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Against Victimisation of Teachers!...


                              निरंकुशता के खिलाफ़ 
                           शिक्षकों का विशाल धरना





                     डॉ भीमराव आंबेडकर आगरा विश्वविद्यालय में गत छह मार्च को एक विशाल धरने का आयोजन किया गया। यह धरना मुख्यतः बीरी सिंह महाविद्यालय के प्राचार्य द्वारा डॉ ज्वाला सिंह और अन्य दो महिला साथियों के साथ किये गए अन्याय और दुर्व्यवहार तथा अन्य मांगों को लेकर दिया गया। धरने में उपकुलपति के अविवेकपूर्ण और तानाशाही रवैये के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया गया। धरने के बाद महामंत्री डॉ निशांत चौहान द्वारा निम्न निर्णय की जानकारी दी गई-
 1. डॉ ज्वाला सिंह के निलंबन की ससम्मान वापसी के लिए कुलपति को केवल एक सप्ताह का समय दिया गया है।
2. कुलपति द्वारा औटा प्रतिनिधियों से अभद्रता, कुलपति की हठधर्मिता, मनमानी तरीके से नियमो की अनदेखी करते हुए कार्य करने के विरोध में *जोरदार* तरीके से *पोल खोल* अभियान चलाया जायेगा।
3. प्रतिदिन राज्यपाल महोदय, मुख्यमंत्री महोदय, आदि को समाचार पत्रों की कटिंग एवं शिकायती पत्र भेजा जायेगा।
4. एक सप्ताह बाद केंद्रीय संघर्ष समिति भविष्य की रणनीति तय करेगी।
              धरने के बाद कुछ शिक्षकों ने आक्रोश व्यक्त किया कि कई बार अनुरोध करने के बावज़ूद न तो डॉ ज्वाला सिंह और अन्य भुक्तभोगी महिला शिक्षक साथियों को बोलने का समय दिया गया, न ही इस मुद्दे को विशेष अहमियत दी गई। बढ़ते आक्रोश के बाद माइक हटा लिए जाने के बाद डॉ ज्वाला सिंह सहित कुछ साथियों ने अपना विचार रखा। डॉ ओमवीर सिंह एवं डॉ अमित राना ने शिक्षक महासंघ के पदाधिकारियों के रवैये के खिलाफ़ अपना क्षोभ व्यक्त किया। डॉ अमित राना का कहना था कि इस 'धरने की सबसे विचित्र बात ये रही कि धरने का सबसे महत्वपूर्ण व पहला बिंदु डा ज्वाला सिंह का निलंबन का प्रकरण था परंतु डा ज्वाला सिंह के कई बार सभा में बोलने के आग्रह को नजरंदाज किया जाता रहा वहीं हमारी बहन डा निर्मला सिंह ने महामंत्री जी से तीन बार सभा को सम्बोधित करने का अनुरोध किया परंतु उसे भी नजरंदाज किया जाता रहा।और रही बात मेरी मुझे भी तीन डा निशांत जी से अनुरोध करना पडा कि मुझे बोलने का अवसर दिया जाये परंतु मुझे भी अवसर नहीं दिया गया। मजबूर होकर मैं खुद ही बिना बुलाए माईक पर पहुंचा ओर सामने बैठे शिक्षक साथीयों के कहने पर मुझे बोलने दिया गया। बात ये नहीं समझ आयी कि जो लोग बोलना चाहते थे उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा था। मगर आप सभी शिक्षक साथीयों के सहयोग से सभा समाप्त होने के बाद फिर से दोबारा सभा संचालित की गई और डा ज्वाला सिंह व डा निर्मला सिंह को बोलने का अवसर दिया गया। ये अप्रत्याशित घटना है जिसके दूर गामी परिणाम होंगे। डा ज्वाला सिंह के निलंबन के प्रकरण को  एक माह बीत जाने पर भी राहत नहीं मिलने की वजह से आज आम शिक्षक साथीयों ने ओटा पदाधिकारियों को आईना दिखाने का काम किया।'...
        किन्तु धरने की सबसे बड़ी विशेषता विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में आये अध्यापकों की उपस्थिति थी। ■■■



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