रोज़-रोज़ और तेज...
और व्यापक हो रहा है किसान आंदोलन
दिल्ली बॉर्डर से शुरू हुआ किसान आंदोलन रोज़-रोज़ और तेज, और व्यापक होता जा रहा है। एक तरफ़ जहाँ केंद्र सरकार किसान आंदोलन के प्रति ऐसा व्यवहार प्रकट कर रही है जैसे इस आंदोलन से उस पर कोई फर्क़ नहीं पड़ने वाला, वहीं दूसरी तरफ़ किसान आंदोलन के चार महीने पूरे होने पर 26 मार्च को संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति से यह पता चलता है कि किसान आंदोलन अब और व्यापक होते हुए कस्बों-गाँवों तक फैलने तथा और सुदृढ़ होने लगा है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता/प्रवक्ता डॉ. दर्शनपाल द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति पूरी पढ़ने पर इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है:
"सयुंक्त किसान मोर्चा सभी किसानों-मजदूरों व आम जनता को आज के भारत बंद की सफलता की बधाई देता है। गुजरात के किसानों के साथ संघर्ष में पहुंचे किसान नेता युद्धवीर सिंह को गुजरात पुलिस ने गिरफ्तार किया जिसकी हम कड़ी निंदा व विरोध करते है। आज देश के अनेक भागों में भारत बंद का प्रभाव रहा। बिहार में 20 से ज्यादा जिलों में, पंजाब में 200 से ज्यादा स्थानों पर और हरियाणा में भी बड़े पैमाने पर लोगो ने बंद को सफल बनाया। कर्नाटक व आन्ध्रप्रदेश में भी व्यापक स्तर पर बंद का प्रभाव रहा।
तीन काले कानून के खिलाफ व MSP की कानूनी गारंटी के लिए दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के चले धरनों को आज 4 महीने पूरे हो रहे है। इतना लंबा आन्दोलन चलना न सिर्फ किसानों के हौसलें की जीत हैं, यह सरकार के लिए शर्म की भी बात है। हर मौसम की मार सहते हुए भी किसान दिल्ली के मोर्चो पर डटे हुए है।
सुबह से ही देशभर से भारत बंद की खबरे आ रही है। बिहार में बड़े पैमाने पर भारत बंद का असर देखा गया। पटना सहित भोजपुर, रोहतास, बक्सर, गया, नवादा, शेखपुरा, नालंदा, पूर्णिया, बेगूसराय, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सीवान, वैशाली समस्तीपुर, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, जमुई, पश्चिमी चम्पारण, आदि जिलों में बंद का व्यापक असर रहा. उत्तरप्रदेश में अलीगढ़, मोरादाबाद, इटावा, संभल समेत कई जगहों पर सड़के व बाजार बंद रखे गए। आंध्रप्रदेश में सरकार समेत लगभग सभी राजनीतिक दलों ने इस बंद का समर्थन किया था। कुरनूल व विजयवाड़ा में किसान संगठनों ने बंद को सफल बनाया। वारंगल, हनमाकोंडा व महबूबाबाद समेत दर्जनों जगह तेलंगाना में भारत बंद का असर देखा गया।
कर्नाटक के बैंगलोर समेत मैसूर, गुलबर्गा, मांड्या में किसानों ने सांकेतिक धरने दिए। मैसूर में तीन कृषि कानूनो की प्रतियां भी जलाई गई। ओडिशा के केंद्रपाड़ा व भद्रक व अन्य जगहों पर किसानों ने भारत बंद में अपना सहयोग दिया। उतराखण्ड में उधम सिंह नगर में बड़ी संख्या में किसानों ने इस बंद को सफल बनाया।झारखंड में रांची समेत अन्य जिलों में किसानों ने सडक़े जाम की। महाराष्ट्र में भी किसानों ने भारत बंद से भूमिका निभाई व पालघर और जलगांव में किसानों ने सडक़े बंद रखी।
पंजाब विश्वविद्यालय व पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में छात्र सक्रिय रूप से इस आन्दोलन में सेवा कर रहे है। आज सयुंक्त किसान मोर्चे की भारत बंद की कॉल पर छात्रों ने एक मार्च निकाला। वहीँ पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ, छात्र संगठनों व स्टाफ ने आज के भारत बंद को समर्थन दिया।
