Skip to main content

चलो बनाएँ बागेश्वर धाम!

                     सर मत पीटिये!..

        क्यों नहीं फले-फूलेगा ये बागेश्वर धाम,

     मारे-मारे जब फिरते हैं नौजवान बे-काम!..

बागेश्वर धाम के नाम से मशहूर हो रहे 26 वर्षीय  'बाबा' धीरेन्द्र शास्त्री की बड़ी चर्चा है इन दिनों! बाबा चमत्कार पे चमत्कार किए जा रहे हैं और जनता सौ से हजार, हजार से लाख और लाख से करोड़ की संख्या में उनकी दीवानी ही रही है। कभी सोचा, ऐसा क्यों? .. और क्यों नहीं? 

क्या यह पहली बार है? क्या धीरेन्द्र शास्त्री अकेले हैं इस कारोबार में? राजनीतिक बाबा क्या ज़्यादा अच्छे हैं कि आप वे जो कहते हैं, उसे मान लिया करते हैं? और जो लोग इन धार्मिक-राजनीतिक बाबाओं को नहीं मानते वे क्या कर रहे हैं?

क्या आपको पता या याद है कि ये चमत्कार आदिवासी, अशिक्षित, अर्द्ध-शिक्षित इलाकों में ही ज़्यादा क्यों होता है? क्या वहाँ यह जीने का एक तरीका या मनोरंजन का एक साधन है? और यह नौकरिया-ज्ञान भी वास्तव में जीवन की कितनी और कैसी शिक्षा/सीख दे पाने में समर्थ है! चाहे राजों-महाराजों के जमाने में रहा हो, अंग्रेजों के जमाने में रहा हो या आज, नौकर-सेवक-सर्वेंट तो आज्ञा का गुलाम ही रहा है, रहेगा! हाँ, अगर यह सेवा धोखा हो तब बात और है! तब आप सेवक से अधिकारी या नेता बन जाते हैं!

 तब ये या ऐसे बाबा अगर अपना करिश्माई व्यापार नहीं करेंगे तो क्या करेंगे? हर साल-दो साल में यहाँ या वहाँ ऐसे चमत्कारी बाबा अवतरित होते रहते हैं। तब तक उनका धंधा फलता-फूलता रहता है जब तक वे प्रमाणित और वैधानिक राजनीतिक या ब्यूरोक्रेटिक बाबाओं से तालमेल बिठाने में सफल रहते हैं, भक्तों के चढ़ावे का अच्छा-खासा हिस्सा उनके हवाले करते रहते हैं या फिर उनका वोट-बैंक बढ़ाने के काम आते रहते हैं। नहीं तो आशारामराहीम बन जाते हैं और चमत्कार से अर्जित अपनी संपत्ति अपने से बड़े चमत्कारी सांस्थानिक बाबाओं को सौंप अपने जीवन की दुआ करते हैं।

कभी सोचा आपने कि जहाँ अंधविश्वासी ही ज्ञानी, परम-ज्ञानी माना जाता हो, लम्पट और धूर्त ही समझदार विद्वान और विषय-मर्मज्ञ माना जाता हो, वहाँ और क्या होगा?  और जहाँ इन चमत्कारियों का निर्माता/संरक्षक अदानियों और राजनेताओं का गिरोह हो वहाँ और क्या होगा! क्यों नहीं जो खुद ऐसे ही चमत्कारों पर सवार होकर राज कर रहा हो वह ऐसे शास्त्रियों को उछालेगा? कहीं ऐसा तो नहीं कि इनको उछालने वाले वही हैं जो ऐसा कर पाने में असफल हैं या इनके बूते ही थोड़ा खुद भी उछल जाने की फ़िराक में हैं! जब से बाबा का विरोध शुरू हुआ बाबा लाखपति से करोड़पति होने लगे।

तो दो बातें गाँठ बांध लीजिए:

(1) जब तक नौजवान, शिक्षित या अशिक्षित बेकाम-बेकार घूमेंगे तो धीरेन्द्र शास्त्री बनना शर्म की नहीं, श्रेष्ठता और ज्ञान की निशानी मानी जाएगी!

(2) जब तक बाबाओं, योगियों, भोगियों - राजनीतिक या अराजनीतिक की पूजा होती रहेगी आप ऐसे चमत्कार को नमस्कार करते रहेंगे।

बाकी, आपको क्या करना है- यह आप जानें! चमत्कार को नमस्कार  या चमत्कार पर असली वार!

