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एक और लड़ाई पहाड़ बचाने की

और लड़ाई जारी है:

               कब रुकेंगी इस तरह की

               जन-संपदा की लूट?



धजवा पहाड़ बचाने के लिये संघर्षरत ग्रामीणों को समर्थन देने 1 जनवरी को भूख हड़ताल पर बैठेंगे कई राजनीतिक दल व जन संगठन 

पानी के स्रोत पहाड़, पर्यावरण व अध्यात्मिक स्थल धजवा पहाड़ को बचाने की लड़ाई अब विस्तार पा रही है. पांडू के कुटमू- बरवाही से निकल राजधानी तक पहुंच गई है, लेकिन सरकार व जिला प्रशासन की ओर से संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में अभी तक कोई ठोस पहल  नहीं की गई है, उल्टे दमन के बल पर संघर्ष को समाप्त करने का प्रयास किया गया है. धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति ने 19 दिसम्बर से क्रमिक भूख हड़ताल आरम्भ कर दिया है. 

मौखिक आश्वासन के बल पर आंदोलन को समाप्त कराने में नकामी हासिल होने पर दमन का सहारा लेने से प्रशासन की जहाँ पोल खुली, वहीं जनता की एकजुटता मजबूत हुई है.

इसी मजबूती को सुदृढ़ करने व आंदोलन को धार देने के कई राजनीतिक दल, जनसंगठन, सामाजिक संगठन के नेता व कार्यकर्ता आंदोलन स्थल पर भूख हड़ताल करने 1 जनवरी को धजवा पहाड़ पर जा रहे हैं.

सनद हो कि धजवा पहाड़ को निगलने के लिए पत्थर माफियाओं द्वारा किए गये कागजी प्रयास जाली साबित हो चुके हैं. प्रखंड के अंचलाधिकारी ने नापी के हवाले से स्पष्ट कर दिया है कि लीज जिस प्लौट का हुआ है, उसमें पत्थर नहीं धान के फसल लगे हैं. ग्राम सभा फर्जी, प्लौट फर्जी, जमीन मालिक के साथ ही एग्रीमेंट फर्जी, लेकिन माफियाओं को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, वे पुलिस, अफसरों व लठैतों के बल पर पहाड़ को चबाने को आतुर दिख रहे हैं. बावजूद, ग्रामीण डटे हैं. वे पानी के स्रोत पहाड़, उसके पास बने आहर, पर्यावरण व अपने पुरखों के अध्यात्मिक स्थल धजवा पहाड़ को बचाने के लिए कटिबद्ध हैं.

सरकारी उदासीनता, प्रशासन की ढूलमूल नीति के विरोध व आंदोलन के समर्थन में विभिन्न संगठन के लोग भूख हड़ताल पर बैठेंगे.

भूख हड़ताल पर बैठने वाले सीपीआई, माले (लिबरेशन), सीपीआई, माले (रेड स्टार), भायतीय समाजवादी पार्टी, जन संग्राम मोर्चा, हुल झारखंड क्रांति दल, मूल निवासी संघ, दिहाड़ी मजदूर यूनियन, एसटी, एसी, मानिरिटी एकता मंच, युवा पाल महासंघ व पीपीआई के प्रतिनिधियों ने कहा कि जनता की हितैषी होने का दावा करने वाली हेमंत सरकार जन विरोधी नीतियों को लागू करने की ओर बढ़ती दिख रही है. 

प्राकृतिक संसाधनों के बल पर हाई कोर्ट द्वारा विकास को अस्वीकार करने की टिप्पणी के बाद भी अवैध खनन का जारी रहना चिंता का विषय है. पहाड़, खनिज, नदी के बालू, जंगल के साथ ही जमीन की लूट जोरों पर है. 

संगठन के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि मनमानी पर उतरी सरकार व प्रशासन को संघर्ष के बल पर ही सबक सिखलाया जा सकता है, इसलिए हमसब एक साथ एकजुटता प्रदर्शित करने व सरकार को चेताने धजवा पहाड़ पर भूख हड़ताल पर बैठने जा रहे हैं. 

जारीकर्ता:

युगल पाल 

अध्यक्ष, जन संग्राम मोर्चा, झारखंड

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