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ताज का राज

               केवल संख्या बल से कुछ

                   नहीं होता!..

केवल संख्या-बल से कुछ नहीं होता

हिंदुस्तानियों..

अंग्रेज़ तुमसे बहुत कम थे!

अन्य देशों से आकर

राज क़ायम करने वाले दूसरे शत्रु भी!


कबूतर हमेशा नहीं उड़ जाया करते

बहेलिए का जाल लेकर!..

अक्सर शिकारी के

शिकार बनते हैं या

उनके रहमोकरम पर

दाना चुनते हैं!


इन दिनों ही देखो,

कितने कम हैं तुम पर 

राज करने वाले

उनसे भी बहुत कम हैं

उन्हें

राज का ताज पहनाने वाले!


अगर तुम नहीं समझ सकते

लोकतांत्रिक ताज़ का राज़ तो

बहुमत का गणित-तंत्र तो

समझने की कोशिश करो...

अस्सी करोड़ से ज़्यादा

बिना दया के राशन के

नहीं रह पाएंगे, इसकी हकीकत

इसकी परिस्थिति तो समझो!..


मत लड़ो उनके इशारों पर

जिन्होंने सदियों सिर्फ़

धोखा दिया है

राजमहल में रहने वालों ने

सोचो, तुम्हारे साथ

और क्या-क्या किया है...

 

सोचो कि आज नौकरी भी

कितनी बची है

तुम्हारे पास सर पर छत की

जमीन भी नहीं

और उन्होंने एक और

पुष्पक विमान की कल्पना

रची है!...

जबकि

चन्द्रमा और मंगल

सिद्ध हो चुके हैं अपूर्ण पृथ्वी

तुम्हारे दिलो-दिमाग में

तीर-धनुष की कैसी

धूम मची है...


पृथ्वी पर रहने वालों मनुष्यों

खुद को बचाओ उन शत्रुओं से

जो जानवर बन खा जाना चाहते हैं

तुम्हारा वर्तमान और भविष्य

निगल जाना चाहते हैं

स्वर्गादपि गरीयसी

यह पृथ्वी!...


पौराणिक कथाओं

और मिथकों की अनकही

दास्तानों को जानो

हो सके तो

जो दिल कहे, दिमाग स्वीकारे

वही मानो!..

 

                 ★★★★★★

Comments

  1. बहुत बेजोड़ कविता...

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद जी!☺️☺️

      Delete

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