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नीमूचाना-राजस्थान का ऐतिहासिक किसान आंदोलन

                    14 मई नीमूचाना हत्याकांड के                शहीद किसानों की याद में                                                             - शशिकांत                         नीमूचाना सेठों की वीरान हवेली   ★ एक ऐसा किसान आन्दोलन जो इतिहास के पन्नों में खो गया!..           14 मई का राजस्थान का इतिहास खोजें तो गूगल में पहला जबाव होगा - नीमूचाना किसान आन्दोलन! लेकिन आज यह आन्दोलन केवल राजस्थान की प्रतियोगी परीक्षाओं का महज एक महत्वपूर्ण परीक्षोपयोगी प्रश्न बन कर रह गया है। न नीमूचाना गांव में कोई स्मारक, न कोई कार्यक्रम-मेला!..      रोजी-रोटी के सिलसिले में बानसूर ( अलवर की तहसील मुख्यालय) में मैं आठ साल रहा। इसीलिए इस आन्दोलन के बारे में ऐसा लिख रहा हूँ। नीमूचाना इसी तहसील का एक छोटा गांव है। 2012 में राजस्थान के किसान नेताओं के एक प्रतिनिधि मंडल के साथ नीमूचाना जाने का मौका मिला। रेत के टीलों, कीकर-बबूल की जंगलात के बीच बसा यह गांव आज वीरान होने को है। अपने निजी साधनों के अलावा इस गांव तक पहुँचने का कोई साधन नहीं। बानसूर से 14 किमी दूर यह गांव सारी सुविधाओं से आज भी कटा हुआ है।

किसान आंदोलन और 1857 की क्रान्ति

                 और तेज होगा किसान आंदोलन   दिनांक 10 मई,  2021 को गाजीपुर बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा ने 1857 के शहीदों को याद करते हुए शहीद मंगल पाण्डेय के तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर किसान आंदोलन के नेताओं ने 1857 की क्रांति और आज के किसान आंदोलन पर अपने उद्गार व्यक्त किए! वक्ताओं ने बताया कि अंग्रेज  भारत के जमींदारों से मिलकर किसानों से अत्यधिक लगान वसूली कर रहे थे और उन्हें जमीन से बेदखल कर रहे थे। यही इस क्रांति की मूल जड़ में था।  खेती की बर्बादी और बढ़ती भूख बेरोजगारी में अंग्रेजों के शासन की बड़ी भूमिका थी। वे अपने माल को बेचने के लिए यहां के बुनकरों, लोहारों, बढ़ाई, चर्मकार- सब को बर्बाद कर रहे थे ताकि उनका माल यहां बिक सके। देश के तमाम किसान, कारीगर, व्यापारी अंग्रेजों के राज के खिलाफ उठ खड़े हुए और कई देशभक्त रजवाड़ों ने भी उनका साथ दिया।  आज के हालात से इसकी तुलना करते हुए वक्ताओं ने बताया कि जो तीन कानून सरकार लाई है और जो एमएसपी की गारंटी सरकार नहीं देना चाहती, इससे पूरी खेती बर्बाद हो जाएगी और बड़े कारपोरेट तथा विदेशी कंपनियों के हाथों में चली

दांडी से दिल्ली: एक नया प्रयोग

काले कानून मिट्टी सत्याग्रह        किसान आंदोलन का एक अभिनव प्रयोग:                         मिट्टी सत्याग्रह                  https://youtu.be/Ml2fxGNdLv8 सत्ता के मद में चूर बड़बोले घमंडोले देश के शासकों को आज लगता है कि किसानों के आंदोलन से उनका कुछ नहीं बिगड़ने वाला! कम से कम किसानों के आंदोलन और अंग्रेज़ी कानूनों से भी खतरनाक लाए गए किसानी सम्बन्धी कानूनों पर अडिग रहने की उनकी हठधर्मिता से यही प्रतीत होता है। पर देश की मिट्टी से जुड़ें करोड़ों सचेत किसानों, मजदूरों, नौजवानों,  बुद्धिजीवियों को पता है कि देश की मिट्टी के असली वारिस किसानों को नज़रंदाज़ करने से बड़े से बड़े राजाओं-महाराजाओं, नवाबों-बादशाहों की स्मृतियाँ भी मिट्टी में मिल गई हैं। आज उन्हें नफ़रत और हिक़ारत की नज़र से ही देखा जाता है। देश-दुनिया के किसानों-मजदूरों द्वारा निर्मित की जाने वाली मानव सभ्यता के विकास के वे रोड़े और खलनायक ही माने जाते हैं। कुछ ऐसी ही सोच आज के किसान आंदोलन और दांडी से दिल्ली की मिट्टी सत्याग्रह यात्रा की पड़ताल करने से भी बनती है। तीन किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ़ चार महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमा

किसान आंदोलन के नए प्रतिमान

                  दिल्ली की सीमाओं से आगे... संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में जारी किसान आंदोलन अब देशव्यापी होने साथ-साथ सघन भी होता जा रहा है। देश के दक्षिणी राज्यों- केरल, तमिलनाडु, गोवा आदि में अन्य किसानों के साथ-साथ मछुआरों का भी आंदोलन को भारी समर्थन मिल रहा है। होली के अवसर पर किसानों ने जगह-जगह किसान-विरोधी कानूनों की प्रतियां जलाईं। इसी क्रम में किसान आंदोलन के 125वें दिन जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति से पता चलता है कि यह आंदोलन अब विकेन्द्रित आंदोलन के रूप में कहीं ज़्यादा गति से विकसित हो रहा है।     कानूनों की जली होली 125वें दिन डॉ. दर्शनपाल द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा निम्नलिखित निर्णय लिए गए:- 1. 5 अप्रैल को FCI बचाओ दिवस मनाया जाएगा जिस दिन देशभर में FCI के दफ्तरों का घेराव किया जाएगा। 2. 10 अप्रैल को 24 घण्टो के लिए केएमपी ब्लॉक किया जाएगा। 3. 13 अप्रैल को वैशाखी का त्यौहार दिल्ली की सीमाओं पर मनाया जाएगा। 4. 14 अप्रैल को डॉ भीम राव अम्बेडकर की जयंती पर सविंधान बचाओ दिवस मनाया जाएगा। 5. 1 मई मजदूर दिवस दिल्ली के बोर्डर्स पर मनाया ज