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शहीदों की यादमें एक यात्रा


                               शहीदों के सपनों को 

      मंजिल तक पहुंचाने की एक जद्दोजहद


गाँव-गाँव पहुँचने लगा किसान आंदोलन अब शहीदों की स्मृतियों को संजोते हुए आगे बढ़ने लगा है। इसी क्रम में संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय आह्वान पर 23 मार्च को एक 'शहीदी यादगार किसान यात्रा' अलीगढ़ से पलवल रवाना हुई। तय कार्यक्रम के अनुसार 12 बजे से किसान-मजदूर-बेरोजगार-नौजवान किसान आंदोलन के कार्यकर्ता अंबेडकर पार्क में जुटना शुरू हो गये। खबर पाते भारी संख्या में पुलिस बल ने अंबेडकर पार्क को घेर लिया। किसानों ने इसका विरोध करते हुए 'हिटलरशाही नहीं चलेगी', 'पुलिस के बल पर यह सरकार- नहीं चलेगी, नहीं चलेगी', 'भगतसिंह के सपनों को- मंजिल तक पहुँचाएंगे', 'लडेंगे, जीतेंगे' आदि नारे लगाए तथा किसान-यात्रा को तय कार्यक्रम के अनुसार जाने देने की मांग करने लगे।

 

संयुक्त किसान मोर्चा संयोजक शशिकान्त, अखिल भारतीय किसान सभा के इदरीश मोहम्मद,  बेरोजगार मजदूर किसान यूनियन के सोरन सिंह बौद्ध, भाकियू अम्बावता के जिलाध्यक्ष विनोद सिंह, भाकियू महाशक्ति के संगठनमंत्री सुरेशचन्द गांधी, अखिल भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष रामखिलाडी सविता, महिला किसान नेता कमलेश यादव की पुलिस अधिकारियों के साथ काफी देर तक तीखी नोकझोंक हुई। काफी देर तक अंबेडकर पार्क में किसानों को पुलिस ने घेरे रखा। काफी जद्दोजहद के बाद किसान अंबेडकर पार्क से बाहर आने में कामयाब हो गये। मामला बिगड़ते देख एसीएस द्वितीय रंजीत सिंह और सीओ सिविल लाइंस अनिल समानिया मौके पर पहुँच गये। आखिरकार पुलिस सुरक्षा में किसान यात्रा को शहर से रवानगी कराई गई। यात्रा के दौरान वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज और किसान संगठनों के झंडे लगे थे। किसान जमकर नारेबाजी करते हुए नगलिया गांव पहुंचे। नगलिया पहुंचकर किसानों-मजदूरों, छात्रों-नौजवानों की सभा की गई। सभा में तीनों कृषि बिलों के बारे में विस्तार से बताया गया। 


यात्रा में शामिल प्रो.अशोक प्रकाश ने संबोधित करते हुए तीनों कानूनों को जनविरोधी करार दिया। गभाना क्षेत्र के विद्यार्थियों और आम मजदूर-किसानों को संबोधित करते हुए उन्होंने किसान कानूनों की बारीकी से व्याख्या की तथा यह स्पष्ट किया कि कानून क्यों किसान-मजदूर विरोधी ही नहीं, आम जनता के भी विरोधी हैं।


 
  इसके पश्चात चुहुरपुर, कन्होई, गभाना में नुक्कड़ सभाएं की। चुहरपुर में हुई नुक्कड़ सभा में भारी संख्या में महिलाएँ, नौजवान और विद्यार्थी शामिल हुए। गभाना मंडी में सभा के दौरान सत्ता समर्थक तत्त्वों का एक समूह आ गया तथा किसान नेताओं के साथ धक्का-मुक्की करने और किसान-विरोधी कानून के बारे में आढ़तियों और मजदूरों को सच्चाई बताने से मना करने लगा। उनका कहना था कि हम इस मंडी में कोई सभा नहीं होने देंगे। लेकिन मंडी में ही किसान आंदोलन के सैकड़ों समर्थकों का भी समूह आ गया। आखिरकार अराजक तत्वों को वहाँ से जाना पड़ा। मंडी में सभा के पश्चात यात्रा के दौरान चंडौस, पिसावा के मुख्य बाजारों में सभाओं का आयोजन हुआ। देर शाम सभी किसान मीरपुर में 92 वर्षीय किसान संग्राम समिति के संस्थापक कामरेड देवीप्रसाद से भेंट की। ज्ञातव्य है कि कॉमरेड देवी प्रसाद शर्मा आपातकाल में गिरफ्तार होने के अलावा किसान-संघर्षों में शामिल रहने और उनका नेतृत्व करने कारण 13 बार जेल में डाले गए थे।

