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क्या हिंसा से दबा दिया जाएगा किसान आंदोलन?

                            हिंसा और बदले की कार्रवाई से

                   किसान आंदोलन को 

          खत्म करने की कोशिश


यह कोई नई बात नहीं है, न ही अजूबी है। शासकवर्ग जनता के आंदोलनों को ख़त्म करने, बदनाम करने, लाठियाँ-गोलियाँ  बरसाने की कोशिशें अंग्रेजों के जमाने से और उससे भी पहले से करता रहा है। सुई की नोक बराबर भी जमीन की मांग न स्वीकार करने, महाभारत रचने, प्रतिभाशाली धनुर्धरों का अंगूठा काट लेने, विरोधियों के सिर हाथियों से कुचलवा देने अथवा जिंदा ही दीवार में चिनवा देने आदि-आदि बर्बर काण्डों की कहानियों से हम परिचित हैं। बहादुर शाह जफर के बेटों के सिर काटकर तस्तरी में पेश करने, जलियांवाला बाग काण्ड से लेकर न जाने कितने क्रूरतम कारनामे इतिहास में दर्ज़ हैं। अपनी सत्ताओं को बनाने और बचाने के लिए शासकों ने कितनी तरह की यातनाएं विरोधियों को दी है, मानव सभ्यता के विकास का रक्तरंजित इतिहास उसका गवाह है।...

        लेकिन परिणाम क्या रहा?.. बर्तोल्त ब्रेख्त याद आते हैं: 

'जिन्होंने नफ़रत फैलाई, क़त्ल किए

और खुद खत्म हो गए

नफ़रत से याद किए जाते हैं...

जिन्होंने मुहब्बत का सबक पढ़ाया और आगे कदम बढ़ाए

मुहब्बत से याद किए जाते हैं...'

वर्तमान किसान आंदोलन से निपटने की शासकवर्गों की तिकड़में कुछ ऐसी ही लगती हैं!

संयुक्त किसान मोर्चा की यह प्रेस-विज्ञप्ति जरूर पढ़िए!

★ संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली मोर्चों पर भाजपा-आरएसएस के गुंडों के द्वारा शांति भंग करने के प्रयासों की निंदा करता है - हिंद मजदूर किसान समिति जैसे सरकार - भाजपा प्रायोजित समूहों से आंदोलनकारी किसानों को उकसाने और विरोध स्थलों पर हिंसा भड़काने की कोशिश से बचने की चेतावनी देता है

★ आज टिकरी मोर्चा पर एक दुर्घटना में तीन महिला आंदोलनकारी किसानों की मौत हो गई, संयुक्त किसान मोर्चा ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि हम इन बहादुर महिला प्रदर्शनकारियों की मृत्यु पर शोकसंतप्त हैं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं - किसी भी तरह की गड़बड़ी को खारिज करने के लिए गहन जांच की जरूरत है

★ भारत सरकार किसान आंदोलन की बढ़ती ताकत से घबराई हुई है, और आंदोलन समर्थकों को परेशान करने और डराने की कोशिश कर रही है - एनआरआई समर्थकों के ओसीआई कार्ड और दीर्घकालिक वीजा भारत सरकार द्वारा रद्द करवाए जा रहे हैं - सरकार की इस तरह की कार्रवाइयों की कड़ी निंदा की जाती है: एसकेएम

कल, उत्तर प्रदेश से आ रहे 'हिंद मजदूर किसान समिति' के नेतृत्व में भाजपा-आरएसएस के गुंडों, जिन्होंने पहले मोदी सरकार के कॉर्पोरेट-समर्थक किसान विरोधी कानूनों का समर्थन किया है, को दिल्ली पुलिस ने सिंघू मोर्चा की ओर बढ़ने से रोक दिया। वे स्पष्ट रूप से लखबीर सिंह के लिए न्याय की मांग कर रहे थे, जिनकी 15 अक्टूबर को सिंघू सीमा पर कुछ निहंग सिखों द्वारा हत्या कर दी गई थी। हिंद मजदूर किसान समिति जाहिर तौर पर भाजपा का एक प्रमुख संगठन है, जिसने पूर्व में कृषि कानूनों के समर्थन में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की थी। उक्त संगठन के सोशल मीडिया पेज पर दी गई जानकारी के अनुसार केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान हिंद मजदूर किसान समिति के पदाधिकारी हैं। एसकेएम स्पष्ट रूप से इसे भाजपा सरकार द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को परेशान करने के एक और हताश प्रयास के रूप में देखता है। एसकेएम ने मोर्चा स्थलों पर शांति भंग करने के लिए भाजपा-आरएसएस और उससे जुड़ी संस्थाओं के प्रयास की निंदा की और उन्हें इस तरह के प्रयासों से दूर रहने की चेतावनी दी। एसकेएम ने एक बार फिर मांग की है कि लखबीर सिंह की बर्बर हत्या की पूरी घटना की जांच सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश द्वारा की जानी चाहिए। एसकेएम ने कहा कि किसान आंदोलन को बदनाम करने और उस पर हमला करने की पूरी साजिश तभी सार्वजनिक होगी।

