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खत्म नहीं हो रहा किसान आंदोलन: बड़े बदलाव के लिए तैयार हो रहा है!

            समझौता, स्थगन और 

               आगे की रणनीति


फ़िलहाल, संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली सीमाओं पर एक साल से अधिक समय से चल रहा धरना समाप्त कर घर वापसी का निर्णय ले लिया है। लेकिन इसे किसान आंदोलन की समाप्ति के रूप में न कहकर 'वर्तमान आंदोलन को फिलहाल स्थगित कर दिया गया' रूप में विज्ञापित किया गया है। वैसे भी संयुक्त किसान मोर्चा नाम से न सही, किसान आंदोलन तो चलते ही रहेंगे! ज़्यादा सम्भावना है कि स्थानीय स्तर पर लोगों को इस साल भर चले सफल धरने से मिली ऊर्जा से किसान आन्दोलनों को और गतिशील बनाने में मदद 
मिलेगी। ऐतिहासिक और सफल आंदोलन की गूंज भविष्य में भी सुनाई देती रहेगी तथा इससे जनांदोलनों और जनतंत्र को मजबूती मिलती रहेगी।
संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेस-विज्ञप्ति पढ़ें:

भारत सरकार ने, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव के माध्यम से, संयुक्त किसान मोर्चा को एक औपचारिक पत्र भेजा, जिसमें विरोध कर रहे किसानों की कई लंबित मांगों पर सहमति व्यक्त की गई - इसके जवाब में संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली सीमाओं पर राष्ट्रीय राजमार्गों और अन्य स्थानों पर चल रहे विभिन्न मोर्चों को हटाने की औपचारिक घोषणा करता है - वर्तमान आंदोलन को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है - लड़ाई जीत ली गई है और किसानों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए, विशेष रूप से सभी किसानों के लिए एमएसपी के कानूनी अधिकार को सुरक्षित करने के लिए सँघर्ष जारी रहेगा: एसकेएम

एसकेएम लखीमपुर खीरी सहित आंदोलन के लगभग 715 शहीदों को संघर्ष की शानदार और ऐतिहासिक जीत समर्पित करता है - एसकेएम सभी विरोध कर रहे किसानों और नागरिकों और अपने समर्थकों को अभूतपूर्व संघर्ष और आंदोलन के शानदार जीत के लिए तहे दिल से बधाई देता है।

किसानों की एकता, शांति और धैर्य जीत की कुंजी रही है और इसे किसी भी परिस्थिति में खत्म नहीं होने दिया जाएगा,यह किसानों ने शपथ ली है - एसकेएम ने सतर्क रहने और वादा सुनिश्चित कराने का सामूहिक निर्णय लिया है।

यह देखते हुए कि देश सीडीएस बिपिन रावत और उनके सहकर्मियों के निधन पर शोक मना रहा है, एसकेएम ने किसानों की जीत के संबंध में आज सभी समारोहों को स्थगित करने का फैसला किया है - जश्न की रैलियां अब परसों ( 11 दिसंबर ) को निकाली जाएंगी,उस दिन किसान विजय रैलियां निकाल कर मोर्चा स्थलों को एक साथ छोड़ देंगे।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत सरकार विरोध कर रहे किसानों से की गई अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर रही है और भविष्य की कार्रवाई का खाका तैयार करने के लिए, एसकेएम की अगली बैठक 15 जनवरी को दिल्ली में आयोजित की जाएगी।

एसकेएम लंबे आंदोलन के दौरान धैर्य और समर्थन के लिए मोर्चा स्थलों के स्थानीय निवासियों को धन्यवाद देता है, और उन्हें हुई असुविधाओं के लिए माफी चाहता है - एसकेएम इस आंदोलन में किसानों के साथ संघर्ष करने वाले श्रम संगठनों, महिला संगठनों और युवा/छात्र संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ,वकीलों जिन्होंने कानूनी सहायता और एकजुटता बढ़ाई, डॉक्टरों जिन्होंने चिकित्सा शिविर स्थापित किए और अपनी अथक सेवाएं दीं, विभिन्न धार्मिक निकायों जिन्होंने लंगर स्थापित किया और प्रदर्शनकारियों को बिना शर्त और निर्बाध रूप से खिलाया, मानवाधिकार संगठनों सहित विभिन्न प्रगतिशील संगठनों जो समर्थन में खड़े थे, कई कलाकार जो लगातार आंदोलन के साथ थे, कई संगठन जिन्होंने एसकेएम के आह्वान का लगातार और निरन्तर जवाब दिया, राजमार्ग ढाबा मालिकों और किसान आंदोलन को अपनी संगठनात्मक बैठकें चलाने के लिए जगह देने वाले लोगों, एनआरआई और अंतर्राष्ट्रीय किसान संगठनों और अन्य लोगों जिन्होंने अपने अपने स्थानों पर एकजुटता की कार्रवाई की, सैकड़ों स्वयंसेवकों जिन्होंने अपनी सेवा देकर भाग लिया, और अन्य शुभचिंतकों को भी धन्यवाद देता है।

प्रेस-विज्ञप्ति जारीकर्ता -

बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेन्द्र यादव

                              ★★★★★★★

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