वर्षा की तीव्रता, आवृत्ति और
बांध के कारण बाढ़-आपदा
~ राज कुमार सिन्हा
बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ
औसत वैश्विक तापमान वृद्धि के कारण लंबे समय तक बारिश न होने के और अचानक अत्यधिक बारिश की घटना के कारण बाढ़ में बढोतरी हुई है। आपदा आने से ठीक पहले वायनाड केरल में अभूतपूर्व बारिश हुई थी। जिले की सलाना औसत का 6 प्रतिशत बारिश महज़ एक दिन में हो गई। विगत कुछ वर्षों से जलवायु परिवर्तन वर्षा की तीव्रता और आवृत्ति को प्रभावित कर रहा है। एकाएक कम समय में भारी बारिश के कारण बाढ़ वृद्धि के जोखिम बढ़ जाते हैं। भारी वर्षा का मतलब यह नहीं है कि किसी स्थान पर वर्षा की कुल मात्रा बढ़ गई है। बल्कि यह है कि वर्षा तीव्र घटनाओं के रूप में हो रही है। वर्षा की तीव्रता में परिवर्तन, जब वर्षा की घटनाओं के बीच अंतराल में परिवर्तन के साथ दोनों होता है, तो वर्षा योग में परिवर्तन हो सकता है।भारी वर्षा की घटनाओं में उनकी आवृत्ति पर नजर रखना और यह गणना करना कि किसी दिए गए वर्ष में किसी विशेष स्थान की कुल वर्षा का कितना प्रतिशत चरम एक दिवसीय घटनाओं के रूप में आया है, आवश्यक है।
भारत व्यापक बाढ़ के लिए अतिसंवेदनशील है क्योंकि देश में जून से सितम्बर तक चार महीने की अवधि में वार्षिक वर्षा की 70 प्रतिशत से अधिक बारिश हो जाती है। अत्यधिक वर्षा से अधिकांश नदी घाटियों में बाढ़ नहीं आती है क्योंकि इसकी प्रकृति खंडित है। अत्यधिक वर्षा का बाढ़ में में तब्दील होना जलग्रहण क्षेत्र पर निर्भर करता है। इसलिए अत्यधिक वर्षा और जलग्रहण क्षेत्र की स्थानिक सीमा को ध्यान में रखते हुए बाढ़ की निगरानी और पुर्वानुमान के प्रयासों पर ध्यान देना आवश्यक है।अगर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो गर्म होती जलवायु के कारण बाढ़ वृद्धि की घटनाओं का नियंत्रण और प्रबंधन करना चुनौती बन सकता है।
दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि बांधों में गाद जमाव का आकलन किया जाए जिससे जलाशय में वर्तमान जल भंडारण क्षमता की जानकारी के अनुसार जल नियोजन किया जा सके। बरगी जलाशय की बनावट कुछ ऐसी है कि इसके पिछले हिस्से से बहकर आनेवाले अवसाद कणों की गति कम नहीं हो पाती है। अधिकांश अवसाद बाहरी हिस्सों में बैठने के बजाय तेजी से बहकर मुख्य जलाशय में पहुँच कर गहराई में जमा हो जाती है।इस कारण बरगी बांध के कटावदार और तलछट आकार में बदलावों को गहराई से समझने की जरूरत है। यह जानकारी बांधों, धारा- तल कटाव, तलछट और बाढ़ जोखिम के बीच जटिल सम्बन्धों को दर्शाता है।
छोटे जलाशयों की तुलना में बङे जलाशयों के हजारों वर्ग किलोमीटर जलग्रहण क्षेत्रों पर बाढ़ मुल्यांकन की अनिश्चितता बाढ़ जोखिम को बढ़ा देती है। बांध के जलग्रहण क्षेत्र में लगातार बारिश के कारण पानी का प्रवाह बढ जाने से बांध का गेट खोलना मजबूरी हो जाता है जिसके कारण बांध के नीचे बाढ़ की आपदाओं को रोकने का कोई तरीका नहीं है। इसलिए बरगी बांध के नीचे जबलपुर, नरसिंहपुर, नर्मदापुरम आदि नर्मदा किनारे के जिलों में विगत दिनों काफी आर्थिक नुकसान हुआ और सभी आवागमन के मार्ग अवरुद्ध हो गए थे। इस तरह बांध बाढ़ को नियंत्रित करने की जगह उल्टे बाढ़ की तीव्रता को बढ़ाने के कारक बन जाते हैं।
★★★★★★★★
Comments
Post a Comment