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चुनाव लोकतंत्र की पूजा है?..कोरोना क्या है??

    तो  पूजाओं से किसी को कोई खतरा नहीं! क्यों परेशान हो रहे हैं?.. उन्हें सब पता है! दुनिया एक रंगमंच है और वे उसके नट। हम सब इस नाटक के पात्र-महापात्र हैं। फिर काहे का डर?... महादेव की नगरी काशी हो या हर की पैड़ी हरिद्वार- सब उस नटराज की लीलाओं के रंगमंच हैं। कब क्या कहाँ होना चाहिए- सब निर्धारित करने का अधिकार उसी को है या फिर थोड़ा-बहुत उसके मठ-महंतों को। इसलिए क्यों परेशान हैं?.. बूटी छानिए और जब तक जमराज का बुलावा न आए, जमे रहिए। कोरोना भी प्रभु की लीला है। उसी के निर्देश-आदेश पर उसके संत-महंत दिन-रात आपकी सेवा में लगे हैं। पूजा-अर्चना कर रहे हैं। उसी की इच्छा थी कि कहा जाय- 'जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं!' अमिताभ बच्चन का डायलॉग याद कीजिए! अब नवरात्रि के साथ 'नया साल आशा की नई किरण लेकर आया है!' साथ में आया है हरिद्वार, हरद्वार या हरीद्वार का महाकुम्भ का महा त्योहार!...जाइए, आप भी डुबकी लगा आइए। स्वर्गद्वार के पासपोर्ट की तरह आरटीपीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट भी लेते जाइए! घबराइए नहीं, प्रभु की इच्छा होगी तो जैसे बाकी लाखों को मिली है, आपको भी मिल ही जाएगी। फिर श्

किसान आंदोलन के नए प्रतिमान

                  दिल्ली की सीमाओं से आगे... संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में जारी किसान आंदोलन अब देशव्यापी होने साथ-साथ सघन भी होता जा रहा है। देश के दक्षिणी राज्यों- केरल, तमिलनाडु, गोवा आदि में अन्य किसानों के साथ-साथ मछुआरों का भी आंदोलन को भारी समर्थन मिल रहा है। होली के अवसर पर किसानों ने जगह-जगह किसान-विरोधी कानूनों की प्रतियां जलाईं। इसी क्रम में किसान आंदोलन के 125वें दिन जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति से पता चलता है कि यह आंदोलन अब विकेन्द्रित आंदोलन के रूप में कहीं ज़्यादा गति से विकसित हो रहा है।     कानूनों की जली होली 125वें दिन डॉ. दर्शनपाल द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा निम्नलिखित निर्णय लिए गए:- 1. 5 अप्रैल को FCI बचाओ दिवस मनाया जाएगा जिस दिन देशभर में FCI के दफ्तरों का घेराव किया जाएगा। 2. 10 अप्रैल को 24 घण्टो के लिए केएमपी ब्लॉक किया जाएगा। 3. 13 अप्रैल को वैशाखी का त्यौहार दिल्ली की सीमाओं पर मनाया जाएगा। 4. 14 अप्रैल को डॉ भीम राव अम्बेडकर की जयंती पर सविंधान बचाओ दिवस मनाया जाएगा। 5. 1 मई मजदूर दिवस दिल्ली के बोर्डर्स पर मनाया ज

व्यापक हो रहा है किसान आंदोलन

काले कानून                       रोज़-रोज़ और तेज... और व्यापक हो रहा है  किसान आंदोलन                     दिल्ली बॉर्डर से शुरू हुआ किसान आंदोलन रोज़-रोज़ और तेज, और व्यापक होता जा रहा है। एक तरफ़ जहाँ केंद्र सरकार किसान आंदोलन के प्रति ऐसा व्यवहार प्रकट कर रही है जैसे इस आंदोलन से उस पर कोई फर्क़ नहीं पड़ने वाला, वहीं दूसरी तरफ़ किसान आंदोलन के चार महीने पूरे होने पर 26 मार्च को संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति से यह पता चलता है कि किसान आंदोलन अब और व्यापक होते हुए कस्बों-गाँवों तक फैलने तथा और सुदृढ़ होने लगा है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता/प्रवक्ता डॉ. दर्शनपाल द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति पूरी पढ़ने पर इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है: बढ़ता जा रहा किसान आंदोलन     "सयुंक्त किसान मोर्चा सभी किसानों-मजदूरों व आम जनता को आज के भारत बंद की सफलता की बधाई देता है। गुजरात के किसानों के साथ संघर्ष में पहुंचे किसान नेता युद्धवीर सिंह को गुजरात पुलिस ने गिरफ्तार किया जिसकी हम कड़ी निंदा व विरोध करते है। आज देश के अनेक भागों में भारत बंद का प्रभाव रहा। बिहार में 20 से ज्यादा जि