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मुझसे जीत के दिखाओ!..

कविता: 

                   मैं भी चुनाव लड़ूँगा..

                                 - अशोक प्रकाश    


आज मैंने तय किया है
दिमाग खोलकर आँख मूँदकर
फैसला लिया है
5 लाख खर्चकर अगली बार
मैं भी चुनाव लड़ूँगा,
आप लोग 5 करोड़ वाले को वोट देकर
मुझे हरा दीजिएगा!

मैं खुश हो जाऊँगा,
किंतु-परन्तु भूल जाऊँगा
आपका मौनमन्त्र स्वीकार
5 लाख की जगह 5 करोड़ के
इंतजाम में जुट जाऊँगा
आप बेईमान-वेईमान कहते रहिएगा
बाद में वोट मुझे ही दीजिएगा
वोट के बदले टॉफी लीजिएगा
उसे मेरे द्वारा दी गई ट्रॉफी समझिएगा!

क्या?..आप मूर्ख नहीं हैं?
5 करोड़ वाले के स्थान पर
50 करोड़ वाले को जिताएँगे?
समझदार बन दिखाएँगे?...

धन्यवाद... धन्यवाद!
आपने मेरी औक़ात याद दिला दी
5 करोड़ की जगह 50 करोड़ की
सुध दिला दी!...

एवमस्तु,
आप मुझे हरा ही तो सकते हैं
5 लाख को 50 करोड़ बनाने पर
बंदिश तो नहीं लगा सकते हैं!...

शपथ ऊपर वाले की लेता हूँ,
आप सबको 5 साल में
5 लाख को 50 करोड़ बनाने का
भरोसा देता हूँ!..

ताली बजाइए,
हो सके तो आप भी
मेरी तरह बनकर दिखाइए!
☺️☺️


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