आज तड़के, एक दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण घटना में, टिकरी मोर्चा पर एक टिपर ट्रक (संख्या HR55N-2287) द्वारा तीन महिला आंदोलनकारियों की मौत हो गई और दो अन्य महिला आंदोलनकारी गंभीर रूप से घायल हो गईं। घायलों को पीजीआईएमएस रोहतक ले जाया गया। इस हादसे में मानसा जिले के खिवा दियालुवाला की अमरजीत कौर, गुरमेल कौर और सुखविंदर कौर की जान चली गई। गुरमेल कौर और हरमीत कौर घायल हो गईं हैं। एसकेएम इन बहादुर महिला आंदोलनकारियों की मॄत्यु पर शोकसंतप्त है। एसकेएम ने कहा, हम घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं और उनके ठीक होने में सहयोग करेंगे। एसकेएम ने किसी भी तरह की गड़बड़ी से बचने के लिए घटना की निष्पक्ष और गहन जांच की भी मांग की।

आज केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह का पंजाब के घरुआन के एक निजी विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम, किसानों के विरोध के कारण रद्द करना पड़ा। कार्यक्रम और श्री राजनाथ सिंह के विरोध में बड़ी संख्या में किसान एकत्र हुए थे, जिसके बाद विश्वविद्यालय ने अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया, और प्रदर्शन कर रहे किसानों से उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए माफी मांगी।

यह जानकारी मिली है कि भारत सरकार ने किसान आंदोलन के कई एनआरआई समर्थकों के ओसीआई (भारत के प्रवासी नागरिक) कार्ड और दीर्घकालिक वीजा रद्द कर दिया है। भारत सरकार के अनुसार, वे "भारत विरोधी गतिविधियों" में शामिल थे। इस आंदोलन का समर्थन किसी भी तरह से "भारत विरोधी" गतिविधि नहीं माना जा सकता है। सरकार यह बताने की कोशिश कर रही है कि वह इस तरह की कार्रवाइयों से चल रहे आंदोलन और उसकी बढ़ती ताकत से डर गई है। संयुक्त किसान मोर्चा भारत सरकार की इस कार्रवाई की निंदा करता है, और साफ करता है कि ऐसी प्रतिक्रिया केवल भारत सरकार को दुनिया के सामने गलत ठहराती है। एसकेएम की मांग है कि सरकार संयुक्त राज्य अमेरिका से दर्शन सिंह धालीवाल जैसे समर्थकों के निर्वासन के मामले सहित अपने अलोकतांत्रिक और सत्तावादी कार्यों को बंद करे।

कई स्थानों पर किसान, पिंक बॉलवर्म से कपास की फसल को हुए नुकसान के मुआवजे, हाल ही में हुई बारिश के कारण क्षतिग्रस्त फसलों के लिए आपदा मुआवजे, और सही तरीके से धान खरीद शुरू करने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। एसकेएम का कहना है कि इन सभी मामलों में संबंधित सरकारों को किसानों की जायज़ मांगों को तुरंत पूरा करना चाहिए।

पता चला है कि लखीमपुर खीरी में एक फर्जी शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने गुरविंदर सिंह और विचित्र सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। इन दोनों प्रदर्शनकारियों को पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है। धारा 147, 323, 324, 336 और 302 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

भारत में वर्तमान उर्वरक की कमी न केवल भारत सरकार द्वारा योजना और प्रबंधन की कमी को दर्शाती है, बल्कि कालाबाजारी को नियंत्रित करने में उसकी उदासीनता को भी दर्शाती है। सरकार के दावे और आख्यान, कि इसने महामारी के मद्देनजर बाजार के उतार-चढ़ाव के लिए सुरक्षा जाल बनाया है, का झूठ उजागर हो चुका है। एसकेएम की मांग है कि सरकार उर्वरकों के स्टॉक और आपूर्ति को पर्याप्त, समय पर, और सुचारु आपूर्ति, और सख्त मूल्य नियंत्रण के लिए तत्काल विनियमित करे।

यदि अजय मिश्रा टेनी को गिरफ्तार और मंत्री पद से बर्खास्त नहीं किया जाता है, तो 11 नवंबर 2021 से, अखिल भारतीय किसान महासभा के नेतृत्व में लखीमपुर खीरी जिले के पलिया से निघासन तक "खेत- खेती किसान बचाओ यात्रा" का आयोजन किया जाएगा। 13 को निघासन में बड़ी रैली का आयोजन होगा। उन्हीं तिथियों पर पूरे उत्तर प्रदेश और विशेष रूप से पूर्वांचल में पदयात्रा, उपवास धरना और रैलियां आयोजित की जाएंगी, जिसमें योगी सरकार द्वारा किसान नेताओं के खिलाफ पुलिस दमन को तुरंत रोकने की मांग की जाएगी।

प्रेसविज्ञप्ति जारीकर्ता --

बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह।

                             ★★★★★★★★

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