और तेज हो रहा किसान आंदोलन
भाजपा के मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और
प्रशासन के कार्यालयों के सामने 3 कृषि अध्यादेशों की
प्रतियां जलाकर जताया किसानों का रोष
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर जहाँ दिल्ली की सीमाओं सहित पूरे देश के अलग-अलग हिस्सों में किसानों ने सांसदों, विधायकों और सरकारी दफ्तरों के सामने किसान क़ानूनों की प्रतियाँ जलाकर विरोध प्रदर्शन किया गया; वहीं उत्तर प्रदेश के कई नए इलाकों में भी किसान आंदोलन विकसित होने के उत्साहबर्द्धक संकेत मिले।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद के गाँव सुखरावली में 26 मई के किसानों के काला दिवस मनाने पर किसानों के खिलाफ झूठे पुलिस मामलों को वापस लेने की मांग करते हुए किसान गांव में ही धरने पर बैठ गए। साथ ही सांसद आवास के समक्ष कानूनों की प्रतियां जलाकर सांसद को ज्ञापन देकर काले कानूनो को वापस लेने की मांग की। किसानों ने जिलाधिकारी से भी मिलकर अपना प्रकट किया। भाकियू-टिकैत, बेरोजगार मजदूर किसान यूनियन, अखिल भारतीय किसान सभा, भाकियू-अम्बावता, भाकियू-स्वराज, भाकियू-महाशक्ति आदि संगठनों की एकजुटता से किसान आंदोलन यहाँ दिन-प्रतिदिन आगे बढ़ रहा है।
जनपद- अलीगढ़ में सांसद के सामने विरोध-प्रदर्शन
जनपद एटा में अखिल भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले किसान इकट्ठा हुए और किसान नेता अखिल संघर्षी के नेतृत्व में किसान विरोधी काले कानूनों का विरोध किया। पुलिस की घेराबंदी में किसानों ने कानून वापस लेने तथा किसानों पर दर्ज फर्जी मुकदमों को वापस लेने की मांग की।
काले कानूनों के खिलाफ़ ज्ञापन, अखिल भारतीय किसान यूनियन
जनपद सीतापुर में एन ए पी एम उत्तर प्रदेश से जुड़े संगतिन किसान मजदूर संगठन ने तीनों कृषि कानून की प्रतियां गांव में जलाई। सीतापुर में ही संयुक्त किसान मोर्चा सीतापुर से जुड़े साथियों के घर विरोध-प्रदर्शन को विफल करने के लिए रात से पुलिस बैठ गयी। यहाँ पुलिस ने लोगों के हाथों से कृषि कानून की प्रतियां छीन ली। पुलिस से लोगों की झड़प भी हुई। बावजूद इसके बिसवां, पिसावां, मिश्रिख के गांवों में तीनों कानून की प्रतियां जलाई गयीं।
जनपद प्रयागराज में अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा ने ग्राम बीकर में किसान कानूनों का प्रतीकात्मक दहन किया तथा तीन काले कृषि विरोधी कानूनों और बिजली बिल 2020 को रद्द करने व सभी कृषि उत्पादों पर लागत से डेढ़ गुना (C2+50) दाम पर खरीद की कानूनी गारंटी देने हेतु आंदोलन तेज करने का संकल्प लिया। संगठन के जिलाध्यक्ष रामकैलाश कुशवाहा ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि योगी सरकार द्वारा 2019 में नदी सम्बन्धी कानून लाकर लाखों खनन मजदूरों की आजीविका पर हमला किया है।
AIKMS- प्रयागराज, काले कानूनों का दहन
जनपद मऊ में किसान सभा नेताओं के घर पर पुलिस ने नाकेबंदी करने के बावजूद किसान विरोधी कानूनों की प्रतियाँ जलाई गईं। जनपद के खुरहट में किसान सभा के राज्य सचिव राम कुमार भारती के घर पर सुबह से ही पुलिस ने नाकेबंदी कर दी l इसी प्रकार जिला किसान सभा के महासचिव हाजी गुफरान अहमद एवं शेख निजामुद्दीन सहित कई नेताओं के गांव में पुलिस ने दबिश डालकर किसान नेताओं को तीन काले कानूनों की प्रति जलाने से रोकने का प्रयास किया l
वाराणसी में पुलिस को चकमा देकर निकले कुछ नेताओं ने राजातालाब तहसील गेट के सामने तीनों काले कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर विरोध प्रकट करते हुए सभा किया। सभा में वक्ताओं ने कहा कि, तीनों काले कृषि कानून तथा बिजली कानून 2020 वापस लो। न्यूनतम समर्थन मूल्य का कानून बनाओ और सरकारी खरीद की गारंटी दो।
वाराणसी में काले कानूूून के खिलाफ़ AIKS का प्रदर्शनघोसी के मानिकपुर असना में किसान नेताओं ने सैंकड़ों किसानों के सामने काले कानूनों को जलाया और उसके बाद पुलिस नेताओं के घर पर दबिश डालकर के बैठ गई l उत्तर प्रदेश किसान सभा के उपाध्यक्ष देवेंद्र मिश्र ने रतनपुरा में अपने साथियों सहित 3 कानूनों की कॉपी को जलाया l उन्होंने बोलते हुए कहा कि किसानों का आंदोलन निरंतर चलता रहेगा जब तक मोदी सरकार इसे वापस नहीं लेती l
इसी तरह 5 जून को संपूर्ण क्रांति दिवस के रूप में मनाए जाने के आह्वान पर कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश की कोरौवा, रमपुरा, उरसान, दुर्राजपुर, मदनपुर एवं डेरापुर ग्राम कमेटियों द्वारा काले कृषि कानूनों एवं बिजली कानून- 2020 के खिलाफ गांव-गांव में जनसभाएं की गई। साथ ही काले कानूनों की प्रतियां भी जलाई गई।
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