आपका दुःख उनका दुःख नहीं,
16 दिन से अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे किसानों ने आखिरकार अमरोहा सांसद महोदय को अपनी दुःखद दास्तान सम्बन्धी पत्र लिखा। आख़िर वे जन प्रतिनिधि हैं। सांसद, विधायक इसीलिए चुने जाते हैं कि वे और कुछ न भी कर सके तो उनकी आवाज़ तो संसद-विधानसभा में उठाएं! इतने दिन से धरनारत रहने के बावजूद प्रशासन ने किसानों की फसल को नष्ट करके किसानों की तरफ देखा भी नहीं! कोई सुध नहीं ली! 16 दिन कम नहीं हैं किसानों की सुध लेने के लिए। आखिर वे लोक सेवक ही तो हैं! लेकिन न तो प्रशासन, न शासन और न ही जन-प्रतिनिधि अपने को वह समझते हैं जो वे हैं। शायद वे खुद को किसी राजशाही या अंग्रेजी-शासन जैसा कोई महानायक या सामन्त/राजा समझते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो न इनके पास अकूत संपत्ति बटुरती, न जनता से खुद को अलग समझते! फ़िलहाल किसानों द्वारा सांसदजी को लिखा पत्र (सम्पादित) पढ़िए और समझिए कि देश का कौन-सा विकास किसकी कीमत पर हो रहा है!
सेवा में,
माननीय सांसद दानिश अली जी,
लोकसभा-अमरोहा, उत्तर प्रदेश
हम कुछ किसान लोग जोकि फरीदपुर सिंभावली, तहसील गढ़मुक्तेश्वर, जिला- हापुड़, उत्तर प्रदेश क्षेत्र के रहने वाले हैं, सरकार द्वारा गंगा एक्सप्रेस-वे में अधिग्रहण की जा रही जमीनों के सरकारी सर्कल रेट से भी मुआवजा न मिलने की वजह से पीड़ित हैं। हम किसानों को सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों की गलतियों के कारण परेशान होना पड़ रहा है। प्रशासन द्वारा की गई इन गलतियों के बारे में किसानों ने समय-समय पर हमेशा लिखित एप्लीकेशंस के द्वारा और मौखिक में भी सभी अधिकारियों को इतला दी हुई है, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। इनमें से कुछ मुख्य मुद्दे निम्न प्रकार हैं:
(1) एक 5 बीघे का खेत किसान वीरेश वीर सिंह व उसके भाइयों का है, जिसमें गन्ने की खड़ी फसल को ग्रेडर और जेसीबी से जबरदस्ती प्रशासन द्वारा उजाड़कर नष्ट कर दिया गया है, जबकि अभी तक न तो जमीन का कोई मुआवजा सरकार ने दिया है और न ही इनकी 2 लाख से ज्यादा कीमत की फसल का। इन किसानों का खसरा नं 449/0.4100 हेक्टेयर में से 0.4030 हेक्टेयर का अधिग्रहण किया है जबकि प्रशासन ने पुरी जमीन 0.4100 हेक्टेयर पर कब्जा कर लिया है। दूसरा इन किसानों का खसरा नं 439/3.6270 हेक्टेयर में से कुल 0.0190 हेक्टेयर का अधिग्रहण किया गया है जबकि 0.0600 हेक्टेयर पर प्रशासन ने कब्जा किया हुआ है। इस सम्बन्ध में Arbitrary कोर्ट में सैक्सन 64 के अन्तर्गत समयावधि में ही वाद दायर किया जा चुका है। लेकिन अभी तक इस किसान की समस्या पर कोई सुनवाई नहीं हुई है क्योंकि Arbitrary कोर्ट में पिछले दो साल से कोई जज की नियुक्ति ही नहीं हुई है। यह सब इन किसानों के साथ बिना किसी नोटिस के हुआ है। अब इन किसानों ने अपने खेत में धरना भी दे रखा है, लेकिन प्रशासन कोई सुनवाई नहीं कर रहा है।
(2) किसान गुरदयाल सिंह पुत्र स्वर्गीय श्री हुक्म सिंह, जोकि खसरा नं. 469/0.4360 हेक्टेयर के मालिक हैं। इन्हें इस रकबे में से 0.3778 हेक्टेयर का बैनामा हुआ है, लेकिन 0.4360 में से बाकी बची हुई 0.0582 हेक्टेयर को भी प्रशासन ने बिना मुआवजा दिये अपने कब्जे में कर लिया है। बिना नोटिस दिये खेत में खड़ी ज्वार की फसल को उजाड़ दिया गया है। इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री पोर्टल सहित जिला अधिकारी को 31 अगस्त 2022 को ही सूचना दे दी गई थी। लेकिन एक साल के लगभग बीत जाने के बाद भी प्रशासन ने अभी तक इस किसान की समस्या का कोई निवारण नहीं किया है।
