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परीक्षा की तैयारी के कुछ जरूरी टिप्स: हिन्दी के विद्यार्थियों के लिए!

परीक्षा की तैयारी   online_classes

                             कम समय में

            कैसे करें परीक्षा की बेहतर तैयारी?


कम समय में परीक्षा की तैयारी कैसे करें ?

 इस वर्ष से उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में स्नातक प्रथम वर्ष का पाठ्यक्रम 'सेमेस्टर-सिस्टम' के हिसाब से तैयार किया गया है। एक वर्ष में दो सेमेस्टर या सत्र होने हैं। इन दोनों ही सत्रों का पाठ्यक्रम पूरी तरह अलग होगा। ऐसे में कोरोना-काल में विश्वविद्यालय/महाविद्यालय प्रायः अध्ययन-अध्यापन के लिए 'भौतिक रूप से बन्द' होने के चलते पाठ्यक्रम की तैयारी में विद्यार्थियों को परेशानी होना स्वाभाविक है। विद्यार्थियों के लिए #ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था का प्रचार किया जा रहा है, किन्तु इसके लिए  आधारभूत व्यवस्था न होने के चलते यह सुचारू रूप से नहीं चल पा रही है। सारे विद्यार्थियों के पास न तो उपयुक्त मोबाइल की व्यवस्था होती है, न ही इंटरनेट की। सभी अध्यापक भी ऑनलाइन तरीके से पढ़ाने में पारंगत नहीं होते। इसके बावजूद विद्यार्थियों की मजबूरी है कि वे 'ऑनलाइन' पढ़ाई करें। इसके अलावा अभी प्रवेश के बाद पढाई की व्यवस्था ठीक से शुरू भी न हो पाई कि 'असाइनमेंट' और 'टेस्ट' की तैयारियां शुरू हो गईं। ऐसे में विद्यार्थियों के लिए यह स्वाभाविक चिंता का विषय है कि सत्र-परीक्षा की दृष्टि से पढ़ाई कैसे सुचारू और नियमित हो!

          यहाँ उदाहरण-स्वरूप हिन्दी विषय के विद्यार्थियों के लिए कुछ ऐसे तरीके बताए जा रहे हैं जिससे कम समय में भी बाकी समय का सदुपयोग करते हुए विद्यार्थी बेहतर तैयारी कर सकते हैं। वे अच्छे ग्रेड-अच्छे नम्बर ला सकते हैं।

        विद्यार्थियों को ही नहीं, समाज के हर तबके के व्यक्ति को एक साधारण-सा सूत्र सफलता और बेहतर जीवन की गारंटी देता है। वह सूत्र है- 'मेहनत के अलावा कोई चारा नहीं!' ध्यान में रखें कि काम-चलाऊ मेहनत से काम-चलाऊ, 'जैसे-तैसे कट रही' वाली ज़िंदगी ही मिलती है। हाँ, बेहतर तरीका कम मेहनत से भी अच्छा परिणाम दिला सकता है। हिंदी के विद्यार्थियों के लिए अब सत्रांत-परीक्षा के लिए ज़्यादा समय नहीं है। इसलिए आज से ही 'अपनी समय-सारिणी' बनाकर 'आत्मनिर्भरता' के सूत्र को ज़्यादा महत्त्व देते हुए विद्यार्थी यदि तैयारी शुरू कर दें तो कम समय में भी अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।

        यहाँ यह मानकर चला जा रहा है कि विद्यार्थियों को 40 दिन में पूरा पाठ्यक्रम तैयार करना है। इसके लिए निम्नलिखित पद्धति से तत्काल तैयारी शुरू करें:

(1) पूरे पाठ्यक्रम और अब तक की गई अपनी तैयारियों को दृष्टि में रखते हुए अपने अध्ययन की समय-सारिणी बना लें।
(2) पूरे पाठ्यक्रम और हर एक दिन की पढ़ाई - दोनों की समय-सारिणी बानाएँ।
(3) पहले प्रत्येक कवि के संक्षिप्त जीवन-परिचय और फिर प्रत्येक कवि के कृतित्व-रचनाओं को याद रखने की दृष्टि से एक-एक पृष्ठ में लिख लें।
(आगे के लेखों में इसे विस्तार से बताया-समझाया जाएगा)।
(4) इसके बाद कविताओं की व्याख्या और उनके साहित्य-सौंदर्य (विशेष) को ध्यान से पढ़ लें। साहित्य-सौंदर्य अर्थात् विशेष/टिप्पणी को प्रत्येक कवि की हर कविता के हिसाब से एक पृष्ठ में लिख लें।
(5) प्रत्येक कवि की मुख्य काव्यगत विशेषताओं और प्रवृत्तियों को भी लगभग दो पृष्ठ में लिख लें।
(6) प्रत्येक काल के कम से कम एक महत्वपूर्ण कवि के साहित्यिक-अवदान पर अलग से तैयारी कर लें ताकि विस्तृत उत्तरीय प्रश्नों की भी तैयारी हो जाए।
(7) कवियों और कविताओं की तैयारी करते समय हर माध्यम की सहायता लेने की यथासंभव कोशिश करें। अध्यापकों द्वारा ऑनलाइन अध्यापन को विशेष महत्त्व दें। इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री के साथ-साथ किताबों में उपलब्ध प्रत्येक काल की मुख्य काव्यगत प्रवृत्तियों, रचनाओं को भी अवश्य पढ़ें और महत्त्वपूर्ण तथ्यों को लिख लें।
(8) हर दिन एक कवि पर एक घण्टा पढ़ने और एक घण्टा लिखने के लिए दें।
(9) हिन्दी के पाठ्यक्रम में बीस कवि निर्धारित हैं। प्रत्येक कवि पर कम से कम एक दिन दो घण्टा दें।
(10) आठ इकाइयों में विभक्त पाठ्यक्रम में से प्रत्येक पर एक दिन अलग से दें।
(11) बाकी बचे हुए दिनों को पढ़े हुए पाठ्यक्रम को दोहराने के लिए उपयोग करें।

विशेष ध्यान दें:
★ परीक्षा विद्यार्थी को ही देनी होती है, किसी और को नहीं। इसलिए मुख्य जिम्मेदारी विद्यार्थी की ही है। कोरोना-काल में महाविद्यालय आकर पढाई के लिए जहाँ अवसर कम हुए हैं, वहीं घर से आने-जाने का समय भी बचा है।
★स्नातक प्रथम वर्ष के प्रथम सत्र का आगे की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी विशेष महत्त्व है। स्नातक के आगे के सत्रों/वर्षों में हिन्दी के इन बीस कवियों और उनकी कविताओं को विशेष तौर पर पढ़ने का अवसर आपको नहीं मिलेगा। इसलिए अगर हिन्दी साहित्य को अपने आगे के कैरियर का माध्यम बनाना है तो इन कवियों और उनकी काव्यगत विशेषताओं को ध्यान से पढ़ें।
★ पढ़ने से कहीं ज़्यादा महत्त्वपूर्ण पढ़कर लिखना है। लिखने से न केवल पढ़ी गई सामग्री ज़्यादा दिन तक याद रहती है, बल्कि लिखी गई सामग्री आपकी तैयारियों के हिसाब से सुरिक्षत भी रखी जा सकती है। बाद में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए यह ज़्यादा उपयोगी सिद्ध होगी।
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महत्वपूर्ण लिंक:

गोरखनाथ का पद- ' मनसा मेरी व्यौपार बांधौ...'  

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