षा भी सामाजिक-चेतना का एक हिस्सा है. बिना सामाजिक-चेतना के विकास के शैक्षिक-चेतना का विकास संभव नहीं!...इसलिए समाज में एक सही शैक्षिक-चेतना का विकास हो। सबको शिक्षा मिले, रोटी-रोज़गार मिले, इसके लिए जरूरी है कि ज्ञान और तर्क आधारित सामाजिक-चेतना का विकास हो. समाज के सभी वर्ग- छात्र-नौजवान, मजदूर-किसान इससे लाभान्वित हों, शैक्षिक-चेतना ब्लॉग इसका प्रयास करेगा.