Skip to main content

तो सांसद-विधायकों से होगा सीधा टकराव?..

    काला कानून, कितना काला!                       

                          लंबी लड़ाई के लिए 

             तैयार हो रहे किसान


★ भाजपा सांसद, विधायक व जनप्रतिनिधियों के दफ्तरों के सामने किसान जलाएंगे कानूनों की प्रतियां

★ पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को उनकी पुण्यतिथि पर किसानों द्वारा श्रद्धांजलि

★ पंजाब के दोआबा से किसानों का बड़ा जत्था आया

★ पंजाब में किसान आंदोलन के 8 महीने पूरे : 100 से ज्यादा जगह पक्के मोर्चे

★ किसानों की लंबे संघर्ष की तैयारी : सभी तरह के इंतजाम कर रहे किसान

तीन कृषि कानूनो के खिलाफ  देश के किसानों की लंबी लड़ाई चल रही है। पंजाब का इस लड़ाई का अहम योगदान है। पिछले साल सितम्बर से पंजाब में मोर्चे लगने लग गए थे। आज पंजाब में आंदोलन शुरू हुए 8 महीने हो गए है। पंजाब के किसानों के संघर्ष का परिणाम है कि राज्य में किसी भी टोल प्लाजा पर टैक्स नहीं लिया जा रहा है। पंजाब के किसान ना सिर्फ सरकारों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे है, बल्कि देश के बड़े कॉरपोरेट्स घरानों के खिलाफ भी बड़ी जंग छेड़े हुए है। किसानों ने हर मौसम में अपने आप को मजबूत रखते हुए सरकार व कॉर्पोरेट के खिलाफ डटकर लड़ाई लड़ी है। पंजाब में 100 से ज्यादा जगहों - टोल प्लाजा, शॉपिंग मॉल, पेट्रोल पंप एवं अन्य स्थानों पर किसानों के शांतमयी धरने चल रहे हैं। यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक किसानों की मांगे पूरी नहीं हो जाती।

संयुक्त किसान मोर्चा की आम बैठक में यह निर्णय लिया गया कि आने वाली 5 जून को 'संपूर्ण क्रांति दिवस" मनाया जाएगा. इसी दिन खेती कानूनों के ऑर्डिनेंस के रूप में घोषित हुए 1 साल हो रहा है। वहीं 5 जून 1974 को जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का नारा देते हुए देश में जन आंदोलन खड़ा किया था । संयुक्त किसान मोर्चा सभी देशवासियों से आह्वान करता है कि वे किसान आंदोलन में समर्थन को जारी रखे व इस दिन भाजपा के सभी सांसद, विधायक और प्रतिनिधि के दफ्तर के बाहर कृषि कानूनों की कॉपी जलाकर संपूर्ण क्रांति मैं अपनी भूमिका निभाएं। समय समय पर सयुंक्त किसान मोर्चा के आह्वान का देशवासियों ने भरपूर समर्थन किया है। सम्पूर्ण क्रांति दिवस पर सभी देशवासियों से आग्रह है कि केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ सम्पूर्ण क्रांति का सकंल्प ले और इसे जनांदोलन बनाते हुए सरकार को मजबूर करें कि वह कानून वापस रद्द करे।

 पूर्व प्रधानमंत्री किसान नेता चौधरी चरण सिंह जी की पुण्यतिथि पर संयुक्त किसान मोर्चा ने उन्हें श्रद्धांजलि दी एवं खेती, किसान और गांव के विकास में उनके योगदान को सलाम किया। प्रेसनोट में कहा गया कि चौधरी चरण सिंह असल मायनो में देश को आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे जिसमें किसान मजदूर व गांव के लोग खुशहाल रह सके। किसानों का इस सरकार पर अविश्वास किसानों को चौधरी चरण सिंह की याद दिलाता है जो किसानों के हर दुख-दर्द को ईमानदारी से समाज व सरकार के सामने रखते थे व उसका समाधान निकालते थे। आज केंद्र की मोदी सरकार कॉर्पोरेट्स पक्षीय सिद्ध हो रही है जहां वो किसानों मजदूरों की बात नहीं सुनती। आज किसान नेताओ ने दिल्ली में किसान घाट पहुंच चौधरी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।

