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सच बोलिए: धर्म और मनुष्य में से किसे चुनेंगे आप?-

  बहस:                             मानवता या धर्म!                       आप कहाँ खड़े हैं?                                             - वी के शर्मा       मानवता के लिए साम्प्रदायिकता बहुत बुरी होती है। चाहे वह हिंदू सांप्रदायिकता हो अथवा मुस्लिम सांप्रदायिकता अथवा कोई और! साम्प्रदायिकता मानवता के सामने दुश्मन की तरह आ खड़ी होती है। इतिहास की यह विडम्बना रही है कि जो धर्म अहिंसक रहे हैं वे या तो खत्म कर दिए गए हैं अथवा कमजोर हो गए हैं। इसी संदर्भ में हम बौद्ध धर्म की अहिंसावादी नीति को देख-परख सकते हैं। बौद्ध धर्म अपनी अहिंसावादी नीति के कारण ही कमजोर हो चुका है। वही दुनिया के सभी आतताई और हिंसक धर्म अपने को ना केवल जिंदा रखे हुए हैं बल्कि एक खास क्षेत्र अथवा विश्व के अनेक देशों में अपना पांव भी मजबूती से टिकाए हुए हैं। लिहाजा हिंदू धर्म हो अथवा मुस्लिम धर्म किसी भी मानवतावादी को इनके पीछे खड़ा नहीं होना चाहिए। यदि कोई भी प्रगतिशील या जनवादी व्यक्ति अथवा संगठन किसी कमजोर सांप्रदायिक शक्ति के पीछे लामबंद होता है तो निश्चय ही वह मजबूत सांप्रदायिक शक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मज