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किसान आंदोलन: परीक्षा का समय

किसान बेवकूफ नहीं!         

                           किसान आंदोलन:

           परीक्षा का समय         

 

  
संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किस  आंदोलन इन दिनों दोहरी परीक्षा से गुजर रहा है। एक तरफ बारिश और तूफान के कारण सीमाओं पर भारी नुकसान हुआ है, सिंघू व टिकरी बॉर्डर पर मुख्य मंच सहित किसानों के बड़ी संख्या में टेंट क्षतिग्रस्त हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ दिल्ली से सटे हरियाणा में किसानों के बहिष्कार आंदोलन से चिढ़े भाजपा नेता किसानों को हिसा के लिए उकसाकर उनसे भिड़ने की नीति पर चल रहे हैं।  

हरियाणा के टोहाना में विधायक देवेंद्र बबली के कार्यक्रम का किसान संगठनों द्वारा विरोध किया गया। किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को हिंसक रंग देने के उद्देश्य से विधायक ने किसानों के साथ गाली गलौच की व अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया। इसके बाद किसानों ने विरोध जारी रखा तो पुलिस द्वारा लाठीचार्ज करवाया गया। जिसमें हरियाणा के जुझारू किसान ज्ञान सिंह बोडी, सर्वजीत सिद्धु और बूटा सिंह फतेहपुरी को गहरे चोटें भी आई। संयुक्त किसान मोर्चा इस बेरहम कार्रवाई की निंदा करता है। किसानों के साथ गंभीर गाली गलौज भी किया गया। यह भाजपा व जजपा की बौखलाहट की झलक है। विधायक ने किसानों पर झूठे इल्जाम लगाते हुए कहा कि किसानों ने विधायक की गाड़ी पर हमला किया परंतु यह बिल्कुल झूठा आरोप है। संयुक्त किसान मोर्चा हरियाणा के किसानों से अपील करता है कि शांतमयी रहते हुए विधायक के इस बर्ताव का कड़ा विरोध किया जाएं। साथ ही हरियाणा के समस्त भाजपा व जजपा नेताओ को चेतावनी देते है कि वे किसानों को न उकसाये वरना नेताओ को बुरे परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। इस घटना के तुरंत बाद किसानों ने विरोधस्वरूप हिसार चंडीगढ़ हाईवे भी जाम किया।

एक दिन पहले चरखी दादरी के एक गांव में भाजपा नेत्री बबीता फोगाट के आने पर भी गांव वालों ने काले झंडे दिखाकर व गाड़ी रोक कर विरोध किया। किसानों का यह विरोध लगातार जारी है। जहां भाजपा व जजपा नेताओं को गांव में न आने की चेतावनी है, वहीं किसान उनके गांव आने पर सख्त विरोध कर रहे हैं। किसानों का यह विरोध शांतमयी है व पहले ही दी गयी चेतावनी के आधार पर है। भाजपा व जजपा के नेताओं पर किसान विरोधी होने का दोष है व किसान हमेशा उनका विरोध करेंगे।

इधर दिल्ली बोर्डर्स पर पिछले कुछ दिनों से युवाओ के बड़े जत्थे आ रहे है। युवाओं ने केएफसी से लेकर सिंघु बॉर्डर मेन स्टेज तक एक पैदल मार्च निकाला। इस मार्च में युवाओं ने सभी बुजुर्ग किसानों के सक्रिय प्रदर्शन की सराहना की और इस आंदोलन में कंधे से कंधा मिलाकर उनका सहयोग देने की वादा किया। इस आंदोलन की शुरुआत से ही युवाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। समय-समय पर हर एक भूमिका में युवाओं ने इस आंदोलन को मजबूत किया है। युवाओं की सक्रिय भागीदारी के कारण से इस आंदोलन में निरंतर ताकत बनी हुई है। सयुंक्त किसान मोर्चा आह्वान करता है कि आने वाले समय में ज्यादा से ज्यादा युवा दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे एवं मोर्चा को मजबूत करें।

सरकार हर साल एमएसपी की घोषणा करते वक्त सभी लागतों को ध्यान में रखती है परंतु पिछले कुछ साल से एमएसपी में कुछ खास वृद्धि न होना सरकार की लापरवाही का नतीजा है। दिनोंदिन बढ़ते डीजल के दाम और अन्य लागत सरकार की गणना से बाहर है व असल मायने में किसान का खर्चा दिनों दिन बढ़ रहा है। एक तरफ सरकार मीडिया में कहती है कि एमएसजी जारी रहेगी परंतु सरकार यह बताने में असफल है कि क्या सभी फसलों पर एमएसपी जारी रहेगी ? और किस दर पर एमएसपी मिलेगी? किसानों की मांग है कि सभी फसलों पर सभी किसानों को C2+50% की लागत पर एमएसपी दी जाए एवं इनपुट कॉस्ट गणना में सही दाम गिने जाए।

यह वह समय है जब भाजपा उत्तर प्रदेश चुनाव की अपनी रणनीति में व्यस्त है। केंद्र सरकार ने किसानों के मुद्दों को दरकिनार करते हुए चुनावी मुद्दों को ज्यादा जरूरी समझा है। दूसरी तरफ संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसान दिल्ली की सीमाओं पर लगातार आ रहे हैं। सिंघु बॉर्डर पर पंजाब के मालवा क्षेत्र से किसानों के किसानों के जत्थे पहुंचे। हालांकि किसान इस मौसम में भी मजबूत रहने की कोशिश कर रहे हैं, संयुक्त किसान मोर्चा ने समाज कल्याण संगठनों और आंदोलन के समर्थकों से अपील की है कि वे धरना स्थल पर हर संभव मदद करें। 

किसान आंदोलन के 6 महीने होने पर एक तरफ जहां दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का लगातार आना जारी है, वही देश-दुनिया के कई हिस्सों में किसानों और किसान समर्थकों ने सक्रियता दिखानी शुरू की है. जिन जगहों पर कोविड लॉकडाउन नहीं है वहां पर किसानों ने शारीरिक रूप से उपस्थिति दर्ज कर हड़ताल की है। वही कई संगठनों ने ऑनलाइन वेबीनार, सेमिनार और अन्य प्लेटफार्म पर किसान आंदोलन के समर्थन में कार्यक्रम किए हैं।

                     - संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेस-विज्ञप्ति पर आधारित●                             

       किसान बेवकूफ नहीं!                                                                                               ★★★★★★★★


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