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भारतीय विश्वविद्यालयों के परिसरों की घेराबंदी

               भारतीय विश्वविद्यालयों के परिसरों की घेराबंदी               शैक्षणिक संस्थाओं पर हो रहे हमलों पर आयोजित                      पीपुल्स ट्रिब्यूनल  की रपट 7 मई 2019                       कान्स्टीट्यूशन क्लब दिल्ली में जारी य ह रपट देश की शैक्षणिक संस्थाओं की संकटपूर्ण स्थिति को दर्शाने वाला महत्वपूर्ण दस्तावेज है। छात्रों को हाशिये पर ढकेलने, बढ़ते अपराधीकरण के संदर्भ में यह अधिक प्रासंगिक है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे लगातार हमलों के चलते सिकुड़ते लोकतांत्रिक दायरों ,छात्र संघों ,शिक्षक संगठनों ,नागरिक संगठनों ,सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 2016 में पीपुल्स कमिशन ऑन श्रिंकिंग डेमोक्रेटिक स्पेस इन इंडिया (पीसीएसडीएस) गठित कर  भारत में सिकुड़ते लोकतंत्र के दायरे पर जन आयोग  (पीसीएसडीएस) 11 अप्रैल से 13 अप्रैल, 2018 के बीच, भारत में शैक्षिक संस्थानों पर हमलों पर पहल...

उच्च शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय...

                       बर्बादी की कगार पर विश्वविद्यालय   दिल्ली विश्वविद्यालय के मैथेमेटिक्स और अन्य विभागों में पोस्ट ग्रैजुएट स्टूडेंट के फेल होने की सच्चाई: शिक्षा, विशेष रूप से उच्च शिक्षा पर चल रहे हमले के साथ, यह प्रेस कॉन्फ्रेंस की क्षमता के बारे में संदेह होना स्वाभाविक हैयह स्वाभाविक है। वें प्रेस कांफ्रेंस की क्षमता के बारे में उलझन में हैं। आपको झटका देने के लिए, लेकिन संख्याएं खुद बोलेंगी दिल्ली विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर छात्रों के बीच विफलता की एक अशांत और अविश्वसनीय दर है। डीयू, राजधानी के एक प्रमुख केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में अपने पाठ्यक्रमों में सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करता है। आवेदकों को पीजी कोर्स की सीमित सीटों पर या तो राष्ट्रीय प्रवेश के माध्यम से या स्नातक में उनके अंकों के आधार पर प्रवेश मिलता है।   उत्कृष्टता का विचार डीयू में प्रवेश पाने वाले छात्रों का स्नातक में बहुत अधिक प्रतिशत होता है या वे प्रवेश परीक्षा में उच्च कट ऑफ को पूरा करते हैं। लेकिन कुछ ही सम...

क्या शिक्षा में सचमुच गरीबों के लिए कोई जगह है?

             प्राथमिक शिक्षा के प्रति                  उनका नकचढ़ापन!                                                  - अशोक प्रकाश              प्राथमिक शिक्षा का जो हाल किया जा रहा है वह बाहर से कुछ और, भीतर से कुछ और है! बाहर से तो दिख रहा है कि शासक-लोग गरीब जनता को अंग्रेजी पढ़ाकर उन्हें बड़ी-बड़ी कम्पनियों में नौकरी के लिए तैयार कर रहे हैं, पर हक़ीक़त में उनसे उनकी पढ़ाई-लिखाई की रही-सही संभावनाएं भी छीनी जा रही हैं। एक तरफ पूरी दुनिया की भाषाओं में हिंदी भाषा की रचनाओं के अनुवाद किए जा रहे हैं, गूगल से लेकर तमाम सर्च इंजन और वेबसाइटों द्वारा दुनिया की मातृभाषाओं के अनुसार अपने को ढालने और लोगों तक पहुंचने की कोशिशें की जा रही हैं, दूसरी तरफ हमारे देश में प्राथमिक शिक्षा के स्तर से ही उनकी मातृभाषा छीनने की कोशिश हो रही है।...   ...

A Call from AIFUCTO:

                      "Save Campus, Save Education,                                      Save Nation..." Friends, Greetings from AIFUCTO. In the mean time you must have gone through AIFUCTO circular appealing you all to make Peoples' March to New Delhi on February 19th 2019 a grand success.This will be a manifestation of unique solidarity of all teachers' organizations from KG to PG,students' organisations ,employees and many others working in education sector with a commitment to "Save Campus, Save Education,Save Nation" A meeting of JFME(Joint Forum for Movement on Education) held today in New Delhi to finalize the detail program of Peoples' March.All the member organisations enthusiastically participated in the discussions and gave valuable suggestions for the success of the program. Following important decisions were taken...

किसानों का 'दिल्ली चलो!'

प्रेस-विज्ञप्ति:                           29-30 नवम्बर दिल्ली चलो! मोदी सरकार द्वारा किसानों के साथ की गयी धोखाधड़ी के खिलाफ देश भर से किसानों का “दिल्ली मार्च”: साथियों! 2014 के लोकसभा चुनाव में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी भाजपा ने देश के किसानों से कर्ज माफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुरूप फसलों का डेढ़ गुना दाम देने का वायदा किया था. यही नहीं उन्होंने देश के लोगों को अच्छे दिन लाने का वायदा भी किया था. पर अपने साढे चार साल के शासन में इस सरकार ने न सिर्फ देश के किसानों के साथ खुला धोखा किया बल्कि अपनी कारपोरेट परस्ती के कारण आज देश को आर्थिक कंगाली के कागार पर खड़ा कर दिया है. जो मोदी सरकार घाटे की खेती के कारण आत्महत्या को मजबूर देश के किसानों की कर्ज माफी को तैयार नहीं है, वही सरकार देश के सभी संशाधनों पर कब्जा जमा कर अति मुनाफ़ा लूट रहे देश के बड़े पूंजीपतियों का साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए का बैंक कर्ज इसी साल बट्टे खाते में डाल चुकी है. इस सरकार ने अपने एक चहेते पूंजीपति के लिए जह...

Joint Forum for Movement on Education Convention:

हे राम! हाय राम!!...

  हे राम! हाय राम!!...                                                - अशोक प्रकाश हे राम! महत्त्वपूर्ण यह नहीं कि तुम कब थे? या तुम नहीं थे! महत्त्वपूर्ण यह है कि तुम हो... कहाँ हो? 'रामायण' में, 'उत्तर राम चरितं' में, कबीर की साखियों और पदों में, 'राम चरित मानस' में, 'कम्बन रामायण' में, 'रामचंद्रिका' में, 'मेघनाथ वध काव्य' में, रवींद्र के 'काब्बेर उपेक्षिता' में, महावीर प्रसाद द्विवेदी के- 'कवियों की उर्मिला विषयक उदासीनता' में, मैथिली शरण गुप्त के 'साकेत' में, निराला की- 'राम की शक्तिपूजा' और 'तुलसीदास' में, ललई यादव की 'सच्ची रामायण' में, नरेन्द्र कोहली की 'रामकथा' में, भगवान सिंह के 'अपने-अपने राम' में, रामानन्द सागर के 'रामायण' में, चंदन एन सिंह लिखित- जी-टीवी के 'रावण' में, मणिरत्नम की फ़िल्म 'रावण' में... हे राम!... तुम कहाँ-कहाँ हो?.. कैसे-कैसे हो?... तुम हो तो रावण भी है रामराज है तो रावणराज भी है... न जाने कितने लोग दिहाड़ी न पाने पर...