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एक और लड़ाई पहाड़ बचाने की

और लड़ाई जारी है:                कब रुकेंगी इस तरह की                 जन-संपदा की लूट? धजवा पहाड़ बचाने के लिये संघर्षरत ग्रामीणों को समर्थन देने 1 जनवरी को भूख हड़ताल पर बैठेंगे कई राजनीतिक दल व जन संगठन  पानी के स्रोत पहाड़, पर्यावरण व अध्यात्मिक स्थल धजवा पहाड़ को बचाने की लड़ाई अब विस्तार पा रही है. पांडू के कुटमू- बरवाही से निकल राजधानी तक पहुंच गई है, लेकिन सरकार व जिला प्रशासन की ओर से संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में अभी तक कोई ठोस पहल  नहीं की गई है, उल्टे दमन के बल पर संघर्ष को समाप्त करने का प्रयास किया गया है. धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति ने 19 दिसम्बर से क्रमिक भूख हड़ताल आरम्भ कर दिया है.  मौखिक आश्वासन के बल पर आंदोलन को समाप्त कराने में नकामी हासिल होने पर दमन का सहारा लेने से प्रशासन की जहाँ पोल खुली, वहीं जनता की एकजुटता मजबूत हुई है. इसी मजबूती को सुदृढ़ करने व आंदोलन को धार देने के कई राजनीतिक दल, जनसंगठन, सामाजिक संगठन के नेता व कार्यकर्ता आंदोलन स्थल पर भूख हड़ताल करने 1 जनवरी को धजवा पहाड़ पर जा रहे हैं. सनद हो कि धजवा पहाड़ को निगलने के लिए पत्थर माफियाओं द्वारा किए गये क

संयुक्त किसान मोर्चा (पंजाब) नहीं लड़ेगा चुनाव!

                        चुनावों से नहीं, आंदोलन से ही                     बदलेगी किसानों की तक़दीर ★ संयुक्त किसान मोर्चा नहीं लड़ेगा पंजाब विधानसभा चुनाव, एक दर्जन के लगभग बड़े संगठनों ने जनसंघर्ष जारी रखने का किया ऐलान। ★ चुनावो के लिए कोई भी व्यक्ति या संगठन SKM या 32 संगठनों का नाम प्रयोग न करें।       संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने स्पष्ट किया है कि वे पंजाब विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहे है।  यह जानकारी मोर्चा की 9 सदस्यीय समन्वय समिति के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल व डॉ.दर्शनपाल ने दी। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा जो देश भर में 400 से अधिक विभिन्न वैचारिक संगठनों का एक मंच है जो केवल किसानों के मुद्दों पर बना है। न तो चुनाव के बहिष्कार का कोई आह्वान नहीं है और न ही चुनाव लड़ने की कोई समझ बनी है।  उन्होंने कहा कि इसे लोगों ने सरकार से अपना अधिकार दिलाने के लिए बनाया है और तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के बाद संघर्ष को स्थगित कर दिया गया है, शेष मांगों पर 15 जनवरी को होने वाली बैठक में निर्णय लिया जाएगा.          पंजाब में 32 संगठनों के बारे में उन्होंने कहा कि इस विधानसभा चु

The vote politics of the rulers and Farmers' Movement

         continue the Farmers' struggle & D on't waste time on Vote Politics                     Photo courtesy: www.groundxero.in Bharti Kisan Union ( BKU  EKTA UGRAHAN ) issues  a clarion call to continue the struggle on the burning issues of Farmers. Reacting to the issue of some farmers unions of Punjab on their decision to contest the coming elections, Bharti Kisan Union ( BKU  EKTA UGRAHAN ) stated that struggling farmer unions instead of getting entangled in the vote politics of the rulers the farmer unions should concentrate on the farmers issues.  State President Joginder Singh Ugrahan and the General Secretary Sukhdev Singh Kokri Kala of the organisation said that the farmers ‘ struggle against the farm laws has also proved that the rights and interests of farmers cannot be saved and ensured by sitting in the Parliament or Assemblies rather the same can be achieved only by struggle in the open at mass and community level. The leaders said that still only three fa

अगला मन्दिर आपके मोहल्ले में...

       बैंक जाएँ, चाहे सारी दुनिया           भक्त कहें बस मन्दिर-मन्दिर!      ऐसे ही नहीं गुलाम बना था देश!          मुद्रास्फीति 8% है, और बचत पर बैंक की ब्याज दर 4.8% याने घर मे रखने पर पैसा 8% की दर से घटेगा। बैंक में रखो तो 3.2% की दर से घटेगा (8 - 4.8 = 3.2) अब आप मजबूर हैं, बचत का पैसा शेयर मार्केट में को। No other option!  शेयर का पैसा कंपनी को जाएगा। डूब गई, तो सारा पैसा गया। 🤷‍♂️ उधर बैंक ने जो जमा आपसे ली है, वह भी लोन बनकर कम्पनी को जाएगा।  अब दिवालिया कानून जो मोदी की सरकार ने बनाया है, वो कहता है कि कम्पनी के मालिकान, कम्पनी डूबने पर सिर्फ उतने पैसे की देनदारी को मजबूर होगा, जितना कि उसकी शेयर कैपिटल है।  🤔 इसे ऐसे समझें -  मालिक की 100 करोड़ की शेयर कैपिटल है। 1000 करोड़ आपकी बचत का शेयर मार्किट से उठा लिया। 5000 करोड़ बैंक से आपके पैसे से लोन उठा लिया। लेकिन कम्पनी उसकी देनदारी 100 करोड़ ही रहेगी।  याने देशवासियों को लूटकर खा जाने की आजादी नया राष्ट्रवाद है। 😏 इसी तरह बैंक डिपाजिट गारंटी स्कीम याने बैंक डूबने की स्थिति में आपको 5 लाख वापस मिलने की गारंटी को समझिए।  5

यह संदेश आप सबके लिए है!

