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Showing posts from August, 2024

कोलकाता: हत्या-बलात्कार की रातों का अंत कब?

      असली गुनहगार का अंत                  कब होगा?  लोगों की जान बचाने के लिए वह रात में 'ऑन कॉल' ड्यूटी पर थी, लेकिन वह खुद को दरिंदो से बचाने में नाकाम रही! उसके पिता ने उसे नग्न अवस्था में फर्श पर पड़ा हुआ पाया, उसकी Pelvic Bone (कूल्हे की हड्डी) टूटी हुई थी, हाथ-पैर विकृत थे और उसकी आंखों में चश्मे के टुकड़े टूटे हुए थे और लगातार खून बह रहा था। उन अंतिम क्षणों में उसकी दुर्दशा अकल्पनीय है। उसके माता-पिता को अपराध स्थल पर पहुंचने के 3 घंटे बाद तक उसके शव से संपर्क करने से मना कर दिया गया। उसके शरीर में 100 ग्राम semen पाया गया। एक बलि का बकरा हिरासत में है। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने कहा कि वह मानसिक रोगी थी और सुसाइड कर ली है।उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और अगले दिन उन्हें एक बड़े मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में नियुक्त किया गया। सीबीआई को ट्रांसफर होने के बाद अस्पताल में रेनोवेशन का काम शुरू हुआ। इस बिंदु पर अब यह केवल डॉक्टर का मामला नहीं रह गया है, यह सिर्फ अमानवीय है। हम साल-दर-साल अमानवीयता के निचले स्तरों पर  गिरते जा रहे है।  मूर्ख वे थे, जिन्हें यह भी

संघर्षरत देश की बेटी विनेश को एक खुली चिट्ठी

                                हार नहीं,             संघर्ष का उनवान है यह! विनेश, ओलम्पिक में कुश्ती के खिलाड़ी जानते होंगे कि तुम स्वर्ण पदक की हकदार थी! स्वर्ण नहीं जीती तो क्या, इतिहास में तुम 'लीजेंड' बन चुकी हो! इसलिए निराश होने, पीछे हटने का कोई भी निर्णय सही नहीं होगा। खेल होंगे, होते रहेंगे लेकिन विनेश का, एक महिला-पहलवान का ऐसा संघर्ष विरले ही कर सकते हैं। जो करते हैं, लीजेंड बन जाते हैं। भले ही खेल के सबसे ऊँचे पायदान पर पहुँचकर समय के हुक्मरानों द्वारा अपने दम्भ और हिकारत के चलते नकार दिए जाने का तुम्हारे जैसा अनुभव शायद किसी और को हो, लेकिन यही विशेषता तो तुम्हें आम जनता की नज़रों में महान बनाती है। विनेश फोगाट, आज पूरे देश को तुम पर नाज़ है। तुमने दुनिया के सबसे महान महिला कुश्ती पहलवानों को हराकर यह मुक़ाम हासिल किया है। यह सब तुमने खेल-जगत से खिलवाड़ करने वाले उन शासकों के नापाक मंसूबों को ध्वस्त करते हुए पाया है जो नापाक राजनीति और अपने स्वार्थों को सबसे ऊपर रखते हैं! समय ने अपने इतिहास में यह सब दर्ज़ कर लिया है। यह कोई छोटी बात नहीं है, विनेश!        विनेश, तुम इ

15अगस्त: कारपोरेट लूट बंद हो?..

     स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ! कैसा महसूस कर रहे हैं?..खुशहाल!....होना ही चाहिए! आपको खुशियां अनन्त काल तक मुबारक हों! देश आज़ादी का खुशनुमा अनुभव करे!..हम-आप जैसों को और क्या चाहिए लेकिन, अफ़सोस!.. जब हम आज़ादी के सही मायने तलासते हैं तो पता चलता है कि लूट से आज़ादी ही असली आज़ादी होती है!..हर प्रकार की लूट से, शोषण-अत्याचार से आज़ादी! लेकिन, जब हम लगभग हर रोज किसानों-मजदूरों, बेरोजगारों, शिक्षकों, विद्यार्थियों, महिलाओं, दलितों, अल्पसंख्यक समुदायों को कहीं न कहीं धरना-प्रदर्शन करते, अपने शोषण के खिलाफ़, अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत देखते हैं तो दिमाग में आता है कि क्या अंग्रेजों का यहाँ से 'समझौता' के आधार पर चला जाना ही आज़ादी है? हाल में 9 अगस्त को संयुक्त किसान मोर्चा के साथ अनेक संगठनों द्वारा 'कॉरपोरेट, भारत छोड़ो!' का अभियान चलाया गया!..तो क्या हम कॉरपोरेट के गुलाम हैं जिन्हें भारत से निकाल देने के लिए किसान-मजदूर संघर्षरत हैं?... क्या देश के प्राकृतिक संसाधनों, जल-जंगल-जमीन पर देशी-विदेशी कॉरपोरेट का कब्ज़ा होते जाना भी गुलामी का कोई रूप है?.. क्या किसी भी बहाने से
                  संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा           किसान-मजदूर राजनीति की              एक नई शुरुआत ★ एसकेएम प्रतिनिधिमंडल ने संसद में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से की मुलाकात!  ★ एमएसपी गारंटी कानून सहित भारत के किसानों की मांगों को उठाया ★ विपक्षी गठबंधन के दलों के साथ किसान-मजदूर पक्षधर नए रिश्तों की शुरुआत दिल्ली, 6 अगस्त, 2024:  एसकेएम के एक प्रतिनिधिमंडल, जिसमें श्री हन्नान मोल्लाह, श्री बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ. दर्शन पाल, श्री राजन क्षीरसागर, श्री रमिंदर सिंह, श्री सत्यवान, डॉ. सुनीलम, श्री अविक साहा, श्री तजिंदर सिंह विर्क और श्री प्रेम सिंह गहलावत शामिल थे, ने आज लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री राहुल गांधी से उनके संसदीय कार्यालय में मुलाकात की। एसकेएम ने श्री गांधी को भारत के किसानों की 20 मांगों का एक चार्टर सौंपा, जिसमें प्रमुख मांगें सभी किसानों को सभी फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी देने और किसानों को कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए कानून बनाना शामिल हैं। एसकेएम नेताओं ने श्री गांधी के संज्ञान में लाया कि जब तक कृषि लागत एवं मूल्य आयोग को वैधानिक मान्यता नहीं मिल जाती, तब त