श्रद्धांजलि:
स्टीफेन हॉकिंग: अनंत सम्भावनाओं का सितारा
हाँ, स्टीफेन हॉकिंग!...“ज्ञान का सबसे बड़ा शत्रु अज्ञान नही, ज्ञान का वहम है!” इसलिए कि ज्ञान की कोई सीमा नहीं!...वह अनन्त संभावनाओं का अनंत कोष है। वह इस धरती में छिपा मानव सभ्यता और विकास की अनंत संभावनाओं का द्वार भी है! इसलिए स्वयं को 'पूर्ण' और ज्ञानी समझने वाला ही ज्ञान का असली शत्रु है, अज्ञानी है, उसे ही ऐसा वहम होता है, वही स्वयं को भगवान घोषित करता-करवाता है!...तुमने स्वयं अपने महान व्यक्तित्व से यह सिद्ध भी किया। एक मनुष्य का क्या, वह तो अपनी भूमिकाएं जैसी निभा पाएगा, निभाएगा- फिर अदृश्य हो जाएगा, समाप्त हो जाएगा। उसके बारे में न जाने कितनी कहानियां रची जाएंगी, कुछ सच्ची... कुछ झूठी, पर उसे आगे बढ़कर ज़िंदा वही रखेगा जो कहानियों में नहीं हकीक़त में उसे जिएगा!...तुम्हारे बारे में भी ऐसा ही होगा जैसा तुम्हारे उन पूर्वजों के बारे में हुआ, जिन्हें तुमने जिया-आगे बढ़ाया। इसलिए तुम्हारे जैसे लोगों के बारे में 'अमरता' जैसे शब्द रचे गए हैं- एक शरीर या जीवन के लिए नहीं जिन्हें तुमने बड़ी शिद्दत के साथ खारिज़ किया बल्कि एक निरन्तरता के रूप में जिसके प्रतीक तुम स्वयं थे! इस जगत और जगत के बाहर 'एक और दुनिया संभव है!' की अनंत संभावनाओं के चितेरे थे तुम!...हार्दिक श्रद्धांजलि!
कुछ श्रद्धांजलियां जो स्टीफेन हॉकिंग के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालती हैं (विभिन्न स्रोतों से उद्धृत):
Stephanie Thompson:
I don't think you can have a brilliant mind without a social consciences...without the latter it is a closed mind....
Parkaer:
So true to his beliefs. An incredible mind. So few academics with such critical thinking . Always enquiring .n searching for rreasons n answers. Formost he was a positive thinker! ...
teleSUR English:
...He wasn't just one of the most brilliant minds of our times, he was also someone with a social conscience and critical of capitalism, saying:
"If machines produce everything we need, the outcome will depend on how things are distributed. Everyone can enjoy a life of luxurious leisure if the machine-produced wealth is shared, or most people can end up miserably poor if the machine-owners successfully lobby against wealth redistribution. So far, the trend seems to be toward the second option, with technology driving ever-increasing inequality."
Rest in power, Stephen Hawking.
अनिल जनविजय:
ब्रह्माण्ड का रहस्य बताने वाले वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का निधन
हो गया। वे 76 वर्ष के थे। उन्होंने 'अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' नाम की पुस्तक लिखी थी। वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक ब्रह्मांड विज्ञान केन्द्र ( सेंटर ऑफ थियोरेटिकल कोस्मोलॉजी) के शोध निर्देशक रहे। हॉकिंग व्हीलचेयर पर रहते थे। उन्होंने बताया था- ''21 वर्ष की उम्र में डॉक्टरों ने मुझे बता दिया था कि मुझे मोटर न्यूरोन नामक लाइलाज बीमारी है।''
हॉकिंस 1963 में मोटर न्यूरॉन बीमारी के शिकार हुए और डॉक्टरों ने कहा कि उनके जीवन के सिर्फ दो साल बचे हैं। लेकिन वह पढ़ने के लिए कैम्ब्रिज चले गये और एल्बर्ट आइंस्टिन के बाद दुनिया के सबसे महान सैद्धांतिक भौतिकीविद बने।
दुनिया के इस सबसे प्रसिद्ध भौतिकीविद और ब्रह्मांड विज्ञानी पर 2014 में ‘थ्योरी ऑफ एवरीथिंग’ नामक एक फिल्म भी बन चुकी है।
भास्कर चौधरी:
कम्प्युटर और अन्य उन्नत इलेक्ट्रॉनिक मशीनों के सहारे पूर्व में तीन शब्द फिर दो और विगत कुछ वर्षों एक शब्द प्रति मिनट की अत्यंत धीमी गति से अपने विचारों को संप्रेषित करने वाले स्टीफन हॉकिंग के असीम धैर्य और अथक परिश्रम का इस धरती पर कोई दूसरा जोड़ नहीं था. स्टीफन हॉकिंग जब चार या पांच वर्ष के थे तो डॉक्टरों ने उनका जीवन बहुत छोटा बताया था पर उनके आत्मबल और विज्ञान पर असीम विश्वास ने उन्हें एक जीवित किंवदंती बना दिया.. आज आइंस्टीन का जन्मदिन है और आज ही स्टीफन हॉकिंग दिवंगत हुए.. समय, ब्रह्मांड, प्रकाश की गति, सापेक्षता आदि विषयों पर दुनिया की आंखे खोलने वाले महान वैज्ञानिक द्वय को शत-शत नमन!★★★
स्टीफेन हॉकिंग: अनंत सम्भावनाओं का सितारा
