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कौन हैं नंद के बाप, जसोदा के नाना?



      माई  रे लोटा में रंग लिहे 
     मैं जात रह्यौं नगरी बरसाना 
                                 संग रहीं दुइ चारि अली 
                           वृषभानु लली रहीं गावति गाना।

                              हाथ मरोरि के छोरि के रंग 
                             भिगोइ दिहे चुनरी मनमाना 
                                   ऊपर से मुस्कात रहे 
                            वै नंद कै बाप जसोदा कै नाना।।

                                                     -अष्टभुजा शुक्ल 

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