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बैंक बचाओ, देश बचाओ

             दिवालिया होने से पहले

                   https://youtu.be/7t4BsE7d4wM           

                                                    - अशोक प्रकाश

इससे पहले कि
'भाइयों और बहनों!' से शुरू हो
'राष्ट्र के नाम' एक और संबोधन
मैं खासकर राष्ट्रीकृत समस्त बैंकों,
उनके कर्मचारियों और उनके
ग्राहकों को
कहीं छुपा देना चाहता हूँ
ताकि
दिवालिया घोषित होने से पहले
'राष्ट्रीय पूँजी'
किसी बिटिया के विवाह और
किसी बेटे के 
परचून की दूकान खोलने में
बाधा न बन सके!

दिवालिया दुल्हन बनाकर
जिसे विस्थापित किया जा रहा है
लंदन, न्यूयॉर्क या स्विट्जरलैंड में 
कालाधन कहकर जब तक कि
उसे वापस लाने का वादा दोहराया जाए
मैं खेतों में
धान और गेहूँ की बालें देखना चाहता हूँ
ताकि
कब्ज़ा होने से पहले 
खेत बता सकें
दुबारा पैदा होने के कुछ गुर
उन दानों को जो
पसीने की गंध और मिट्टी की सुगंध से
हजारों साल से उगते आए है!..

इससे पहले कि
मैं न होऊँ
तुम्हें बता देना चाहता हूँ
उनका ठिकाना
जो बीज उगाना जानते हैं
हल-बैल चलाना जानते हैं
ट्रैक्टर और रोबोट भी
चला सकते हैं
कारखाने और हथियार भी
बना सकते हैं
गर मौका दिया जाए!...

फ़िलहाल वे
'राष्ट्रीय पूंजी' के
न हिस्सेदार हैं
न तीमारदार हैं
रोटी और शादी के लिए
परेशानहाल वे
ढूँढ़ रहे हैं
छ्प्पर में छुपाए
अपने ख़्वाब!
हो सके तो
ढूँढ़ने और पहचानने में
मदद कीजिए
वे चोर को 
चौकीदार समझ रहे हैं!
                           
    ★★★★★★


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