ऐसा नहीं होना चाहिए!... कभी नहीं और कहीं नहीं होना चाहिए!... ?! ?! ?! ?! ?! ?! ?! लगता है जैसे कोई ललकार रहा हो! हिम्मत है तो आ- हमारा लगता है जैसे कोई ललकार रहा हो!...हिम्मत है तो आ- हमारा सामना कर!... महाभारत का यह उद्धत-आह्वान-'युद्धं देहि!...' उन सबको पसंद है जो शेरदिल हैं और तमाम प्राणियों के साथ इंसानों को भी जैसे खा जाने में विश्वास करते हैं! 'वीरभोग्या बसुंधरा' सिद्धांत के ये हिमायती 'राजा राज करने के लिए पैदा होता, प्रजा सेवा करने के लिए' -में भी विश्वास करते हैं और इसमें भी कि 'अमीर-गरीब, ऊंच-नीच, अच्छे-बुरे सब ऊपर वाले के बनाए होते हैं... और इसमें भी कि अमीर, ऊंच, अच्छा होना उनका जन्मजात अधिकार है! तो मारे जाने वालों, तुम मारे जाने के लिए ही पैदा हुए थे!... ....और हे मृतकों के शवों पर रोने वालों और इनके मरने पर मातम मनाने वाले देशवासियों, तुम व्यर्थ चिंतित हो रहे हो!...देखो तो, इनकी तरह तुम भी मरे ही हुए हो! - कौन हैं वे लोग जो शांतिप्रिय मेरे दे
CONSCIOUSNESS!..NOT JUST DEGREE OR CERTIFICATE! शिक्षा का असली मतलब है -सीखना! सबसे सीखना!!.. शिक्षा भी सामाजिक-चेतना का एक हिस्सा है. बिना सामाजिक-चेतना के विकास के शैक्षिक-चेतना का विकास संभव नहीं!...इसलिए समाज में एक सही शैक्षिक-चेतना का विकास हो। सबको शिक्षा मिले, रोटी-रोज़गार मिले, इसके लिए जरूरी है कि ज्ञान और तर्क आधारित सामाजिक-चेतना का विकास हो. समाज के सभी वर्ग- छात्र-नौजवान, मजदूर-किसान इससे लाभान्वित हों, शैक्षिक-चेतना ब्लॉग इसका प्रयास करेगा.