 पंजाब के दोआबा क्षेत्र से किसानों का एक बड़ा जत्था सिंघु बॉर्डर पहुंचा। दोआबा क्षेत्र के किसानों ने इस आंदोलन में अहम योगदान निभाया है। नए जत्थे में किसान सिंघू बॉर्डर पहुंचे और मोर्चा संभाला। इसी तरह अब रोजाना किसानों का आना जारी रहेगा और दिनोंदिन मोर्चा मजबूत होगा।

इसके पूर्व संयुक्त किसान मोर्चा के प्रेस नोट में कहा गया कि दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन को 6 महीने पूरे हो गए। जब किसान पिछले नवंबर में दिल्ली कूच के लिए आए थे तब उनके पास 6 महीने की तैयारियां थी। अब संघर्ष तेज और लंबा होता जा रहा है, इसको ध्यान में रखते हुए किसानों और संयुक्त किसान मोर्चा ने यहां पर उचित प्रबंध भी कर लिए हैं। सिंघु बॉर्डर पर गोल्डन हट पर पहले पानी लंगर और रहने की पूरी सुविधा थी। अब यहां पर सैकड़ों किलो दूध की सेवा रोज हो रही है। साथ ही अन्य समाज कल्याण के संगठनों ने भी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के लिए रहने, खाने , मेडिकल और अन्य जरूरी सेवाओं के इंतजाम किए हुए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा तमाम संगठनों एवं सहयोगियों का अभिनंदन करता है जिन्होंने किसान आंदोलन का किसी भी रूप में समर्थन किया है व किसानों को सुविधाएं प्रदान की है। किसानों का यह आंदोलन एक लंबी लड़ाई है। केंद्र सरकार इन कानूनों को वापस न लेते हुए, किसानों को अन्य मुद्दों में उलझा कर उनके सब्र की परीक्षा ले रही है परंतु किसानों के लगातार जोश ने सरकार को मजबूर किया हुआ है। आने वाले समय में यह लड़ाई ओर भी मजबूत होगी और सरकार को झुकना पड़ेगा।

राजस्थान के बिजोलिया किसान आंदोलन के मुख्य नेता विजय सिंह पथिक के स्मृति दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा गया कि  विजय सिंह पथिक एक प्रगतिशील किसान नेता होने के साथ-साथ एक समाज सुधारक भी थे। उन्होंने जन आंदोलनों के माध्यम से किसानों, ग्रामीणों समेत समाज के हर वर्ग को जागरूक किया। विजय सिंह पथिक ने बौद्धिक विकास के लिए अनेक पत्रिकाओं व अखबार का संपादन भी किया। वे राजस्थान व मध्य प्रदेश के किसानों के आदर्श हैं। संयुक्त किसान मोर्चा आज उनकी स्मृति दिवस पर श्रद्धांजलि भेंट करता है और उन्हें नमन देता है।

प्रेस-विज्ञप्ति जारीकर्ता - 

बलवीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हनन मौला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उग्राहां, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव, अभिमन्यु कोहाड़

काला कानून, कितना काला!   

                               ★★★★★★★

Comments

Popular posts from this blog

मुर्गों ने जब बाँग देना छोड़ दिया..

                मत बनिए मुर्गा-मुर्गी! एक आदमी एक मुर्गा खरीद कर लाया।.. एक दिन वह मुर्गे को मारना चाहता था, इसलिए उस ने मुर्गे को मारने का बहाना सोचा और मुर्गे से कहा, "तुम कल से बाँग नहीं दोगे, नहीं तो मै तुम्हें मार डालूँगा।"  मुर्गे ने कहा, "ठीक है, सर, जो भी आप चाहते हैं, वैसा ही होगा !" सुबह , जैसे ही मुर्गे के बाँग का समय हुआ, मालिक ने देखा कि मुर्गा बाँग नहीं दे रहा है, लेकिन हमेशा की तरह, अपने पंख फड़फड़ा रहा है।  मालिक ने अगला आदेश जारी किया कि कल से तुम अपने पंख भी नहीं फड़फड़ाओगे, नहीं तो मैं वध कर दूँगा।  अगली सुबह, बाँग के समय, मुर्गे ने आज्ञा का पालन करते हुए अपने पंख नहीं फड़फड़ाए, लेकिन आदत से, मजबूर था, अपनी गर्दन को लंबा किया और उसे उठाया।  मालिक ने परेशान होकर अगला आदेश जारी कर दिया कि कल से गर्दन भी नहीं हिलनी चाहिए। अगले दिन मुर्गा चुपचाप मुर्गी बनकर सहमा रहा और कुछ नहीं किया।  मालिक ने सोचा ये तो बात नहीं बनी, इस बार मालिक ने भी कुछ ऐसा सोचा जो वास्तव में मुर्गे के लिए नामुमकिन था। मालिक ने कहा कि कल से तुम्हें अंडे देने होंगे नहीं तो मै तेरा

