संशोधित बिजली कानून
लागू करने की निंदा
संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा दिल्ली की सीमाओं पर चलाए जा रहे किसान आंदोलन के 200 पूरे होने पर मोर्चा ने किसानों को मिलने वाली बिजली सब्सिडी के संबंध में भारत सरकार के द्वारा किए गए नीतिगत बदलावों की कड़ी निंदा की है। मोर्चा का कहना है कि यह कदम न केवल किसान विरोधी है, बल्कि आम जन विरोधी भी है।
जैसा कि हम जानते है हाल ही मे वित्त मंत्रालय ने उन राज्यों को हताश किया है जो कृषि और किसानों को बिजली सब्सिडी प्रदान करते हैं। मंत्रालय ने कृषि संबंधी कुछ शर्तों के आधार पर राज्य सरकारों को अतिरिक्त ऋण देने का फैसला किया है यह शर्तें कुछ इस प्रकार है: इसमें उन राज्यों को अधिक अंक देने का प्रावधान है, जिनके पास कृषि कनेक्शन के लिए बिजली सब्सिडी नहीं है या कृषि मीटर खपत पर सब्सिडी नहीं है या इससे संबंधित खाता ट्रांसफर प्रणाली नहीं है।
किसान आंदोलन की प्रमुख मांगों में से एक, केंद्र सरकार द्वारा विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के कानूनी रास्तों के द्वारा प्रयास करने के संदर्भ में किया गया है जिसमें कृषि में बिजली सब्सिडी को समाप्त करने के प्रस्ताव मौजूद हैं। इस मांग पर भारत सरकार ने 30 दिसंबर 2020 को कानून को वापस लेने पर सहमति जताते हुए किसानों की मांग को मौखिक रूप से मान लिया था। लेकिन अब वही चालें दूसरे रास्ते से की जा रही हैं।
मोर्चा ने बताया है कि टिकरी बार्डर पर महिला सुरक्षा समिति का गठन डॉ जगमती सांगवान द्वारा किया जाएगा, इस समिति मे अन्य सदस्य सुदेश गोयत, अमृता कुंडू, सुमन हुड्डा, शारदा दीक्षित और सुदेश कंडेला होंगे। आंतरिक गलती के कारण, पहले की एक प्रेस विज्ञप्ति में एक गलत फ़ोन नंबर चला गया था। 9650463835 सही फोन नंबर है जहां महिलाएं किसी भी शिकायत निवारण के लिए इस समिति से संपर्क कर सकती हैं।
हरियाणा, झज्जर में भाजपा ने एक नया कार्यालय बना कर आगे बढ़ने की कोशिश की। प्रदर्शन कर रहे किसानों के आक्रोश से बचने के लिए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने शिलान्यास कार्यक्रम का समय पूर्ववत कर दिया, लेकिन प्रदर्शनकारी किसान मौके पर पहुंचे और कार्यालय के लिए रखी नींव को हटा दिया। किसानो ने यह घोषणा की कि यह स्थान एक नया धरना स्थल बनेगा जहां से झज्जर जिले में जनविरोधी भाजपा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
इस दौरान गुरु अर्जुन देव की शहादत को विभिन्न विरोध स्थलों पर सम्मान के साथ मनाया गया।
आंदोलन स्थल पर हर दिन बड़ी संख्या मे प्रदर्शनकारी पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा से पहुँच रहे हैं साथ ही अन्य दूर के राज्यो से भी किसान आंदोलन मे शामिल होने आ रहे हैं।
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