Skip to main content

JFME Call



       Joint Forum For Movements On Education                                                  (J F M E)

      An Appeal on Onslaught of Public--funded
                                Education System

READ, THINK and SUPPORT!

 पढ़िए, समझिए, साथ दीजिये:







Comments

Popular posts from this blog

नागपुर जंक्शन-दो दुनिया के लोग

          नागपुर जंक्शन!..  आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राजधानी या कहिए हेड क्वार्टर!..डॉ भीमराव आंबेडकर की दीक्षाभूमि! अम्बेडकरवादियों की प्रेरणा-भूमि!  दो विचारधाराओं, दो तरह के संघर्षों की प्रयोग-दीक्षा का चर्चित स्थान!.. यहाँ दो व्यक्तियों को एक स्थान पर एक जैसा बन जाने का दृश्य है। दोनों बहुत कुछ अलग।  इन दोनों को आज़ादी के बाद से किसने कितना अलग बनाया, आपके विचारने के लिए है।  अमीर वर्ग, एक पूँजीवादी विचारधारा दूसरे गरीबवर्ग, शोषित की मेहनत को अपने मुनाफ़े के लिए इस्तेमाल करती है तो भी उसे क्या मिल जाता है?..  आख़िर, प्रकृति तो एक दिन दोनों को एक ही जगह पहुँचा देती है!... आप क्या सोचते हैं? ..  

मुझसे जीत के दिखाओ!..

कविता:                     मैं भी चुनाव लड़ूँगा..                                  - अशोक प्रकाश      आज मैंने तय किया है दिमाग खोलकर आँख मूँदकर फैसला लिया है 5 लाख खर्चकर अगली बार मैं भी चुनाव लड़ूँगा, आप लोग 5 करोड़ वाले को वोट देकर मुझे हरा दीजिएगा! मैं खुश हो जाऊँगा, किंतु-परन्तु भूल जाऊँगा आपका मौनमन्त्र स्वीकार 5 लाख की जगह 5 करोड़ के इंतजाम में जुट जाऊँगा आप बेईमान-वेईमान कहते रहिएगा बाद में वोट मुझे ही दीजिएगा वोट के बदले टॉफी लीजिएगा उसे मेरे द्वारा दी गई ट्रॉफी समझिएगा! क्या?..आप मूर्ख नहीं हैं? 5 करोड़ वाले के स्थान पर 50 करोड़ वाले को जिताएँगे? समझदार बन दिखाएँगे?... धन्यवाद... धन्यवाद! आपने मेरी औक़ात याद दिला दी 5 करोड़ की जगह 50 करोड़ की सुध दिला दी!... एवमस्तु, आप मुझे हरा ही तो सकते हैं 5 लाख को 50 करोड़ बनाने पर बंदिश तो नहीं लगा सकते हैं!... शपथ ऊपर वाले की लेता हूँ, आप सबको 5 साल में 5 लाख को 50 करोड़ बनाने का भरोसा देता हूँ!.. ताली बजाइए, हो सके तो आप भी मेरी तरह बनकर दिखाइए! ☺️☺️

आपके पास विकल्प ही क्या है?..

                          अगर चुनाव              बेमतलब सिद्ध हो जाएं तो? सवाल पहले भी उठते रहते थे!... सवाल आज भी उठ रहे हैं!... क्या अंतर है?...या चुनाव पर पहले से उठते सवाल आज सही सिद्ध हो रहै हैं? शासकवर्ग ही अगर चुनाव को महज़  सर्टिफिकेट बनाने में अपनी भलाई समझे तो?... ईवीएम चुनाव पर पढ़िए यह विचार~ चुनाव ईवीएम से ही क्यों? बैलट पेपर से क्यों नहीं? अभी सम्पन्न विधानसभा चुनाव में अनेक अभ्यर्थियों, नुमाइंदों, मतदाताओं ने ईवीएम में धांधली गड़बड़ी की शिकायत की है, वक्तव्य दिए हैं। शिकायत एवं वक्तव्य के अनुसार जनहित में वैधानिक कारवाई किया जाना नितांत आवश्यक है।।अतः चुनाव आयोग एवं जनता के हितार्थ नियुक्त उच्च संस्थाओं ने सभी शिकायतों को संज्ञान में लेकर बारीकी से जांच कर,निराकरण करना चाहिए। कई अभ्यर्थियों ने बैटरी की चार्जिंग का तकनीकी मुद्दा उठाया हैं जो एकदम सही प्रतीत होता है। स्पष्ट है चुनाव के बाद या मतगणना की लंबी अवधि तक बैटरी का 99% चार्जिंग  यथावत रहना असंभव~ नामुमकिन है।  हमारी जानकारी के अनुसार विश्व के प्रायः सभी विकसित देशों में ईवीम से चुनाव प्रतिबंधित है,बैलेट पेपर से चुनाव