Skip to main content

बचने की कोशिश में वे और बेनकाब हो रहे हैं!..

                         जन गोलबन्दी 

           और बढ़ रही है!


ठीक है, तुम्हारा राज है! तुम शेरअली बन रहे हो। पर तुम ऐसा सोचने वाले पहले लोग नहीं हो। तुमसे पहले जिन्होंने भी हिटलरी ख़्वाब पाले, मिट्टी में मिल गए ! सुधर जाओ, नहीं तो जनता सुधार देगी। कानून और संविधान से ऊपर मत समझो अपने गिरोह को!...

      जी, राजसत्ता के मद में चूर हुक्मरानों के लिए जनता की यही चेतावनी उनके, बढ़ते किसान आंदोलन के इरादों से प्रकट हो रही है।

 पढ़ें, संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेस-विज्ञप्ति!

★ पूरे भारत में शहीद किसान दिवस मनाया जाएगा - लखीमपुर खीरी के शहीदों की अंतिम अरदास कल (12 अक्टूबर) तिकोनिया में होगी - एसकेएम ने पूरे देश में  प्रार्थना और श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित करने की अपील की - दिन को यादगार बनाने के  लिए कल शाम मोमबत्ती मार्च निकाला जाएगा

★ एसकेएम ने अजय मिश्रा टेनी के केंद्रीय मंत्रिपरिषद में बने रहने और उनकी गिरफ्तारी न होने पर निराशा व्यक्त की - एसकेएम ने कहा। लखीमपुर खीरी किसान नरसंहार में उनकी भूमिका स्पष्ट है और पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा अब तक की कार्रवाई नहीं किया जाना शर्मनाक है - यह तथ्य कि भाजपा और मोदी सरकार अभी भी अजय मिश्रा टेनी का बचाव कर रही है, हमारे इस रुख की पुष्टि करती है कि किसान आंदोलन को कमजोर करने और नष्ट करने के लिए सांप्रदायिक राजनीति और हिंसा को लाया जा रहा है

★ एसकेएम की विरोध कार्यवाही किसी धर्म या आस्था के खिलाफ नहीं है - 15 अक्टूबर की कार्यवाही का आह्वान दशहरा की भावना, बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए है

एसकेएम के आह्वान पर 12 अक्टूबर  को पूरे भारत में शहीद किसान दिवस के रूप में मनाया  जाएगा। कल लखीमपुर खीरी हत्याकांड के शहीदों की अंतिम अरदास तिकुनिया में साहेबजादा इंटर कॉलेज में होगी। इस प्रार्थना सभा में हजारों किसानों के शामिल होने की उम्मीद है और उसी के लिए तैयारी की जा रही है। एसकेएम देश भर के किसान संगठनों और अन्य प्रगतिशील समूहों से पूरे देश में प्रार्थना और श्रद्धांजलि सभा आयोजित करके शहीद किसान दिवस को यादगार बनाने की अपील करता है; शाम को एसकेएम के आह्वान पर मोमबत्ती मार्च आयोजित किया जाएगा। एसकेएम ने लोगों से कल रात 8 बजे अपने घरों के बाहर 5 मोमबत्तियां जलाने का आग्रह किया है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि अजय मिश्रा टेनी को अभी तक बर्खास्त नहीं किया जाना मोदी सरकार की ओर से शर्म की बात है। जहाँ लखीमपुर खीरी की घटनाओं के बाद अजय मिश्रा टेनी के पहले के आपराधिक मामलों का इतिहास लोगों की नजरों में आ गया है, यह स्पष्ट है कि लखीमपुर खीरी हत्याकांड में भी उनकी भूमिका थी। उन्हीं के वाहन उस काफिले में थे जिसने निर्दोष लोगों को कुचल कर मार डाला। तराई क्षेत्र के अल्पसंख्यक सिखों के खिलाफ 25 सितंबर को दिए गए उनके भाषण से यह स्पष्ट होता है कि अजय मिश्रा टेनी ने दुश्मनी, घृणा और द्वेष को बढ़ावा देने की कोशिश की थी। उनका भाषण डराने-धमकाने वाला था, वो भी एक जनसभा में जहां वे गर्व से अपने आपराधिक इतिहास का भी जिक्र कर रहे थे। इस आधार पर अब तक कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए थी, जिससे लखीमपुर खीरी हत्याकांड के पूरे प्रकरण को रोका जा सकता था। यह भी स्पष्ट है कि उन्होंने अपने बेटे आशीष मिश्रा को गिरफ्तार होने से बचाने की पूरी कोशिश की। यह स्पष्ट है कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद में एक मंत्री के रूप में उनका बने रहना, नरेंद्र मोदी द्वारा अपराधियों को शरण देना, नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार की विश्वसनीयता को कम करने की तत्परता, या सार्वजनिक जीवन में नरेंद्र मोदी के अहंकार को नैतिकता से अधिक महत्वपूर्ण मानना, के रूप में ही देखा जा सकता है। इस तरह के अहंकार के कारण किसानों के आंदोलन को अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखना पड़ रहा है, जिसके पिछले साल लाखों किसानों के पहली बार दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे ग्यारह महीने हो चुके हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने और गिरफ्तार करने का 11 तारीख का अल्टीमेटम पहले ही जारी कर दिया था। कल लखीमपुर खीरी में नरसंहार के शहीदों के लिए आयोजित प्रार्थना सभाओं में एसकेएम अपनी घोषित कार्ययोजना को आगे बढ़ायेगा। एसकेएम दोहराता है कि भाजपा-आरएसएस के सांप्रदायिक कार्ड खेलने से किसान आंदोलन को न तो खत्म किया जा सकता है और न ही कमजोर किया जा सकता है, और देश के किसान संघर्ष में एकजुट हैं।

