किसान आंदोलन: क्या, क्यों, क्यों नहीं!
#दिल्ली #किसान #आंदोलन एक निर्णायक मोड़ पर है। केवल किसानों के लिए नहीं, पूरे #देश के लिए!
#सत्ता प्रतिष्ठान जिसमें भू-माफिया, वैध-अवैध रूप से सैकड़ों एकड़ जमीन पर काबिज़ नए-पुराने जमींदार, देशी-विदेशी #बहुराष्ट्रीय कंपनियां, #राजनेता, #नौकरशाह, दलाल-ठेकेदार आदि अनेक #गिद्ध हैं- किसानों की #जमीन का #सौदा कर रहे हैं।
#मुनाफा शब्द छोटा है, वे 'कर लो दुनिया मुट्ठी में' के नारे के साथ सब कुछ छीन लेने पर आमादा हैं!...
किसान क्या करे?...#देश_की_रीढ़ होने के बावज़ूद वह इनके पूँजीबल-बाहुबल के आगे बेबस है।
इसी का जवाब है- वर्तमान #किसान_आंदोलन!
यह आंदोलन एक आम किसान, आम व्यक्ति का है!...यहाँ नाम से बड़ा विचार है।
यह विचार #किसान_की _आत्मा की अभिव्यक्ति है!..कमजोर सही, दृढ़ है, संकल्पयुक्त है। इसने बड़े-बड़े राजाओं-महाराजाओं को उखाड़ फेंका है!
★★★★★★★
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