दिल्ली की सीमाओं से आगे...
संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में जारी किसान आंदोलन अब देशव्यापी होने साथ-साथ सघन भी होता जा रहा है। देश के दक्षिणी राज्यों- केरल, तमिलनाडु, गोवा आदि में अन्य किसानों के साथ-साथ मछुआरों का भी आंदोलन को भारी समर्थन मिल रहा है। होली के अवसर पर किसानों ने जगह-जगह किसान-विरोधी कानूनों की प्रतियां जलाईं। इसी क्रम में किसान आंदोलन के 125वें दिन जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति से पता चलता है कि यह आंदोलन अब विकेन्द्रित आंदोलन के रूप में कहीं ज़्यादा गति से विकसित हो रहा है।
125वें दिन डॉ. दर्शनपाल द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा निम्नलिखित निर्णय लिए गए:-
1. 5 अप्रैल को FCI बचाओ दिवस मनाया जाएगा जिस दिन देशभर में FCI के दफ्तरों का घेराव किया जाएगा।
2. 10 अप्रैल को 24 घण्टो के लिए केएमपी ब्लॉक किया जाएगा।
3. 13 अप्रैल को वैशाखी का त्यौहार दिल्ली की सीमाओं पर मनाया जाएगा।
4. 14 अप्रैल को डॉ भीम राव अम्बेडकर की जयंती पर सविंधान बचाओ दिवस मनाया जाएगा।
5. 1 मई मजदूर दिवस दिल्ली के बोर्डर्स पर मनाया जाएगा। इस दिन सभी कार्यक्रम मजदूर किसान एकता को समर्पित होगा।
6. मई के पहले पखवाड़े में संसद कूच किया जाएगा। इसमें महिलाएं, दलित-आदिवासी-बहुजन, बेरोज़गार युवा व समाज का हर तबका शामिल होगा। यह कार्यक्रम पूर्ण रूप से शांतमयी होगा। अपने गावों शहरों से दिल्ली के बॉर्डर तक लोग अपने वाहनों से आएंगे। इसके बाद दिल्ली के अनेक बॉर्डर्स तक पैदल मार्च किया जाएगा। निश्चित तारीख की घोषणा आने वाले दिनों में कर दी जाएगी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में गुरनाम सिंह चढूनी, प्रेम सिंह भंगू, सतनाम सिंह अजनाला, रविंदर कौर, संतोख सिंह, बूटा सिंह बुर्जगिल, जोगिंदर नैण व प्रदीप धनकड़ मौजूद रहे।
त्रिवेन्द्रम में No Vote for BJP/NDA के बैनर लगा रहे किसान नेता बीजू व अन्य नेताओं पर भाजपा आरएसएस के कार्यकर्ताओं द्वारा हमला किया गया व उनको पीटा गया। हम इसकी कठोर शब्दो मे निंदा करते है व इस व्यवहार का विरोध करते है। किसान मोर्चा ने आह्वान किया है कि जनता भाजपा के खिलाफ वोट करें।
मिट्टी सत्याग्रह यात्रा के तहत यात्रियों को दांडी में किसानों द्वारा 100 गांव की मिट्टी तथा बारदोली में 50 गाँव से लाई गई मिट्टी सौंपी गई। उमराची में यात्रा का स्वागत किया गया। यात्रियों ने बताया कि मोदी सरकार किसानों की मिट्टी (जमीन) छीनकर पूँजीवादियों को सौंपना चाहती है। इसके खिलाफ यह यात्रा निकाली जा रही है। किसान आंदोलन के दौरान देश की मिट्टी को बचाने के लिए 320 से ज्यादा किसान शहीद हुए हैं। शहीद स्मारक बनाकर उन्हें याद करने के लिए यह यात्रा गांधी जी की प्रेरणा से निकाली जा रही है।
यात्रा को उमराची में गुजरात पुलिस ने रोक दिया। देश का किसान लोकतंत्र बचाने की लड़ाई को लड़ रहा है।
मिट्टी सत्याग्रह की दूसरी यात्रा नर्मदा बचाओ आंदोलन और जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वय की नेत्री मेधा पाटकर के नेतृत्व में मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में राजघाट से शुरू की गई। मिट्टी सत्याग्रह यात्रा में शामिल नर्मदा घाटी के किसान, मजदूर, मछुआरों के प्रतिनिधि गांधी समाधि, राजघाट (कुकरा) बड़वानी से रतलाम, मंदसौर होकर राजस्थान के डूंगरपुर जाएंगे, जहां पर दोनों यात्राएं मिलेगी तथा दिल्ली बॉर्डर (शाहजहांपुर, टिकरी, गाजीपुर, सिंघू) की ओर बढ़ेंगी।
तमिलनाडु के कन्याकुमारी के नजदीक मनाकुडी में किसानों व मछुआरों की एक बड़ी महापंचायत आयोजित की गई। इस रैली में हज़ारों की संख्या में किसान, मजदूर व मछुआरे शामिल हुए। कई क्षेत्रीय मुद्दों समेत राष्ट्रीय मुद्दों पर हुई इस पंचायत में लोगों ने कहा कि वे चुनावो ने भाजपा व उसके सहयोगियों को सबक सिखायेंगे। इस कार्यक्रम में 300 से ज्यादा नावों ने समुद्र में काले झंडे दिखाकर सरकार के खिलाफ अपना विरोध जताया।
इसी समय गाजीपुर बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा गाजीपुर बॉर्डर की ओर से प्रेस वार्ता करके एक परिपत्र जारी किया गया। परिपत्र 'इन कानूनों में काला क्या है' के मुख्य विचारबिन्दु हैं:
★ किसान एमएसपी की मांग क्यों कर रहे हैं,
★गन्ना किसानों पर व समय पर भुगतान पर क्या खराब असर पड़ेगा,
★ इन कानूनों का बंटाईदारों व पशुपालकों पर क्या असर है
★ बिजली बिल से क्या परेशानी होने जा रही है
★ सरकार द्वारा कानूनों को स्थगित करने पर किसानों का क्या विरोध है।
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