                                कॉमरेड देवी प्रसाद

  शहीदी यादगार किसान यात्रा में शामिल किसान कारे गांव में रात्रि विश्राम के पश्चात आज शादीपुर पहुँचे। शहीदे-आजम भगतसिंह की कर्मस्थली शादीपुर में स्मृति स्थल पर किसान नेताओं ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रद्धांजलि देते समय किसान नेताओं ने 'शहीद भगत सिंह-राजगुरु-सुखदेव अमर रहें', 'भगतसिंह तेरे सपनों को हम मंजिल तक पहुँचाएंगे', 'साम्राज्यवाद मुर्दाबाद, इंक़लाब ज़िंदाबाद', 'किसान मजदूर एकता जिन्दाबाद' आदि नारों से शहीदों के प्रति अपनी भावनाएँ प्रकट की। शादीपुर स्थित शहीद भगतसिंह स्मारक स्थल पर यात्रा में शामिल लोगों ने तमाम सरकारों के खिलाफ रोष व्यक्त किया कि जिन शहीदों ने अपनी कुर्बानी देकर अंग्रेजों से आजादी दिलाई, राजनीतिक दलों और उनकी सरकारों ने उनके सपनों को भुला दिया। श्रद्धांजलि देने वालों में 92 वर्षीय भगतसिंह के साथियों के साथ सक्रिय रहे किसान नेता कॉमरेड देवीप्रसाद प्रमुख थे। इसके अलावा संयुक्त किसान मोर्चा संयोजक शशिकान्त, भारतीय किसान यूनियन टिकैत के अलीगढ़ जिलाध्यक्ष विमल तोमर, बेरोजगार मजदूर किसान यूनियन  के अशोक प्रकाश, गोकुल करन, लोकेश कश्यप, शिव कुमार, अखिल भारतीय किसान सभा के इदरीश मोहम्मद, भारतीय किसान यूनियन महाशक्ति के संगठनमंत्री सुरेश गांधी के अलावा अन्य किसान-मजदूर-बेरोजगार शामिल थे। 


स्मृति स्थल पर श्रद्धांजलि देने के पश्चात किसान यात्रा उस स्थान पर पहुँची जहाँ पहले कभी घना जंगल था। इसी स्थान भगतसिंह अंग्रेजों से बचकर रहे। यहाँ स्थानीय महिला किसान ने कहा कि भगतसिंह जिस स्थल पर रहे, वहाँ 8 बीघा सरकारी जमीन होने के बावज़ूद स्मृति-स्थल नहीं बनाया गया बल्कि राजनीतिक दलों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से अलग आबादी स्थल पर स्मारक बनाया गया। किसान यात्रा में शामिल किसान नेताओं ने उस स्थल की मिट्टी ली तथा उसे दिल्ली में शहीद किसानों की याद में सिंघु बार्डर पर बनने वाले स्मारक में शामिल कराने के लिए ले गए जहां 300 से अधिक शहीद किसानों के स्मारक का मुख्य हिस्सा बनेगी शादीपुर की मिट्टी। किसान नेताओं का कहना था कि यह अलीगढ़ की जनता के लिए ऐतिहासिक गौरव के क्षण है जब ऐतिहासिक किसान आन्दोलन में शहीद किसानों के स्मारक में शादीपुर की मिट्टी शामिल होगी। 

                               ★★★★★★★

     

 

 

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