राजस्थान के बीकानेर, श्रीगंगानगर, केसरीसिंहपुर, पदमपुर, अनूपगढ़, NH 62 व अन्य स्थानों पर किसानों ने सड़के जाम की। हरियाणा में लगभग हर जिले से भारत बंद के सफल आयोजन की खबरें है। कुरुक्षेत्र, करनाल, सोनीपत, यमुनानगर, अम्बाला आदि शहरों से संचालन बंद रहा। पंजाब में मानसा, अमृतसर, मोगा, फिरोजपुर, जलंधर समेत 200 से ज़्यादा जगहों पर भारत बंद के कार्यक्रम हुए।
भारत बंद कार्यक्रम के दौरान, आज, 26 मार्च को, कर्नाटक और गुजरात जैसे भाजपा शासित राज्यों में कई संयुक्त किसान मोर्चा नेताओं और कैडर को पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया। यह शांतिपूर्ण ढंग से विरोध कर रहे नागरिकों के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है, जिसे भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने वर्तमान किसानों के विरोध प्रदर्शनों के संदर्भ में भी कहा है। सयुंक्त किसान मोर्चा के प्रमुख नेता व बीकेयू टिकैत के युद्धवीर सिंह, जे. के पटेल, गजेंद्र सिंह, रंजीत सिंह व अन्य साथी गुजरात के भावनगर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने गए थे, वहां उनको पुलिस ने आज गिरफ्तार कर लिया।
कर्नाटक में कविता कुरुगूंटी, कोडिहल्ली चंद्रशेखर, बेयारेड्डी, ट्रेड यूनियन नेताओं और अन्य प्रदर्शनकारियों को इसी तरह से बैंगलोर में पुलिस द्वारा उठाया गया। कर्नाटक पुलिस ने गुलबर्गा में भी कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया। एसकेएम ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ इस व्यवहार की कड़ी निंदा और विरोध किया। SKM ने बेंगलुरु के टाउन हॉल में सिविल कपड़ों में महिला पुलिस की तैनाती की निंदा की। भाजपा शासित सरकारें किसान आंदोलन को दबाने के लिए अपनी बौखलाहट में बुनियादी मानदंडों और नियमों का उल्लंघन कर रही हैं।
उतराखण्ड से चली किसान मजदूर जागृति यात्रा कल दिनांक 25 मार्च 2021 को गुरुद्वारा नानक बाड़ी मुरादाबाद में पहुंच गई थी। आज दिनांक 26 मार्च 2021 को यहां से यात्रा आरंभ होकर गुरुद्वारा गड़ गंगा तक पहुंचनी थी लेकिन आज भारत बंद के कारण से जागृति यात्रा मुरादाबाद में ही निरस्त कर दी गई ।
आज दिल्ली के आसपास के धरनास्थलों पर मौजूद किसानों ने आसपास की सड़के व रेलमार्ग जाम किये। दिल्ली के मजदूर संगठनों का अन्य जनवादी संगठनों ने दिल्ली के अंदर भी विरोध प्रदर्शन किया। मायापुरी, कालकाजी समेत अन्य जगहों पर जागरूक नागरिको ने सांकेतिक हड़ताल की।
हमे जानकारी मिली है कि आज बंद के दौरान कुछ जगहों पर मीडिया कर्मियों और आम लोगो को समस्याओं का सामना करना पड़ा। जाने अनजाने में अगर प्रदर्शनकारियों की इसमें भागीदारी है तो हमें खेद है।
अनेक राजनीतिक दलों, बार संघ, ट्रेड यूनियनों, छात्र संगठनों, जनवादी संगठनों, आढ़ती एसोसिएशन, छोटे व्यापारियों, सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत संगठन, सामाजिक व धार्मिक संगठनों व जागरूक नागरिको ने इस बंद का समर्थन किया और इसके लिए हरसंभव प्रयास किये। सयुंक्त किसान मोर्चा इन सब प्रयासों की प्रशंसा करता है।"
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