ये अमीर, वो गरीब!

          नागपुर जंक्शन!..  यह दृश्य नागपुर जंक्शन के बाहरी क्षेत्र का है! दो व्यक्ति खुले आसमान के नीचे सो रहे हैं। दोनों की स्थिति यहाँ एक जैसी दिख रही है- मनुष्य की आदिम स्थिति! यह स्थान यानी नागपुर आरएसएस- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राजधानी या कहिए हेड क्वार्टर है!..यह डॉ भीमराव आंबेडकर की दीक्षाभूमि भी है। अम्बेडकरवादियों की प्रेरणा-भूमि!  दो विचारधाराओं, दो तरह के संघर्षों की प्रयोग-दीक्षा का चर्चित स्थान!..एक विचारधारा पूँजीपतियों का पक्षपोषण करती है तो दूसरी समतामूलक समाज का पक्षपोषण करती है। यहाँ दो व्यक्तियों को एक स्थान पर एक जैसा बन जाने का दृश्य कुछ विचित्र लगता है। दोनों का शरीर बहुत कुछ अलग लगता है। कपड़े-लत्ते अलग, रहन-सहन का ढंग अलग। इन दोनों को आज़ादी के बाद से किसने कितना अलग बनाया, आपके विचारने के लिए है। कैसे एक अमीर बना और कैसे दूसरा गरीब, यह सोचना भी चाहिए आपको। यहाँ यह भी सोचने की बात है कि अमीर वर्ग, एक पूँजीवादी विचारधारा दूसरे गरीबवर्ग, शोषित की मेहनत को अपने मुनाफ़े के लिए इस्तेमाल करती है तो भी अन्ततः उसे क्या हासिल होता है?..  आख़िर, प्रकृति तो एक दिन दोनों को

जमीन ज़िंदगी है हमारी!..

                अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) में              भूमि-अधिग्रहण                         ~ अशोक प्रकाश, अलीगढ़ शुरुआत: पत्रांक: 7313/भू-अर्जन/2023-24, दिनांक 19/05/2023 के आधार पर कार्यालय अलीगढ़ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अतुल वत्स के नाम से 'आवासीय/व्यावसायिक टाउनशिप विकसित' किए जाने के लिए एक 'सार्वजनिक सूचना' अलीगढ़ के स्थानीय अखबारों में प्रकाशित हुई। इसमें सम्बंधित भू-धारकों से शासनादेश संख्या- 385/8-3-16-309 विविध/ 15 आवास एवं शहरी नियोजन अनुभाग-3 दिनांक 21-03-2016 के अनुसार 'आपसी सहमति' के आधार पर रुस्तमपुर अखन, अहमदाबाद, जतनपुर चिकावटी, अटलपुर, मुसेपुर करीब जिरोली, जिरोली डोर, ल्हौसरा विसावन आदि 7 गाँवों की सम्बंधित काश्तकारों की निजी भूमि/गाटा संख्याओं की भूमि का क्रय/अर्जन किया जाना 'प्रस्तावित' किया गया।  सब्ज़बाग़: इस सार्वजनिक सूचना के पश्चात प्रभावित गाँवों के निवासियों, जिनकी आजीविका का एकमात्र साधन किसानी है, उनमें हड़कंप मच गया। एक तरफ प्राधिकरण, सरकार के अधिकारी और नेता अखबारों व अन्य संचार माध्यमों, सार्वजनिक मंचों से ग्रामीणों और शहर