                                ★★★★★★★

Comments

Popular posts from this blog

नागपुर जंक्शन-दो दुनिया के लोग

          नागपुर जंक्शन!..  आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राजधानी या कहिए हेड क्वार्टर!..डॉ भीमराव आंबेडकर की दीक्षाभूमि! अम्बेडकरवादियों की प्रेरणा-भूमि!  दो विचारधाराओं, दो तरह के संघर्षों की प्रयोग-दीक्षा का चर्चित स्थान!.. यहाँ दो व्यक्तियों को एक स्थान पर एक जैसा बन जाने का दृश्य है। दोनों बहुत कुछ अलग।  इन दोनों को आज़ादी के बाद से किसने कितना अलग बनाया, आपके विचारने के लिए है।  अमीर वर्ग, एक पूँजीवादी विचारधारा दूसरे गरीबवर्ग, शोषित की मेहनत को अपने मुनाफ़े के लिए इस्तेमाल करती है तो भी उसे क्या मिल जाता है?..  आख़िर, प्रकृति तो एक दिन दोनों को एक ही जगह पहुँचा देती है!... आप क्या सोचते हैं? ..  

मुझसे जीत के दिखाओ!..

कविता:                     मैं भी चुनाव लड़ूँगा..                                  - अशोक प्रकाश      आज मैंने तय किया है दिमाग खोलकर आँख मूँदकर फैसला लिया है 5 लाख खर्चकर अगली बार मैं भी चुनाव लड़ूँगा, आप लोग 5 करोड़ वाले को वोट देकर मुझे हरा दीजिएगा! मैं खुश हो जाऊँगा, किंतु-परन्तु भूल जाऊँगा आपका मौनमन्त्र स्वीकार 5 लाख की जगह 5 करोड़ के इंतजाम में जुट जाऊँगा आप बेईमान-वेईमान कहते रहिएगा बाद में वोट मुझे ही दीजिएगा वोट के बदले टॉफी लीजिएगा उसे मेरे द्वारा दी गई ट्रॉफी समझिएगा! क्या?..आप मूर्ख नहीं हैं? 5 करोड़ वाले के स्थान पर 50 करोड़ वाले को जिताएँगे? समझदार बन दिखाएँगे?... धन्यवाद... धन्यवाद! आपने मेरी औक़ात याद दिला दी 5 करोड़ की जगह 50 करोड़ की सुध दिला दी!... एवमस्तु, आप मुझे हरा ही तो सकते हैं 5 लाख को 50 करोड़ बनाने पर बंदिश तो नहीं लगा सकते हैं!... शपथ ऊपर वाले की लेता हूँ, आप सबको 5 साल में 5 लाख को 50 करोड़ बनाने का भरोसा देता हूँ!.. ताली बजाइए, हो सके तो आप भी मेरी तरह बनकर दिखाइए! ☺️☺️

आपके पास विकल्प ही क्या है?..

                          अगर चुनाव              बेमतलब सिद्ध हो जाएं तो? सवाल पहले भी उठते रहते थे!... सवाल आज भी उठ रहे हैं!... क्या अंतर है?...या चुनाव पर पहले से उठते सवाल आज सही सिद्ध हो रहै हैं? शासकवर्ग ही अगर चुनाव को महज़  सर्टिफिकेट बनाने में अपनी भलाई समझे तो?... ईवीएम चुनाव पर पढ़िए यह विचार~ चुनाव ईवीएम से ही क्यों? बैलट पेपर से क्यों नहीं? अभी सम्पन्न विधानसभा चुनाव में अनेक अभ्यर्थियों, नुमाइंदों, मतदाताओं ने ईवीएम में धांधली गड़बड़ी की शिकायत की है, वक्तव्य दिए हैं। शिकायत एवं वक्तव्य के अनुसार जनहित में वैधानिक कारवाई किया जाना नितांत आवश्यक है।।अतः चुनाव आयोग एवं जनता के हितार्थ नियुक्त उच्च संस्थाओं ने सभी शिकायतों को संज्ञान में लेकर बारीकी से जांच कर,निराकरण करना चाहिए। कई अभ्यर्थियों ने बैटरी की चार्जिंग का तकनीकी मुद्दा उठाया हैं जो एकदम सही प्रतीत होता है। स्पष्ट है चुनाव के बाद या मतगणना की लंबी अवधि तक बैटरी का 99% चार्जिंग  यथावत रहना असंभव~ नामुमकिन है।  हमारी जानकारी के अनुसार विश्व के प्रायः सभी विकसित देशों में ईवीम से चुनाव प्रतिबंधित है,बैलेट पेपर से चुनाव