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यह 'काला दिन' इतना काला क्यूँ?

                        28 मई, 2023

                   भारतीय लोकतंत्र का 

              काला दिन क्यों है?

सोचिए, समझिए, कुछ कीजिए:

1-नई संसद भवन के उद्घाटन के लिए आंबेडकर-नेहरू-भगत सिंह के जन्म दिन को चुनने की जगह सावरकर के जन्म दिन ( 28 मई) को चुना गया। इस तरह राष्ट्रीय नायकों को अपमानित किया गया। हिंदू राष्ट्र के पैरोकार सावरकर को भारत का राष्ट्रीय नायक घोषित किया गया।

2- आज भारतीय लोकतंत्र की विरासत को चोल राजवंश और सावरकर से जोड़कर इसका हिंदूकरण  (ब्राह्मणीकरण) किया गया।

3- आज आंबेडकर-नेहरू और संविधान की भावनाओं-विचारों को रौंदते हुए पोंगा-पंथी पंडा-पुरोहितों को संसद भवन में प्रवेश दिया गया।

4-आज राजाओं-महराजाओं के सामंती राजदंड ( सेंगोल ) को भारतीय जन संप्रुता के केंद्र संसद में स्थापित किया गया।

5- वर्णाश्रम धर्मी-ब्राह्मणवादी चोल वंश के राजदंड के नाम पर सेंगोल को स्थापित करके भारतीय लोकतंत्र को कलंकित किया गया।

6-- आज भारतीय गणतंत्र की प्रमुख राष्ट्रपति को नज़रन्दाज़ कर प्रधानमंत्री को प्राचीन काल के राजा की तरह पेश किया गया।

7- आज देश की गौरव-हमारी बेटियों के साथ पुलिस ने बर्बरतापूर्ण कार्रवाई की। सेंगोल राजदंड का उनके खिलाफ इस्तेमाल हुआ।

8- आज आरएसएस का हिंदू राष्ट्र बनाने का स्वप्न एक कदम और आगे बढ़ा। संसद और संविधान में ब्राह्मणवाद और वेदों को जगह मिली।

9- आज भारतीय जनतंत्र के प्रमुख प्रधानमंत्री ने पंडे-पुरोहितों के सामने संसद भवन के परिसर में दंडवत कर भारतीय लोकतंत्र और जन संप्रभुता को कलंकित किया।

10-आज भारतीय संविधान, लोकतंत्र और जनसंप्रभुता पर आरएसएस और उसके स्वयंसेवक नरेंद्र मोदी ने एक और हमला बोला।

                            - प्रस्तुति(संशोधित): राजीव रंजन

                            ★★★★★★

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