विश्वविद्यालय-सेवा त्रासद और प्राणघातक!
-डॉ. सिद्धेश्वर कश्यप
बिहार के विश्वविद्यालयों की सेवा सरकार की नजर में अनुत्पादक सेवा है लेकिन शिक्षा माफियाओं और व्यारियों के लिए धन कुबेर बनने का सहज मार्ग है -पढ़ाई न लिखाई केवल कमाई । यह सेवा योग्य ,समर्पित और कर्त्तव्यनिष्ठ शिक्षक कर्मियों के लिए बेगारी और प्राणघातक ।महीनों से वेतन से वंचित शिक्षक कर्मियों का जीवन त्रासद है लेकिन शिक्षक नेता मस्ती में हैं और अपनी रोटी सेंकने में लीन हैं ।सैकड़ों शिक्षक नेता एम एल सी विधायक और पार्षद के रुप में वेतन पाते हैं इसलिए इन्हें भी हमारी चिंता नहीं है ।हाँ भाषण में घड़ियाली आँसू अवश्य बहाते हैं ।मेधावी कर्मनिष्ठ शिक्षक हाशिए पर नारकीय जीवन जीने को अभिशप्त हैं और शिक्षक नेता एवं शिक्षक अधिकारियों की चाँदी है ।शासन प्रशासनऔर सत्ता को ब्लंठ, लंठ और चंट के साथ अपराधी भ्रष्ट अनुयायी चाहिए ।ये आर्थिक दृष्टि से संपन्न हैं इसलिए इनकी दीवाली होली मौज से मनती है ।इन्हें क्या फर्क पड़ता है शिक्षक कर्मी पेंशनभोगी घर चुल्हा जले या न जले। ये दिखावा के लिए आंदोलन करते हैं और शासन सत्ता से लाभ ले कर मौन साध लेते है ।ये सब राजनीति का कमाल है-
"राजनीति आ बैठी जबसे शिक्षण में,
सत्ता अनीति के भय से सब घबराते हैं
अभ्यास ग्यान जिग्यासा के जो शत्रु रहे
ऊँची शिक्षा के वे प्रतीक बन जाते हैं।
दानवता की विजय पराजय मानवता का घोर अनय है
बात पराए की मत पूछो हमें हाय अपनो का भय है।"....
■■■■
Comments
Post a Comment