Skip to main content

हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखक-2

              स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी साहित्य के

               प्रसिद्ध इतिहास-ग्रन्थ
              


★ हिन्दी साहित्य का आदिकाल (1952) -               - हजारी प्रसाद द्विवेदी
★ हिन्दी साहित्य की भूमिका
      - हजारी प्रसाद द्विवेदी
★ हिन्दी साहित्य: उद्भव और विकास (1955)
       - हजारी प्रसाद द्विवेदी
 
★ आधुनिक हिन्दी कविता की मुख्य प्रवृत्तियाँ
     (1951) - डॉ. नगेन्द्र
★ 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' (सम्पादित)
     और
    'रीतिकाव्य की भूमिका'
       - डॉ. नगेंद्र

★ हिन्दी साहित्य का नवीन इतिहास
        - डॉ. बच्चन सिंह (1996)
★ हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास
       - डॉ. बच्चन सिंह

★ हिन्दी साहित्य का अतीत
       - विश्वनाथ प्रसाद मिश्र

★ हिन्दी साहित्य का इतिहास दर्शन
     - नलिन विलोचन शर्मा

★ हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929- 2009)
       - राम मूर्ति त्रिपाठी

★ आधुनिक हिन्दी साहित्य का इतिहास
      - कृपा शंकर शुक्ल

★ हिन्दी साहित्य का विवेचनात्मक इतिहास
      - सूर्यकांत शास्त्री

★ हिन्दी साहित्य और संवेदना का इतिहास
       - डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी
★ हिन्दी साहित्य की अधुनातन प्रवृत्तियाँ
       - डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी

★ हिन्दी भाषा और उसके साहित्य का इतिहास
- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'

★ हिन्दी साहित्य का वृहत् इतिहास
     (1957 से 1984 तक)
     - नागरी प्रचारिणी सभा, काशी

★ हिन्दी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास (1986)
   - डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी

★ हिन्दी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास                 (2007)
      - डॉ. गणपति चंद्र गुप्त

                     ◆◆◆◆◆◆









Comments

Popular posts from this blog

मुर्गों ने जब बाँग देना छोड़ दिया..

                मत बनिए मुर्गा-मुर्गी! एक आदमी एक मुर्गा खरीद कर लाया।.. एक दिन वह मुर्गे को मारना चाहता था, इसलिए उस ने मुर्गे को मारने का बहाना सोचा और मुर्गे से कहा, "तुम कल से बाँग नहीं दोगे, नहीं तो मै तुम्हें मार डालूँगा।"  मुर्गे ने कहा, "ठीक है, सर, जो भी आप चाहते हैं, वैसा ही होगा !" सुबह , जैसे ही मुर्गे के बाँग का समय हुआ, मालिक ने देखा कि मुर्गा बाँग नहीं दे रहा है, लेकिन हमेशा की तरह, अपने पंख फड़फड़ा रहा है।  मालिक ने अगला आदेश जारी किया कि कल से तुम अपने पंख भी नहीं फड़फड़ाओगे, नहीं तो मैं वध कर दूँगा।  अगली सुबह, बाँग के समय, मुर्गे ने आज्ञा का पालन करते हुए अपने पंख नहीं फड़फड़ाए, लेकिन आदत से, मजबूर था, अपनी गर्दन को लंबा किया और उसे उठाया।  मालिक ने परेशान होकर अगला आदेश जारी कर दिया कि कल से गर्दन भी नहीं हिलनी चाहिए। अगले दिन मुर्गा चुपचाप मुर्गी बनकर सहमा रहा और कुछ नहीं किया।  मालिक ने सोचा ये तो बात नहीं बनी, इस बार मालिक ने भी कुछ ऐसा सोचा जो वास्तव में मुर्गे के लिए नामुमकिन था। मालिक ने कहा कि कल...

ये अमीर, वो गरीब!

          नागपुर जंक्शन!..  यह दृश्य नागपुर जंक्शन के बाहरी क्षेत्र का है! दो व्यक्ति खुले आसमान के नीचे सो रहे हैं। दोनों की स्थिति यहाँ एक जैसी दिख रही है- मनुष्य की आदिम स्थिति! यह स्थान यानी नागपुर आरएसएस- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राजधानी या कहिए हेड क्वार्टर है!..यह डॉ भीमराव आंबेडकर की दीक्षाभूमि भी है। अम्बेडकरवादियों की प्रेरणा-भूमि!  दो विचारधाराओं, दो तरह के संघर्षों की प्रयोग-दीक्षा का चर्चित स्थान!..एक विचारधारा पूँजीपतियों का पक्षपोषण करती है तो दूसरी समतामूलक समाज का पक्षपोषण करती है। यहाँ दो व्यक्तियों को एक स्थान पर एक जैसा बन जाने का दृश्य कुछ विचित्र लगता है। दोनों का शरीर बहुत कुछ अलग लगता है। कपड़े-लत्ते अलग, रहन-सहन का ढंग अलग। इन दोनों को आज़ादी के बाद से किसने कितना अलग बनाया, आपके विचारने के लिए है। कैसे एक अमीर बना और कैसे दूसरा गरीब, यह सोचना भी चाहिए आपको। यहाँ यह भी सोचने की बात है कि अमीर वर्ग, एक पूँजीवादी विचारधारा दूसरे गरीबवर्ग, शोषित की मेहनत को अपने मुनाफ़े के लिए इस्तेमाल करती है तो भी अन्ततः उसे क्या हासिल होता है?.....

जमीन ज़िंदगी है हमारी!..

                अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) में              भूमि-अधिग्रहण                         ~ अशोक प्रकाश, अलीगढ़ शुरुआत: पत्रांक: 7313/भू-अर्जन/2023-24, दिनांक 19/05/2023 के आधार पर कार्यालय अलीगढ़ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अतुल वत्स के नाम से 'आवासीय/व्यावसायिक टाउनशिप विकसित' किए जाने के लिए एक 'सार्वजनिक सूचना' अलीगढ़ के स्थानीय अखबारों में प्रकाशित हुई। इसमें सम्बंधित भू-धारकों से शासनादेश संख्या- 385/8-3-16-309 विविध/ 15 आवास एवं शहरी नियोजन अनुभाग-3 दिनांक 21-03-2016 के अनुसार 'आपसी सहमति' के आधार पर रुस्तमपुर अखन, अहमदाबाद, जतनपुर चिकावटी, अटलपुर, मुसेपुर करीब जिरोली, जिरोली डोर, ल्हौसरा विसावन आदि 7 गाँवों की सम्बंधित काश्तकारों की निजी भूमि/गाटा संख्याओं की भूमि का क्रय/अर्जन किया जाना 'प्रस्तावित' किया गया।  सब्ज़बाग़: इस सार्वजनिक सूचना के पश्चात प्रभावित ...