                        राजतिलक की करो तैयारी                         घर आ रहे हैं..                 18 लाख बैंक कर्मचारी!  😁😁 बैंको के निजीकरण से 10 लाख नौकरियां खत्म होंगी  तो उन 10 लाख लोगो को  अपने परिवार के साथ 30 लाख लोगो को  सड़कों पर आंदोलन पर होना चाहिए। BSNL से शुरू हुआ कारवां,  दिन दूनी रात चौगनी तरक़्क़ी करता हुवा  आज बैंकों तक पहुँच गया.. नम्बर सबका आएगा प्रसाद सबको मिलेगा जब तक दवाई नही तब तक ढिलाई नही। लगातार हाथ धोते रहिये। कभी नौकरी से,कभी सैलरी से, कभी पेंशन से,कभी बिजनेस से 🙄सरकार आपके साथ है😉 रामराज युग में नोट व बैंक नहीं थे, रेल व हवाई अड्डे नहीं थे,  BSNL, LIC नहीं थी, विश्वविद्यालय और न्यायालय नही थे, तो फिर इन सबके साथ रामराज कैसे स्थापित होगा ?? 😍आज बैंक वाले भी हड़ताल पर किसी को छोड़ना नहीं है  कोई बचा हो तो,  सर्च करो और सड़क पर आने दो. चायवाला बैंक बेच रहा है  अब बैंक वाले चाय बेचेंगे । #BankStrike एक बार फिर से थाली और परात लेकर तैयार रहें पता नही कब आदेश आ जाए📯📯               प्रस्तुति: मुकेश कुमार मयंक ,                   मानव सेवा दल संस्थान    

जानिए योगियों के नाथ-सम्प्रदाय को

परीक्षा की तैयारी स्नातक हिंदी प्रथम वर्ष प्रथम सत्र नाथ सम्प्रदाय   गोरखनाथ              नाथ-सम्प्रदाय: एक परिचय सिद्धों और योगियों की रचनाएँ        हिन्दी साहित्य  का आदिकाल वीरगाथाओं का ही नहीं;  नाथों, सिद्धों, जैनियों की 'बानी' का भी  काल है। इनमें नाथ-सम्प्रदाय का साहित्य हिन्दी की आदिकालीन काव्यधारा में विशेष महत्त्व रखता है। इसका एक प्रमुख कारण परवर्ती हिंदी साहित्य पर उसका महत्त्वपूर्ण प्रभाव है। वस्तुतः नाथ साहित्य को जाने-समझे बिना हिंदी के विशेषकर संत-साहित्य को जानना-समझना आसान नहीं। 'नाथ' का तात्पर्य: 'हिंदी साहित्य कोश' के अनुसार, " 'नाथ' शब्द का प्रयोग 'रक्षक' या 'शरणदाता' के अर्थ में 'अथर्ववेद' और 'तैत्तिरीय ब्राह्मण' में मिलता है। 'महाभारत' में 'स्वामी' या 'पति' के अर्थ में इसका प्रयोग पाया जाता है। 'बोधि चर्यावतार' में बुद्ध के लिए इस शब्द का व्यवहार हुआ है। ...परवर्ती काल में योगपरक पाशुपत शैव मत का विकास नाथ सम्प्रदाय के रूप में हुआ और 'नाथ' शब्द 'शिव&#

फणीश्वरनाथ रेणु: सुनो कहानी रेणु की

गतिविधि :  हिन्दी साहित्य                                     'रेणु-राग'                 फणीश्वरनाथ रेणु की जन्मशती के अवसर पर                                  राष्ट्रीय संगोष्ठी पटना, 19 दिसम्बर।  पटना विश्विद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा फणीश्वरनाथ रेणु की जन्मशती के अवसर पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी  'रेणु-राग' पटना कॉलेज सेमिनार हॉल में  हुई। इस संगोष्ठी में  बिहार तथा बाहर के विभिन्न विश्विद्यालयों से जुड़े साहित्यकार, आलोचक व  प्रोफ़ेसर शामिल हुए। इसके साथ साथ बड़ी संख्या में पटना विश्विद्यालय के छात्रों के अलावा  साहित्य, संस्कृति से जुड़े बुद्धिजीवी , रंगकर्मी सामाजिक कार्यकर्ताओं के अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि मौजूद थे।             संगोष्ठी का उद्घाटन रेणु के चित्र पर माल्यार्पण करने के साथ हुआ। ‛हिंदी कहानी : परम्परा, प्रयोग और रेणु’ सत्र की अध्यक्षता प्रसिद्ध कथाकर और तद्भव पत्रिका के संपादक श्री अखिलेश ने की। इस सत्र की चर्चा की शुरुआत करते हुए दिल्ली से आये चर्चित कथाकार संजय कुंदन ने कहा- “फणीश्वर नाथ रेणु ऐसे कथाकार थे जिन्होंने प्रेमचन्द के ग्रामीण जी