आज लखीमपुर खीरी में सत्र न्यायालय में सुनवाई के बाद आशीष मिश्रा टेनी को 3 दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है, जबकि यूपी एसआईटी ने 14 दिनों के लिए उनकी हिरासत मांगी है। यह काफी चौंकाने वाली बात है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने उसके साथियों को बच कर भागने की अनुमति दे दी है। आशीष मिश्रा ने भी पुलिस द्वारा पूछताछ किए जाने से पहले हलफनामे और पेन ड्राइव के साथ पहुँच कर अपना बचाव करने की कोशिश की। अब तक जिस तरह से गिरफ्तारियों की जांच और पुलिस की कार्रवाई सामने आई है, उससे जाहिर है कि यूपी पुलिस और प्रशासन पर छोड़ दिया गया न्याय अभी बहुत दूर है। एसकेएम ने यूपी सरकार को किसी भी सबूत से छेड़छाड़ के खिलाफ चेतावनी दी, और एक बार फिर मांग की कि इस मामले में जांच तंत्र को सीधे सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट करना चाहिए।

जहां पंजाब भाजपा के एक नेता ने हिंदू त्योहारों के दिन एसकेएम के विरोध कार्यों पर सवाल उठाया है, एसकेएम भाजपा को याद दिलाना चाहता है कि दशहरा बुराई पर सच्चाई और अच्छाई की जीत का त्योहार है। एसकेएम द्वारा दिया गया  आह्वान दशहरे की इसी भावना को प्रतिबिंबित करेगा, और एसकेएम का दिन के अन्य उत्सवों के रास्ते में आने का कोई इरादा नहीं है। किसान आंदोलन ने वास्तव में सभी धर्मों के मूल्यों को अपनाया है और सभी धर्मों के किसानों के बीच एकता और बंधन को बढाया है। एसकेएम की कार्रवाई सरकार और भाजपा के खिलाफ है। आंदोलन में किसान दशहरा मनाएंगे और 15 अक्टूबर को भाजपा नेताओं के पुतले दहन में भी शामिल होंगे। एसकेएम ने पहले ही घोषणा कर दी है कि 12 अक्टूबर के बाद की कार्रवाई अजय मिश्रा टेनी को गिरफ्तार और बर्खास्त नहीं करने की स्थिति में है, और अब यह सुनिश्चित करना भाजपा सरकारों की जिम्मेदारी है कि न्याय सुनिश्चित हो।