(3) किसान अशोक कुमार व इनके परिवार, जोकि खसरा नं. 608 के मालिक हैं, इनकी जमीन NH-09 हापुड-मुरादाबाद वाईपास पर स्थित है और यह प्रार्थी की खतौनी में भी दर्ज है। इनके एक साइड में NH-09 और NH-24 को जोडने वाली लिंक रोड और तीसरी साइड आम रास्ता है। इसके बाबजूद भी प्रार्थियों को सामान्य भूमि का मुआवजा दिया गया है जबकि इनकी जमीन तीन तरफ से राष्ट्रीय राजमार्गों से घिरी है। इस सम्बन्ध में Arbitrary कोर्ट में सैक्सन 64 के अन्तर्गत समयावधि में ही वाद दायर किया जा चुका है। लेकिन अभी तक इस किसान की समस्या पर कोई सुनवाई नहीं हुई है क्योंकि Arbitrary कोर्ट में पिछले दो साल से कोई जज की नियुक्ति ही नहीं हुई है।
(4) किसान हरी सिंह पुत्र श्री फगना, जोकि खसरा नं. 398 के 0.0350 हेक्टेयर के मालिक हैं। इन्हें इस रकबे में से 0.0011 हेक्टेयर का अधिग्रहण हुआ है, लेकिन प्रशासन द्वारा पूरी की पूरी 0.0350 हेक्टेयर जमीन को जब्त कर लिया गया है। इस सम्बन्ध में जिला अधिकारी को 18 मई 2022 को ही सूचना दे दी गई थी। इसका बाद भी गढ़मुक्तेश्वर तहसीलदार को दिनांक 6 सितम्बर 2022 को लिखित सूचना दी जा चुकी है। लेकिन एक साल से भी ज्यादा बीत गया है, परन्तु प्रशासन ने अभी तक इस किसान की समस्या का कोई निवारण नहीं किया है।
(5) एक खसरा नं 451/0.8850 हेक्टेयर का खेत किसान मनीष सिंह का है, जिसमें से 0.5708 हेक्टेयर का अधिग्रहण किया गया है। इसकी जमीन गंगा एक्सप्रेस वे में आ रही है और जमीन NH-09 पर स्थित है। लेकिन किसान को सामान्य वर्ग का मुआवजा रुपये 580 वर्ग मीटर के हिसाब से दिया गया है जबकि इसे रुपये 1350 वर्ग मीटर के हिसाब से मिलना चाहिये था। इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश और जिला अधिकारी को बार-बार लिखित में एप्लीकेशन दी जा चुकी है। लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
(6) खसरा नं 452 नाम सुरेन्द्र सिंह पुत्र श्री दरयाव सिहं~ इस किसान को मुआवजा कम दिया गया है और जमीन अधिग्रहण कर ली गई है।
(7) खसरा नं 453 नाम जयवीर सिंह पुत्र श्री कुंवरपाल सिहं~ इस किसान को मुआवजा कम दिया गया है और जमीन ज्यादा अधिग्रहण की गई है।
(8) खसरा नं 454 नाम रणवीर सिंह पुत्र श्री उमराव सिहं~ इस किसान को मुआवजा कम दिया गया है और जमीन ज्यादा अधिग्रहण की गई है।
(9) खसरा नं 455 नाम जसबीर सिंह पुत्र श्री राम सिहं~ इस किसान को मुआवजा कम दिया गया है और जमीन ज्यादा अधिग्रहण की गई है।
(10) खसरा नं 443 नाम विनय कुमार पुत्र श्री ग्रन्थ सिहं~ इस किसान को मुआवजा कम दिया गया है और जमीन ज्यादा अधिग्रहण की गई है। इनकी टयूववेल भी गई है परन्तु उसका मुआवजा नहीं मिला है।
(11) खसरा नं 418 नाम जगवीर सिंह पुत्र श्री हुक्म सिहं~ इस किसान को मुआवजा कम दिया गया है और जमीन ज्यादा अधिग्रहण की गई है। इनका वोरिंग भी है जिसका मुआवजा नहीं मिला है।
(12) बहुत से अन्य किसान पीड़ित हैं जिनकी जमीन रेलवे लाइन और मध्य गंग नहर के बीच की है और गंगा एक्सप्रेस वे में आ रही है।
अतः आपसे निवेदन है जो किसानों की समस्याएं हैं वह पॉइंट हम इसमें शामिल कर रहे हैं। इनसे समस्याओं से सम्बन्धित जो भी अधिकारी हैं, उनको आदेश दिया जाए कि इन किसानों की समस्याओं को जल्द से जल्द दूर किया जाए और जो इनका हक बनता है, दिलाया जाए।
धरना में उपस्थित: अध्यक्ष सरदार बलविंदर सिंह एडवोकेट, मुकुल कुमार त्यागी पश्चिमी प्रदेश प्रभारी//प्रवक्ता पश्चिमीप्रदेश, महासचिव चौधरी वीरपाल सिंह, मंडल प्रभारी मेरठ तरुण सिवाल, जिला अध्यक्ष विरेश चौधरी, जिला संयोजक नरेंद्र चौधरी, अमरिक सिंह, वाहब चौधरी, अशोक डीगरा, राजपाल सिंह विनय सोमबीर सुदेश वीर ओमपाल सिंह जयप्रकाश त्यागी, तिलकराम त्यागी, चौधरी मनवीर सिंह आदि।
मूल प्रस्तुति: RKMS 20/07/2023 (व्हाट्सऐप)
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