Skip to main content

तो किसान तोड़ देंगे लॉकडाउन का जाल?


                   अब होगा लॉकडाउन का विरोध:

                        दुकानदार खोलेंगे दुकानें!

 

 

यह तो तय लगता था कि जिस तरह किसान केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि एवं कृषि व्यापार सम्बन्धी तीन कानूनों और बिजली संशोधन बिल का विरोध कर रहे हैं, वे लॉकडाउन की सरकारी नीतियों को भी नहीं मानेंगे। किन्तु कोरोना की शुरू हुई 'दूसरी लहर' और संभावित 'तीसरी लहर' से डरकर शायद वे पीछे हट जाएंगे, ऐसी उम्मीद की जा रही थी। लेकिन यहाँ तो उल्टा होता दिख रहा है। कोरोना कहर की सारी जवाबदेही और जिम्मेदारी किसान आंदोलन केंद्र व राज्य सरकारों पर डाल रहा है और इसका विरोध करने का फैसला कर चुका है।...

          पढ़ें 'संयुक्त किसान मोर्चा' की प्रेस विज्ञप्ति:

★ पंजाब के किसान संगठनों का फ़ैसला : 8 मई को पंजाब प्रदेशभर में करेंगे लॉकडाउन का खुलकर विरोध : दुकानदार खोलेंगे दुकानें!

★10 मई व 12 मई को खनौरी व शम्भू बॉर्डर के रास्ते दिल्ली की सीमाओं पर पहुचेंगे किसानों के जत्थे!

★ सरकार से बातचीत को लेकर किसान आशावादी : सरकार साफ नियत से बातचीत शुरू करें!

 संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख अंग पंजाब की 32 किसान संगठनों की बैठक सिंघु बॉर्डर पर हुई। इस बैठक में सभी संगठनों के राज्य स्तर के मुख्य नेता मौजूद रहे। मीटिंग की अध्यक्षता बलदेव सिंह निहालगढ ने की।

बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि केंद्र सरकार कोरोना के खिलाफ लड़ने में असफल रही है।सरकार नागरिको को स्वास्थ्य सुविधाएं व मूलभूत सुविधा जैसे ऑक्सिजन, बेड, दवाइयां आदि प्रदान करने में फेल साबित हुई है। हालांकि भाजपा किसानों के धरनों को कोरोना फैलाने का बड़ा कारण बता रही है परंतु यहाँ किसान जरूरी सावधानियां बरत रहे है। सरकारें अपनी नाकामयाबी छिपाने के लिए व जन विरोधी फैसले लेने के लिए लॉकडाउन लगा रही है। इससे किसानो, मजदूरो, दुकानदारों व आम नागरिकों का जीवन बड़े स्तर पर प्रभावित हुआ है। पंजाब की 32 किसान यूनियनों का यह फैसला है कि 8 मई को पंजाब भर में किसान, मजदूर, दुकानदार बड़ी संख्या में सड़को पर आकर लॉकडाउन का विरोध करेंगे।

बूटा सिंह बुर्जगिल ने बताया कि आने वाली 10 मई व 12 मई को दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब से किसानों के बड़े जत्थे दिल्ली बोर्डर्स के लिए रवाना होंगे व मोर्चो को मजबूत किया जाएगा। बलदेव सिंह निहालगढ ने कहा कि किसानों के धरने हमेशा मजबूत रहेंगे। कटाई का सीजन खत्म हो गया है व अब अलग अलग जत्थों में किसान दिल्ली की तरफ रवाना होंगे।

 किसान नेता सतनाम सिंह अजनाला के अनुसार कोरोना की आड़ में सरकार कॉरपोरेट वर्ग को फायदा करना चाहती है। किसानों-मजदूरो के शोषण सम्बधी फैसले लॉकडाउन में ही लिए गए। बोघ सिंह मानसा ने कहा कि राज्यो के चुनावो में किसानों ने भाजपा का बड़े स्तर पर राजनैतिक नुकसान किया है।

किसान नेता हरिंदर सिंह लखोवाल ने कहा कि सरकार को जान माल का रखवाला कहा जाता है परंतु माल तो छोड़ो सरकार लोगों की जान की रखवाली भी नहीं कर रही। बलविंदर सिंह राजू के अनुसार सरकार कोरोना की आड़ में शोषणकारी फैसले लेती है व इसी दिशा में किसानों की जमीनें छीनना चाहती है।

किसान नेताओ ने कहा है कि वे सरकार से बातचीत के लिए हमेशा तैयार है व पूरी तरह से आशावादी हैं। सरकार किसानों को बदनाम करना बंद करे व साफ नियत से बातचीत करे।

जारीकर्ता- 

अभिमन्यु कोहाड़, बलवीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हनन मौला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उग्राहां, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव

           samyuktkisanmorcha@gmail.com

Comments

Popular posts from this blog

जमीन ज़िंदगी है हमारी!..

                अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) में              भूमि-अधिग्रहण                         ~ अशोक प्रकाश, अलीगढ़ शुरुआत: पत्रांक: 7313/भू-अर्जन/2023-24, दिनांक 19/05/2023 के आधार पर कार्यालय अलीगढ़ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अतुल वत्स के नाम से 'आवासीय/व्यावसायिक टाउनशिप विकसित' किए जाने के लिए एक 'सार्वजनिक सूचना' अलीगढ़ के स्थानीय अखबारों में प्रकाशित हुई। इसमें सम्बंधित भू-धारकों से शासनादेश संख्या- 385/8-3-16-309 विविध/ 15 आवास एवं शहरी नियोजन अनुभाग-3 दिनांक 21-03-2016 के अनुसार 'आपसी सहमति' के आधार पर रुस्तमपुर अखन, अहमदाबाद, जतनपुर चिकावटी, अटलपुर, मुसेपुर करीब जिरोली, जिरोली डोर, ल्हौसरा विसावन आदि 7 गाँवों की सम्बंधित काश्तकारों की निजी भूमि/गाटा संख्याओं की भूमि का क्रय/अर्जन किया जाना 'प्रस्तावित' किया गया।  सब्ज़बाग़: इस सार्वजनिक सूचना के पश्चात प्रभावित ...

ये अमीर, वो गरीब!

          नागपुर जंक्शन!..  यह दृश्य नागपुर जंक्शन के बाहरी क्षेत्र का है! दो व्यक्ति खुले आसमान के नीचे सो रहे हैं। दोनों की स्थिति यहाँ एक जैसी दिख रही है- मनुष्य की आदिम स्थिति! यह स्थान यानी नागपुर आरएसएस- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राजधानी या कहिए हेड क्वार्टर है!..यह डॉ भीमराव आंबेडकर की दीक्षाभूमि भी है। अम्बेडकरवादियों की प्रेरणा-भूमि!  दो विचारधाराओं, दो तरह के संघर्षों की प्रयोग-दीक्षा का चर्चित स्थान!..एक विचारधारा पूँजीपतियों का पक्षपोषण करती है तो दूसरी समतामूलक समाज का पक्षपोषण करती है। यहाँ दो व्यक्तियों को एक स्थान पर एक जैसा बन जाने का दृश्य कुछ विचित्र लगता है। दोनों का शरीर बहुत कुछ अलग लगता है। कपड़े-लत्ते अलग, रहन-सहन का ढंग अलग। इन दोनों को आज़ादी के बाद से किसने कितना अलग बनाया, आपके विचारने के लिए है। कैसे एक अमीर बना और कैसे दूसरा गरीब, यह सोचना भी चाहिए आपको। यहाँ यह भी सोचने की बात है कि अमीर वर्ग, एक पूँजीवादी विचारधारा दूसरे गरीबवर्ग, शोषित की मेहनत को अपने मुनाफ़े के लिए इस्तेमाल करती है तो भी अन्ततः उसे क्या हासिल होता है?.....

हुज़ूर, बक्सवाहा जंगल को बचाइए, यह ऑक्सीजन देता है!

                      बक्सवाहा जंगल की कहानी अगर आप देशी-विदेशी कम्पनियों की तरफदारी भी करते हैं और खुद को देशभक्त भी कहते हैं तो आपको एकबार छतरपुर (मध्यप्रदेश) के बक्सवाहा जंगल और आसपास रहने वाले गाँव वालों से जरूर मिलना चाहिए। और हाँ, हो सके तो वहाँ के पशु-पक्षियों को किसी पेड़ की छाँव में बैठकर निहारना चाहिए और खुद से सवाल करना चाहिए कि आप वहाँ दुबारा आना चाहते हैं कि नहीं? और खुद से यह भी सवाल करना चाहिए  कि क्या इस धरती की खूबसूरत धरोहर को नष्ट किए जाते देखते हुए भी खामोश रहने वाले आप सचमुच देशप्रेमी हैं? लेकिन अगर आप जंगलात के बिकने और किसी कम्पनी के कब्ज़ा करने पर मिलने वाले कमीशन की बाट जोह रहे हैं तो यह जंगल आपके लिए नहीं है! हो सकता है कोई साँप निकले और आपको डस जाए। या हो सकता कोई जानवर ही आपकी निगाहों को पढ़ ले और आपको उठाकर नदी में फेंक दे!..न न यहाँ के निवासी ऐसा बिल्कुल न करेंगे। वे तो आपके सामने हाथ जोड़कर मिन्नतें करते मिलेंगे कि हुज़ूर, उनकी ज़िंदगी बख़्श दें। वे भी इसी देश के रहने वाले हैं और उनका इस जंगल के अलावा और...