सत्तारूढ़ महाराष्ट्र विकास अघाड़ी ने लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्या के खिलाफ आज महाराष्ट्र में राज्यव्यापी बंद की घोषणा की। एसकेएम की भी रिपोर्ट बता रही है कि बंद सफल रहा।

उत्तर प्रदेश पुलिस कई किसानों और किसान नेताओं को लखीमपुर खीरी जाने से रोकने के लिए घेराबंदी कर रही है। प्रयागराज के बारा में कई एआईकेएमएस के नेताओं को अवैध रूप से हिरासत में लिए जाने की खबरें आई हैं। रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि उत्तर प्रदेश सरकार एसकेएम के आह्वान के अनुसार किसानों के विरोध की प्रत्याशा में पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात कर रही है। यह वास्तव में खेदजनक है कि कार्रवाई का आश्वासन देने के बजाय जो न्याय बहाल करे और इस तरह विरोध प्रदर्शन को खत्म करे, यूपी सरकार भाजपा से जुड़े दोषियों को बचाने के अपने प्रयास में, सही कार्रवाई के अभाव में हो रहे विरोध प्रदर्शन के खिलाफ तैयारी कर रही है।

लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड खुद भाजपा नेताओं को शर्मसार और असहज करने वाला है, भले ही पार्टी द्वारा कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही हो। यह भाजपा सांसद वरुण गांधी के और यूपी राज्य भाजपा अध्यक्ष के बयानों से स्पष्ट है, जिन्होंने इस घटना को सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने वाली घटना के रूप में देखा है।

किसानों का विभिन्न जगहों पर भाजपा नेताओं और उनके कार्यक्रमों के खिलाफ प्रदर्शन जारी है। जींद में कल भाजपा की एक कार्यशाला के विरोध में जींद-पानीपत राजमार्ग पर शांतिपूर्ण जाम लगा रहा। खबर है कि इस आयोजन से भाजपा नेताओं और भाजपा के कुछ विधायकों को पिछले दरवाजे से छिप कर भागना पड़ा। हरियाणा के एलेनाबाद में भाजपा-जजपा उम्मीदवार गोविंद कांडा को किसानों के गुस्से का सामना करना पड़ा। इस बीच चंडीगढ़ में खबर है कि भाजपा नेताओं के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया और पीटा है।

गांधी जयंती पर चंपारण में शुरू हुई लोकनीति सत्याग्रह पदयात्रा उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर गई है। सैकड़ों प्रदर्शनकारियों का पैदल मार्च 20 अक्टूबर को पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचेगा। कल यात्रा सीताब दियारा (लोकनायक जयप्रकाश नारायण के पैतृक गांव) पहुंची और दुबे छपरा में रात बिताई।

इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के संदर्भ में संपूर्ण क्रांति का आह्वान करने वाले स्वतंत्रता सेनानी, समाजवादी और राजनेता, भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण की आज 119वीं जयंती है। संयुक्त किसान मोर्चा इस अवसर पर लोकनायक को सम्मान के साथ याद करता है।

हरियाणा के गोहाना में किसानों ने राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को 13 अक्टूबर को गोहाना में एक कार्यक्रम में भाग लेने के खिलाफ चेतावनी दी है, और कहा है कि अगर सीएम कार्यक्रम में शामिल होते हैं तो वे काले झंडे से विरोध करेंगे।

प्रेसविज्ञप्ति जारीकर्ता -

बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव

                              ★★★★★★★★


Comments

Popular posts from this blog

नागपुर जंक्शन-दो दुनिया के लोग

          नागपुर जंक्शन!..  आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राजधानी या कहिए हेड क्वार्टर!..डॉ भीमराव आंबेडकर की दीक्षाभूमि! अम्बेडकरवादियों की प्रेरणा-भूमि!  दो विचारधाराओं, दो तरह के संघर्षों की प्रयोग-दीक्षा का चर्चित स्थान!.. यहाँ दो व्यक्तियों को एक स्थान पर एक जैसा बन जाने का दृश्य है। दोनों बहुत कुछ अलग।  इन दोनों को आज़ादी के बाद से किसने कितना अलग बनाया, आपके विचारने के लिए है।  अमीर वर्ग, एक पूँजीवादी विचारधारा दूसरे गरीबवर्ग, शोषित की मेहनत को अपने मुनाफ़े के लिए इस्तेमाल करती है तो भी उसे क्या मिल जाता है?..  आख़िर, प्रकृति तो एक दिन दोनों को एक ही जगह पहुँचा देती है!... आप क्या सोचते हैं? ..  

