शुभ दीपावली, सच की दीपावली! सबकी दीपावली!! शुभ लिखो, सबको लिखो जैसा लिखो, वैसा दिखो! है अगर दिखता कहीं कुछ भी अंधेरा टिमटिमाते दीप सा रौशन दिखो। एक सूरज ही नहीं देता उजाला रात में सूरज नहीं कुछ करने वाला डूबता है धुप अंधेरे में जहाँ जब एक टिमटिम दीप ही देता उजाला। दौर फुलझड़ियों का ही है ये अगर लाखों दिल डूबे अंधेरे में मगर सदियां गुज़री रोशनी आई नहीं अब भी है ग़मगीन जीवन का सफ़र। रोशनी के भी लुटेरे होते क्या शोषकों के ही सवेरे होते क्या है अगर ऐसा नहीं तो सच कहो हैं अंधेरे रोशनी को ढोते क्या? सच की भी दीपावली होगी जरूर मत अंधेरे झूठ पर करना गुरूर फुलझड़ी की रोशनी में भी दीप तो खुशियों की उम्मीद सा दिखता हुज़ूर! अब लिखो या तब लिखो देर हो अंधेर हो जब लिखो दीप खुशियों का सच्चा तो जले सपने सच करते हुए तो दिखो! ★★★ ★★★ ★★★
CONSCIOUSNESS!..NOT JUST DEGREE OR CERTIFICATE! शिक्षा का असली मतलब है -सीखना! सबसे सीखना!!.. शिक्षा भी सामाजिक-चेतना का एक हिस्सा है. बिना सामाजिक-चेतना के विकास के शैक्षिक-चेतना का विकास संभव नहीं!...इसलिए समाज में एक सही शैक्षिक-चेतना का विकास हो। सबको शिक्षा मिले, रोटी-रोज़गार मिले, इसके लिए जरूरी है कि ज्ञान और तर्क आधारित सामाजिक-चेतना का विकास हो. समाज के सभी वर्ग- छात्र-नौजवान, मजदूर-किसान इससे लाभान्वित हों, शैक्षिक-चेतना ब्लॉग इसका प्रयास करेगा.