किसान-मजदूर संगठनों के लिए आह्वान
यद्यपि संयुक्त किसान मोर्चा के नेता डॉ. दर्शन पल ने सीधे तौर पर किसी स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत की घोषणा नहीं की है, किन्तु सरकार ने जिस तरह का रवैया अपनाया है और किसान संगठन जिस तरह अपने आंदोलन के नित नए तरीके अपना रहे हैं; उससे ऐसा ही लगता है कि भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत के दिन (10 मई, 1857) को एक महत्वपूर्ण दिन बनाया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से आह्वान किया गया है कि उस दिन देश के सभी किसान-मजदूर संगठनों के प्रतिनिधि सिंघु बॉर्डर पहुँचे।
संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता के अनुसार लाखों किसान तीन किसान विरोधी व कॉरपोरेट पक्षीय कानूनों का विरोध शुरू से स्थानीय स्तर पर कर रहे है और पिछले साल नवंबर के अंत से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में, वे सभी किसानों के लिए पारिश्रमिक एमएसपी की कानूनी गारंटी की भी मांग कर रहे हैं। 143 दिनों के विरोध के बावजूद, भीषण ठंड, बारिश और गर्मी के मौसमो में, किसानों की जायज मांगे पूरी नहीं हुई है व इसके कारण 385 से अधिक किसान शहीद भी हो गए हैं। इन सबके बीच राजनीतिक नेताओं ने इसके बजाय राज्य चुनावों पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश की है।
यह उचित समय है कि जब हमें इस गैर जिम्मेदार सरकार के समक्ष विरोधस्वरूप विशाल शक्ति प्रदर्शन पेश करने के लिए एकजुट होना चाहिए और हम एक साथ आकर सरकार को बताएं कि नागरिकों को इस तरह से अनदेखा नहीं किया जा सकता है।
संयुक्त किसान मोर्चा अब 10 मई 2021 को सिंघू बॉर्डर (हरियाणा के सोनीपत जिले में दिल्ली का एक बॉर्डर) में एक राष्ट्रीय किसान सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। जैसा कि आप जानते हैं कि 10 मई 1857 को भारत में हमारे स्वतंत्रता संग्राम के पहले जन विद्रोह की शुरुआत हुई थी। इस सिपाही विद्रोह या आज़ादी के पहले युद्ध मे किसानों और मजदूरों की सक्रिय भागीदारी व नेतृत्व था।
हम पूरे भारत से इन सगंठनों के प्रतिनिधियों को 10 मई को राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं। हम आपसे अनुरोध करते हैं कि इसके अनुसार कृपया अपनी यात्रा सम्बधी व्यवस्था व योजना बना लें, आपके रहने व भोजन की व्यवस्था यहीं सिंघु बॉर्डर पर मोर्चे द्वारा की जाएगी।
samyuktkisanmorcha@gmail.com
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