हाँ, स्टीफेन हॉकिंग!...“ज्ञान का सबसे बड़ा शत्रु अज्ञान नही, ज्ञान का वहम है!” इसलिए कि ज्ञान की कोई सीमा नहीं!...वह अनन्त संभावनाओं का अनंत कोष है। वह इस धरती में छिपा मानव सभ्यता और विकास की अनंत संभावनाओं का द्वार भी है! इसलिए स्वयं को 'पूर्ण' और ज्ञानी समझने वाला ही ज्ञान का असली शत्रु है, अज्ञानी है, उसे ही ऐसा वहम होता है, वही स्वयं को भगवान घोषित करता-करवाता है!...तुमने स्वयं अपने महान व्यक्तित्व से यह सिद्ध भी किया। एक मनुष्य का क्या, वह तो अपनी भूमिकाएं जैसी निभा पाएगा, निभाएगा- फिर अदृश्य हो जाएगा, समाप्त हो जाएगा। उसके बारे में न जाने कितनी कहानियां रची जाएंगी, कुछ सच्ची... कुछ झूठी, पर उसे आगे बढ़कर ज़िंदा वही रखेगा जो कहानियों में नहीं हकीक़त में उसे जिएगा!...तुम्हारे बारे में भी ऐसा ही होगा जैसा तुम्हारे उन पूर्वजों के बारे में हुआ, जिन्हें तुमने जिया-आगे बढ़ाया। इसलिए तुम्हारे जैसे लोगों के बारे में 'अमरता' जैसे शब्द रचे गए हैं- एक शरीर या जीवन के लिए नहीं जिन्हें तुमने बड़ी शिद्दत के साथ खारिज़ किया बल्कि एक निरन्तरता के रूप में जिसके प्रतीक तुम स्वयं थे! इस जगत और जगत के बाहर 'एक और दुनिया संभव है!' की अनंत संभावनाओं के चितेरे थे तुम!...हार्दिक श्रद्धांजलि!
कुछ श्रद्धांजलियां जो स्टीफेन हॉकिंग के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालती हैं (विभिन्न स्रोतों से उद्धृत):
Stephanie Thompson:
I don't think you can have a brilliant mind without a social consciences...without the latter it is a closed mind....
Parkaer:
So true to his beliefs. An incredible mind. So few academics with such critical thinking . Always enquiring .n searching for rreasons n answers. Formost he was a positive thinker! ...
teleSUR English:
...He wasn't just one of the most brilliant minds of our times, he was also someone with a social conscience and critical of capitalism, saying:
"If machines produce everything we need, the outcome will depend on how things are distributed. Everyone can enjoy a life of luxurious leisure if the machine-produced wealth is shared, or most people can end up miserably poor if the machine-owners successfully lobby against wealth redistribution. So far, the trend seems to be toward the second option, with technology driving ever-increasing inequality."
Rest in power, Stephen Hawking.
अनिल जनविजय:
ब्रह्माण्ड का रहस्य बताने वाले वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का निधन
हो गया। वे 76 वर्ष के थे। उन्होंने 'अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' नाम की पुस्तक लिखी थी। वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक ब्रह्मांड विज्ञान केन्द्र ( सेंटर ऑफ थियोरेटिकल कोस्मोलॉजी) के शोध निर्देशक रहे। हॉकिंग व्हीलचेयर पर रहते थे। उन्होंने बताया था- ''21 वर्ष की उम्र में डॉक्टरों ने मुझे बता दिया था कि मुझे मोटर न्यूरोन नामक लाइलाज बीमारी है।''
हॉकिंस 1963 में मोटर न्यूरॉन बीमारी के शिकार हुए और डॉक्टरों ने कहा कि उनके जीवन के सिर्फ दो साल बचे हैं। लेकिन वह पढ़ने के लिए कैम्ब्रिज चले गये और एल्बर्ट आइंस्टिन के बाद दुनिया के सबसे महान सैद्धांतिक भौतिकीविद बने।
दुनिया के इस सबसे प्रसिद्ध भौतिकीविद और ब्रह्मांड विज्ञानी पर 2014 में ‘थ्योरी ऑफ एवरीथिंग’ नामक एक फिल्म भी बन चुकी है।
भास्कर चौधरी:
कम्प्युटर और अन्य उन्नत इलेक्ट्रॉनिक मशीनों के सहारे पूर्व में तीन शब्द फिर दो और विगत कुछ वर्षों एक शब्द प्रति मिनट की अत्यंत धीमी गति से अपने विचारों को संप्रेषित करने वाले स्टीफन हॉकिंग के असीम धैर्य और अथक परिश्रम का इस धरती पर कोई दूसरा जोड़ नहीं था. स्टीफन हॉकिंग जब चार या पांच वर्ष के थे तो डॉक्टरों ने उनका जीवन बहुत छोटा बताया था पर उनके आत्मबल और विज्ञान पर असीम विश्वास ने उन्हें एक जीवित किंवदंती बना दिया.. आज आइंस्टीन का जन्मदिन है और आज ही स्टीफन हॉकिंग दिवंगत हुए.. समय, ब्रह्मांड, प्रकाश की गति, सापेक्षता आदि विषयों पर दुनिया की आंखे खोलने वाले महान वैज्ञानिक द्वय को शत-शत नमन!★★★
RIP!... The great Stephen Hawking! You are really an immortal star!
ReplyDeleteA man with power and courage ...an example of fighting spirit of mankind!
ReplyDelete