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शिक्षा गुणवत्ता का ढिंढोरा: दाल में कुछ काला है!


दाल में कुछ काला है क्या?...

                          शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक में 
                          उत्तर प्रदेश फिसड्डी घोषित!

                                            साभार- 'अमर उजाला'
           
          उत्तर प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा इन दिनों अक्सर मीडिया की सुर्खियों में रहती है!...ये सुर्खियां प्रायः शिक्षकों की कामचोरी, अक्षमता, अनुपस्थिति, लेट-लतीफी आदि की होती हैं! शिक्षकों को छोड़कर शिक्षा-व्यवस्था से जुड़े बाकी सभी नेता, नौकरशाह, अधिकारी, कर्मचारी, ग्राम प्रधान, गैर-सरकारी संगठन यानी एनजीओ आदि प्रायः सुयोग्य, चुस्त-दुरुस्त, कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार बताए-दिखाए जाते हैं! या कम से कम शिक्षकों को छोड़कर अन्य किसी पर उंगलियां नहीं उठाई जातीं!..क्यों?

        शिक्षकों से सम्बंधित इस 'क्यों?' -सवाल के उत्तर से पहले उसके परिणामों पर गौर करना जरूरी है। क्योंकि समाज और अधिकारियों के कठघरे में खड़े किए जाते शिक्षक सजा पाने के हक़दार तर्क और न्याय की किसी कसौटी पर कसे बिना ही पहले से ही अपराधी घोषित किए जा रहे हैं! सजा भी देना शुरू हो रहा है। उदाहरण स्वरूप शिक्षकों की दिन में तीन बार हाज़िरी लगाने के लिए लाया जाने वाला 'प्रेरणा-ऐप' शिक्षकों पर बाध्यकारी बनाने की कोशिशें चल रही हैं। यह कहते हुए भी कि अधिकतर शिक्षक कर्मठ और ईमानदार हैं!...फिर?...'कुछ' के खिलाफ़ कार्रवाई न कर सब पर इस दुष्प्रेरणा का बोझ क्यों लादा जा रहा है? सब पर ..
        इन परेशानियों और परिस्थितियों में शिक्षक सोशल मीडिया पर तरह-तरह से अपना क्षोभ-आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं! कुछ व्यंग्य/बानगी दृष्टव्य है:

★*आकस्मिक अवकाश लेने का नया application format.*
●•●•●•●•●•
*सेवा में,*
*खण्ड शिक्षा अधिकारी विo क्षेत्र .......जिला.......*
" महोदय,
        _सविनय निवेदन इस प्रकार है ,कि प्रार्थी को 03 दिन बाद बुखार आने वाला है, जिस कारण प्रार्थी विद्यालय उपस्थित होने में असमर्थ रहेगा।अतः महोदय जी से विनर्म निवेदन है,कि बुखार आने से पूर्व प्रार्थी का  01 दिन का आकस्मिक अवकाश स्वीकृत करने की कृपा करें,धन्यबाद।_

                            *प्रार्थी*
                  एक दुःखी अध्यापक "
★★एक अन्य संदेश:
अच्छी तानाशाही है , कर्मचारियों के टैक्स से मजा मारे नेता , कर्मचारी यदि अपनी सुविधाओं के लिए धरना रखे तो उन्हें नौकरी से ही निकाल दिया वाह रे वाह ।  अपनी सुख सुविधाओं को तो सारे नेता मिलकर सारे गीले शिकवे भुला कर बढ़ा लेते है । कर्मचारियों की सुविधाओं को जोकि उनकी सुविधाओं की तुलना में नगण्य होती है उसके लिए इनकी हालत पतली हो जाती है 🙏🙏😡😡

★★★शिक्षकों,कर्मचारियों को देश पर भार बताने वाले  देश के गरीबों को मिलने वाली सुख सुविधाएं भी देखें:


★★★★
*अत्यंत सुकून सा मिलता है*
*पेट्रोल* भरवाकर...
*गुप्त दान* दिए जाने का
*सुखद अहसास* मिलता..

आख़िर *31 रुपये* का
*पेट्रोल* 75 मे इसलिए
*खरीदता* हूँ क्योंकि

 *कुछ लोगों* को *29 रुपये* का *गेहूँ 2 रुपये* में

*40 रुपये* का
*चावल 1 रुपये* में मिल सके।

*आओ देश के लिए कमाएं* और दें

*30% आयकर*
*28% जीएसटी,*
*पेट्रोल में 10 %,*
*लोकल टैक्स 10%,*

*ताकि देश के गरीब  सांसदों, विधायकों के घर रोटी बन सके। उनके बच्चे विदेश में पढ़ सके, उनकी संपत्ति 1 साल में दोगुनी- 4 गुनी हो सके।*

*लोकसभा राज्यसभा के सांसदों को जीवन भर पेंशन मिले सके*!!

*आप आम इंसान हैं आपका घर चले न चले लेकिन देश के सभी नेताओं के ऐशो आराम में कमी नहीं होना चाहिए।*

*आओ देश के इन महानुभाओं के लिए कमाएं।*
                                 ★★★★★


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