बुरा बनता समाज कारण क्या हैं? - विजय कुमार शर्मा क्या और भी बुरा बन रहा है समाज? - अक्सर ही यह सवाल आज हर व्यक्ति के मन में उठता है! अधिकांश लोगों का मन इसका एक ही उत्तर भी देता है- 'निश्चय ही!' क्यों? वही मन फिर उत्तर देता है- हमारा भारतीय समाज बदल ही नहीं रहा है बल्कि यह बहुत तेज गति से बदल रहा है। सन् 1990 के बाद समाज के बदलाव ने तेज गति पकड़ ली। यह दौर था नयी-नयी नीतियों के आगमन का, यह दौर था एलपीजी यानी लिबरलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन के आगमन का। इस दौर में केन्द्रीय सत्ता पर कांग्रेस का शासन था। इस दौर के प्रधानमंत्री थे राजीव गांधी. इन्होंने नई अर्थ नीति, नई उद्योग नीति लागू की। इसी प्रक्रिया को अगले प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने परिवर्धित-परिमार्जित करके आगे बढ़ाया। आज के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इसी प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहे हैं। इसका प्रभाव हमारे जन-जीवन के, हमारे समाज के हर आयाम पर पड़ रहा है।
CONSCIOUSNESS!..NOT JUST DEGREE OR CERTIFICATE! शिक्षा का असली मतलब है -सीखना! सबसे सीखना!!.. शिक्षा भी सामाजिक-चेतना का एक हिस्सा है. बिना सामाजिक-चेतना के विकास के शैक्षिक-चेतना का विकास संभव नहीं!...इसलिए समाज में एक सही शैक्षिक-चेतना का विकास हो। सबको शिक्षा मिले, रोटी-रोज़गार मिले, इसके लिए जरूरी है कि ज्ञान और तर्क आधारित सामाजिक-चेतना का विकास हो. समाज के सभी वर्ग- छात्र-नौजवान, मजदूर-किसान इससे लाभान्वित हों, शैक्षिक-चेतना ब्लॉग इसका प्रयास करेगा.