मुझसे जीत के दिखाओ!..

कविता:                     मैं भी चुनाव लड़ूँगा..                                  - अशोक प्रकाश      आज मैंने तय किया है दिमाग खोलकर आँख मूँदकर फैसला लिया है 5 लाख खर्चकर अगली बार मैं भी चुनाव लड़ूँगा, आप लोग 5 करोड़ वाले को वोट देकर मुझे हरा दीजिएगा! मैं खुश हो जाऊँगा, किंतु-परन्तु भूल जाऊँगा आपका मौनमन्त्र स्वीकार 5 लाख की जगह 5 करोड़ के इंतजाम में जुट जाऊँगा आप बेईमान-वेईमान कहते रहिएगा बाद में वोट मुझे ही दीजिएगा वोट के बदले टॉफी लीजिएगा उसे मेरे द्वारा दी गई ट्रॉफी समझिएगा! क्या?..आप मूर्ख नहीं हैं? 5 करोड़ वाले के स्थान पर 50 करोड़ वाले को जिताएँगे? समझदार बन दिखाएँगे?... धन्यवाद... धन्यवाद! आपने मेरी औक़ात याद दिला दी 5 करोड़ की जगह 50 करोड़ की सुध दिला दी!... एवमस्तु, आप मुझे हरा ही तो सकते हैं 5 लाख को 50 करोड़ बनाने पर बंदिश तो नहीं लगा सकते हैं!... शपथ ऊपर वाले की लेता हूँ, आप सबको 5 साल में 5 लाख को 50 करोड़ बनाने का भरोसा देता हूँ!.. ताली बजाइए, हो सके तो आप भी मेरी तरह बनकर दिखाइए! ☺️☺️

आपके पास विकल्प ही क्या है?..

                          अगर चुनाव              बेमतलब सिद्ध हो जाएं तो? सवाल पहले भी उठते रहते थे!... सवाल आज भी उठ रहे हैं!... क्या अंतर है?...या चुनाव पर पहले से उठते सवाल आज सही सिद्ध हो रहै हैं? शासकवर्ग ही अगर चुनाव को महज़  सर्टिफिकेट बनाने में अपनी भलाई समझे तो?... ईवीएम चुनाव पर पढ़िए यह विचार~ चुनाव ईवीएम से ही क्यों? बैलट पेपर से क्यों नहीं? अभी सम्पन्न विधानसभा चुनाव में अनेक अभ्यर्थियों, नुमाइंदों, मतदाताओं ने ईवीएम में धांधली गड़बड़ी की शिकायत की है, वक्तव्य दिए हैं। शिकायत एवं वक्तव्य के अनुसार जनहित में वैधानिक कारवाई किया जाना नितांत आवश्यक है।।अतः चुनाव आयोग एवं जनता के हितार्थ नियुक्त उच्च संस्थाओं ने सभी शिकायतों को संज्ञान में लेकर बारीकी से जांच कर,निराकरण करना चाहिए। कई अभ्यर्थियों ने बैटरी की चार्जिंग का तकनीकी मुद्दा उठाया हैं जो एकदम सही प्रतीत होता है। स्पष्ट है चुनाव के बाद या मतगणना की लंबी अवधि तक बैटरी का 99% चार्जिंग  यथावत रहना असंभव~ नामुमकिन है।  हमारी जानकारी के अनुसार विश्व के प्रायः सभी विकसित देशों में ईवीम से चुनाव प्रतिबंधित है,बैलेट पेपर से चुनाव