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बन्द, बाज़ार और बेरोजगार



                        तुम लड़ो-मरो, हम मजा लेंगे!...



            पिछले कुछ दिनों में हमने उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के नाम पर दो 'भारत बंद' के आह्वान और उनके परिणाम देखे। दोनों तथाकथित भारत-बंद की एक सामान्य विशेषता देखने को मिली. दोनों में 'जातीय विद्वेष' को हवा दी गई. एक-दूसरे अर्थात् दलित और तथाकथित सवर्ण जाति के लोगों ने एक-दूसरे का मजाक उड़ाया और अपनी-अपनी जातियों को महान बताया. 'द ग्रेट....-जाति' को स्वाभिमान के नाम पर उछालने में ख़ास तौर पर दलित-उत्पीड़न और विषमता की त्रासदी के मसले दब गए. बेरोजगारी के स्थान पर सिर्फ आरक्षण पर बहस शासकों को बहुत सुकून दिलाती होगी!
           इन प्रदर्शनों में एक ने यदि दलित-उत्पीड़न को ही झूठ सिद्ध करने की नाकाम कोशिश की तो दूसरे ने ऐसा सिद्ध करने का प्रयास किया जैसे हर मंत्री-सन्त्री-अधिकारी दलित जाति का होने के नाते रोज उत्पीड़न का शिकार हो रहा हो और उसे रोज 'अनुसूचित जाति-जनजाति उत्पीड़न क़ानून' के तहत किसी न किसी सवर्ण के नाम रिपोर्ट कराने की जरूरत हो. हकीकत यही है कि दलित जातियां अभी भी न केवल भीषण विषमता की शिकार हैं बल्कि इसके चलते उन्हें तरह-तरह के अपमान भी सहने पड़ते हैं. लेकिन इस आर्थिक-सामाजिक उत्पीड़न के शिकार गरीबों के वे तबके भी होते हैं जिन्हें ओबीसी अथवा उच्चजाति का कहा जाता है. तथाकथित सवर्ण जातियों के मजदूर और सर्वहारा तबके के लोगों को भी साहबों के उत्पीड़न का शिकार होना ही पड़ता है! उत्पीड़न से राहत उसी को मिलती है जो चापलूस और हर काम किसी भी समय करने को तैयार रहता है। और चमचे-चापलूस तो चाहे जिस बिरादरी के हों मालिकों की आँखों के तारे बने रहते हैं। मालिक अपनी सुविधा-असुविधा के अनुसार सबका उपयोग करता है। लेकिन इन आंदोलनों में बहस का यह मुद्दा नहीं होता!...
          उलटे, जैसे मसले  इस बीच उछाले गए, वे सिर्फ शासकों को राहत देने वाले हैं। कुछ उदाहरण देखे जा सकते हैं-
              ★....2 अप्रैल को भारत बंद का आह्वान सम्पूर्ण भारत के अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के द्वारा किया गया है ....2 अप्रैल के भारत बंद को सफल बनाने के लिए 2 अप्रैल 2018 के दिन दलित वर्ग ,अनुसूचित जाति ,जनजाति समाज का कोई भी व्यक्ति बाज़ार से 1 रु की भी खरीददारी न करे और पूर्ण रूप से किसी भी खरीददारी का बहिष्कार करे।... इस नतीजे पर भी पहुंचे कि अब दलितों को सवर्ण दुकानदारों का पूर्ण रूप से बहिष्कार कर देना चाहिए....यदि हम पार्टनरशिप में ईमानदारी से व्यवसाय करें तो हम दलितों का पैसा जातिवादी सवर्णों के पास जाने से रोक सकते हैं ।...
            बहुत बड़ी खबर सरकार ने sc st सगठनो के द्वारा बुलाये बन्द को फैलने से रोकने के लिये 1-2 अप्रेल को इंटरनेट बन्द करने का निर्णय लिया सरकार हिली इंटरनेट बन्द करने के निर्णय में कांग्रेस की भी सहमत .....ज्यादा से ज्यादा सभी ग्रुप में ये खबर पहुँचाए जिससे सभी लोग जल्दी ही भारत बन्द की तैयारी करे फेसबुक पर भी ये खबर शेयर करे भारत बन्द को ऐतिहासिक बनाना है...
          शुरू करेंगे दलितों का अखबार, नहीं पढेंगे जातिवादियों के अखबार ।अब दुनिया पढ़ेगी दलितों का अखबार....

        ★★ सावधान भारत!
1---सर्वोच्च न्यायालय ने,
क्या एससीएसटी ऐक्ट,
खत्म कर दिया है?
2---बिलकुल नहीं,
केवल यही तो कहा है कि,
शिकायत आने के बाद,
तुरन्त गिरफ्तारी नहीं होगी,
3----पहले सत्यता की जाँच होगी,
यदि तथ्य सही होगा तो,
गिरफ्तारी होगी,
4----जमानत भी दी जा सकती है,
तो अब विरोध क्यों?
5----क्या अंग्रेजों का शासन है?
न वकील,न दलील,
जब चाहो गिरफ्तार कर लो,
जब तक चाहो जेल में रखो
6----क्या सभी एससीएसटी,
शिकायत करने वाले,
राजा हरिश्चन्द्र हैं?
7---ये जो कहें बस वही सही है?
8----ये आरक्षण नहीं छोड़ेंगे,
9----जिसको चाहेंगे जेल भेज देंगे,
10---पच्चीस प्रतिशत अंक पर,
प्रोफेसर बन जाएंगे,
11----ब्राह्मणों को अपशब्द कहेंगे,
इन पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं?
12----एक सवर्ण
अत्याचार अधिनियम,
क्यों नहीं बनता?
13----क्या अनुच्छेद चौदह मात्र,
एससीएसटी के लिए ही है?
14-----सवर्ण क्या आत्महत्या कर लें?
15-----अन्याय जब
चरम सीमा पर,हो जाता है तो,
क्रांति कोई रोक नहीं सकता,
16----किसी को
इतना न दबाया जाय,
कि वह बागी बन जाये....

 गब्बर -कितने आदमी थे रे*
साम्भा -131 दलित सांसद,1040 दलित विधायक,01 दलित राष्ट्रपति और तीन समाज के *जयचंद बंदर* धोखा देने वाले सरकार!
    झंडे के नीचे मोटा डंन्डा लेकर जरूर चले 02 अप्रैल को देखते हैं केसे बिफल करते है हमारा आंदोलन ये मनुबादी...

      ★★ 1919 के अंग्रेजो का कानून rowlat act ,
2018 के भारतीय संविधान में sc/st act एक है ...
Rowlat act में किसी को भी कही से
 कभी भी बिना जांच के कैद कर लिया जाता था...
जब rowlat act का व्यापक विरोध हुआ , तब
*जलिया वाला बाघ हत्याकांड* घटित हुआ ।
जब sc st act का विरोध हुआ , तब
पूरा देश ही जला दिया गया ।...
     ★★ लेकिन न तब डरे थे ,न अब डरेंगे ।
तब गला घोट कर ली थी आज़ादी,
अब छीन के लेंगे आज़ादी....
     
चलो, अब लड़ते रहो अनंत काल तक!...

 (चित्र एवं उद्धरण प्रस्तुति: मित्रों के व्हाट्सएप सन्देशों से साभार)

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